इंदौर। मध्यप्रदेश 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. 28 सीटों में सांवेर विधानसभा सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए नाक सवाल बनी हुई है. सांवेर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू मैदान में हैं, तो वहीं सिंधिया समर्थक और शिवराज सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट बीजेपी के प्रत्याशी हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है.
उपचुनाव के मद्देनजर सांवेर विधानसभा सीट पर सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. सियासी दल एक दूसरे के खिलाफ जोर आजमाइश कर रहे हैं. सांवेर विधानसभा प्रदेश की सबसे हॉट सीट मानी जा रही है. यही कारण है कि, आचार संहिता लगते ही निर्वाचन आयोग भी इस विधानसभा सीट पर नजर बनाए हुए है. जैसे ही आचार संहिता लागू हुई, राजनीतिक दलों ने भी सांवेर विधानसभा में अपने आयोजनों को रद कर दिया. इसका सबसे बड़ा कारण प्रत्याशियों के खर्च को लेकर है. यदि कोई भी राजनीतिक दल सांवेर विधानसभा में कोई सभा बैठक या कार्यक्रम आयोजित करता है, तो उसमें आचार संहिता के उल्लंघन होने और प्रत्याशी के खर्च बढ़ने की संभावना रहती है. जिसके कारण अब राजनीतिक दलों ने सांवेर विधानसभा के आसपास के जिलों में बैठके करना शुरू कर दिया है. सांवेर के सबसे नजदीक जिला उज्जैन है, जहां पर किसी भी विधानसभा में चुनाव न होने के कारण आचार संहिता लागू नहीं है. ऐसे में अब राजनीतिक दल उज्जैन जिले में पहुंचकर सांवेर विधानसभा की बैठक आयोजित कर रहे हैं और वहीं से कार्यकर्ताओं को आगे के दिशा निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं.
इस बारे में बीजेपी प्रवक्ता उमेश शर्मा का कहना है कि, बीजेपी सांवेर विधानसभा की बैठक कही भी नहीं कर रही है. उनका कहना है कि, उज्जैन की जिस बैठक की बात हो रही है, वो भारतीय जनता युवा मोर्चा की बैठक थी. उमेश शर्मा का कहना है कि, बीजेपी की बैठके होती रहती हैं. ऐसे में हर बैठक को सांवेर विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखना सही नहीं है. उनका कहना है कि, उज्जैन के कार्यकर्ताओं को अगल- अगल विधानसभा में जाना है, इसलिए वहां बैठक रखी गई थी.
वहीं राजनीतिक दलों के द्वारा आसपास के जिलों में इस तरह की बैठकें करने की सूचना प्रशासन के पास पहुंचने के बाद प्रशासन ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी. निर्वाचन आयोग ने सांवेर विधानसभा के सीमावर्ती जिलों में भी निगरानी रखने के लिए दलों का गठन किया है. वहीं सीमाओं को सील कर सीमावर्ती जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी बैठकें की जा रही है, ताकि किसी भी प्रकार से आचार संहिता के उल्लंघन को रोका जा सके.