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HC का फैसला: बच्चे अपनी मां के साथ रहने के लिए स्वतंत्र - SDM

मां ने अपने बच्चों की कस्टडी के लिए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पिता पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही यह भी कहा है कि बच्चे स्वतंत्र हैं और वह अपनी मां के साथ रह सकते हैं.

INDORE HC
इंदौर हाई कोर्ट
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Published : Mar 24, 2021, 4:34 PM IST

इंदौर। एक मां ने अपने जुड़वा बच्चों की कस्टडी के लिए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पिता पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही यह भी आदेश दिया है कि बच्चे स्वतंत्र हैं और वह अपनी मां के पास रहना चाहें तो रह सकते हैं.

पति-पत्नी के बीच विवाद होने के बाद पत्नी अपने दोनों बच्चों को लेकर साथ में रहने लगी. उनकी उम्र भी 16 साल के आसपास थी, लेकिन बच्चों के पिता ने एसडीएम कोर्ट में उपस्थित होकर गुहार लगाकर एसडीएम से यह आदेश निकला कि बच्चों की कस्टडी पिता को सौंप दी जाए. इसके बाद एसडीएम के आदेश पर 16 वर्षीय जुड़वा बच्चों की कस्टडी पिता को मिल गई थी, लेकिन इस आदेश के खिलाफ बच्चों की मां ने इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगा दी जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश को गलत ठहराते हुए यह निर्देश दिया कि बच्चे स्वतंत्र हैं और वह अपनी मां के साथ रह सकते हैं.

हाईकोर्ट के समक्ष बच्चों ने पिता के साथ रहने की कही थी बात

वहीं, याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने भी दोनों बच्चों को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर बयान देने को कहा था. जुड़वा बच्चों का कहना था कि मां हमारे साथ सख्ती करती है, कई बार मारती भी है, इस पर कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि बच्चे लंबे अरसे से मां के साथ रह रहे हैं. इसलिए मां सख्ती बरत सकती है. क्योंकि मां को उसके भविष्य की चिंता है और उन्हें सही राह दिखाने के लिए सख्ती की जा सकती है. वहीं बच्चे पिता से अलग होने के बाद अपनी मां के साथ नरसिंहपुर में रह रहे थे.

फर्जी मतदाता सूची को लेकर लगाई गई याचिका, कोर्ट ने की खारिज

पिता पर लगाया 25,000 का जुर्माना

वहीं, याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एसडीएम का आदेश निरस्त करते हुए पिता पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि एसडीएम ने गलत आदेश निकाले हैं. उन्होंने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ इस तरह के आदेश निकाले हैं. इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाता है. फिलहाल, इंदौर हाईकोर्ट ने बच्चों की कस्टडी को लेकर माता और पिता किसी को भी उन्हें रखने के आदेश नहीं दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि बच्चे अब क्योंकि 16 साल के हो चुके हैं इसलिए वह किसके साथ रहे ऐसा आदेश नहीं दिया जा सकता है. वह अपनी मां के साथ रह सकते हैं और रहने के लिए वह स्वतंत्र हैं.

इंदौर। एक मां ने अपने जुड़वा बच्चों की कस्टडी के लिए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पिता पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही यह भी आदेश दिया है कि बच्चे स्वतंत्र हैं और वह अपनी मां के पास रहना चाहें तो रह सकते हैं.

पति-पत्नी के बीच विवाद होने के बाद पत्नी अपने दोनों बच्चों को लेकर साथ में रहने लगी. उनकी उम्र भी 16 साल के आसपास थी, लेकिन बच्चों के पिता ने एसडीएम कोर्ट में उपस्थित होकर गुहार लगाकर एसडीएम से यह आदेश निकला कि बच्चों की कस्टडी पिता को सौंप दी जाए. इसके बाद एसडीएम के आदेश पर 16 वर्षीय जुड़वा बच्चों की कस्टडी पिता को मिल गई थी, लेकिन इस आदेश के खिलाफ बच्चों की मां ने इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगा दी जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश को गलत ठहराते हुए यह निर्देश दिया कि बच्चे स्वतंत्र हैं और वह अपनी मां के साथ रह सकते हैं.

हाईकोर्ट के समक्ष बच्चों ने पिता के साथ रहने की कही थी बात

वहीं, याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने भी दोनों बच्चों को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर बयान देने को कहा था. जुड़वा बच्चों का कहना था कि मां हमारे साथ सख्ती करती है, कई बार मारती भी है, इस पर कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि बच्चे लंबे अरसे से मां के साथ रह रहे हैं. इसलिए मां सख्ती बरत सकती है. क्योंकि मां को उसके भविष्य की चिंता है और उन्हें सही राह दिखाने के लिए सख्ती की जा सकती है. वहीं बच्चे पिता से अलग होने के बाद अपनी मां के साथ नरसिंहपुर में रह रहे थे.

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पिता पर लगाया 25,000 का जुर्माना

वहीं, याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एसडीएम का आदेश निरस्त करते हुए पिता पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि एसडीएम ने गलत आदेश निकाले हैं. उन्होंने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ इस तरह के आदेश निकाले हैं. इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाता है. फिलहाल, इंदौर हाईकोर्ट ने बच्चों की कस्टडी को लेकर माता और पिता किसी को भी उन्हें रखने के आदेश नहीं दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि बच्चे अब क्योंकि 16 साल के हो चुके हैं इसलिए वह किसके साथ रहे ऐसा आदेश नहीं दिया जा सकता है. वह अपनी मां के साथ रह सकते हैं और रहने के लिए वह स्वतंत्र हैं.

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