इंदौर। 2018 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान रुपयों के लेन-देन के मामले में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम उजागर हुए है, जिसके बाद से ही प्रदेश की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है. जहां बीजेपी इस मुद्दे को लेकर लगातार कांग्रेस पर वार कर रही है. इस मामले में आईपीएस अधिकारियों के नाम सामने आने के बाद कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला और विधायक विशाल पटेल ने साफ तौर पर कहा है कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष तौर पर कार्रवाई करना चाहिए.
भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ होनी चाहिए सख्त कार्रवाई: कांग्रेस विधायक
इंदौर विधानसभा क्रमांक 1 के कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने कहा, 'ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होना चाहिए.' वहीं इसको लेकर कांग्रेस विधायक विशाल पटेल का कहना है, 'चुनाव आयोग निष्पक्ष तौर पर कार्रवाई करे, लेकिन बीजेपी इस कार्रवाई को हथियार बनाकर कांग्रेस पर आरोप लगा रही है, जो कि गलत है. कांग्रेस किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है.'
पोल कैश कॉन्ट्रोवर्सी मामले में सीबीडीटी की रिपोर्ट में हुए हैं कई खुलासे
कमलनाथ सरकार के दौरान प्रदेश में हुए आयकर छापों की कार्रवाई को लेकर सीबीडीटी की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं, जिसमें तीन तत्कालीन मंत्रियों पर भी गाज गिर सकती है. सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश केडर के तीन आईपीएस और एक राज्य पुलिस सेवा अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश दिए गए हैं.
कमलनाथ सरकार के बचाव में कई विधायक
पोल कैश कंट्रोवर्सी को लेकर राजधानी भोपाल में भी कांग्रेस नेताओं ने प्रेस वार्ता कर बीजेपी पर कई आरोप लगाए थे. हालांकि यह मामला सामने आने के बाद कांग्रेस के विधायक किसी भी तरह से कमलनाथ सरकार के बचाव में लगे हुए हैं.
सीबीडीटी की रिपोर्ट के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को नीरज वशिष्ठ से आखिर ऐसा क्या लगाव है कि पूर्व मुख्यमंत्री होने के समय भी उन्हें अपने स्टाफ में रखा था, जबकि किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को क्लास वन अधिकारी नहीं दिया गया. नीरज वशिष्ठ वहीं शख्स है जिनके ऊपर 2013 में पैसों के लेन-देन के आरोप लगे थे.
जो जांच कराना है करा लो, हम उनसे डरते नहीं
सीबीडीटी की रिपोर्ट में आए कांग्रेस नेताओं और अधिकारियों के नाम को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कहना है कि अगर मेरा नाम आया है तो जांच करा लें, हम किसी भी जांच से डरते नहीं हैं. तो वहीं शिवराज सरकार पर आरोप लगाते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार के दौरान इतिहास भू और रेत माफिया पर जिस तरीके से कार्रवाई की जा रही थी. खासतौर से हजारों करोड़ के ई टेंडर में धीरे-धीरे फाइलें ओपन हो रही थी. शायद यही वजह है कि उस समय शिवराज सिंह चौहान खुले मंच से यह कहते थे यदि यह सरकार 5 साल रह गई तो हम बर्बाद हो जाएंगे. उस समय इस मामले का खुलासा करने वाले अधिकारी को आज सरकार में सबसे वरिष्ठ पद पर बैठाया है. आखिर इसकी वजह क्या है, जिलाधिकारी ने ई टेंडरिंग घोटाला पकड़ा, वहीं आज मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव हैं.
क्या है Poll cash controversy मामला?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की दिल्ली विंग ने अप्रैल 2019 में एमपी में कुल 52 ठिकानों पर एक साथ छापेमार कार्रवाई की थी. ये कार्रवाई पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के OSD प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मालानी, कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी और कारोबारी अश्विन शर्मा के ठिकानों पर हुई थी. आयकर विभाग ने 14 करोड रुपए की बेहिसाब नकदी, डायरियां, कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थीं. इन्ही दस्तावेजों में करोड़ों रुपए के लेनदेन का हिसाब दर्ज था. दस्तावेजों में यह प्रमाण भी मिला कि 20 करोड़ रुपये की राशि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजी गई. इन छापों में कुल 281 करोड़ रुपए के लेनदेन का पुख्ता प्रमाण आयकर विभाग को मिला है. यह रुपए अलग-अलग कारोबारी नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों से एकत्र किया गया था और हवाला के जरिए दिल्ली तुगलक रोड स्थित राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय भेजा गया.