इंदौर। राज्य सरकार द्वारा मौतों के आंकड़े छुपाए जाने के बाद अब RT-PCR जांच के रिकॉर्ड में भी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. आलम यह है कि जिन मरीजों की मौत बीते माह हो चुकी है, उन्हें कोविड केयर सेंटर में भर्ती करा कर इलाज कराने के लिए लगातार फोन जा रहे हैं. जिसे लेकर परिजन काफी व्यथित हैं. इंदौर में एक ऐसे ही मामले में अब कोर्ट की शरण ली जा रही है.
- कोरोना से दो माह पहले हुई मौत, अब भर्ती करने के लिए आ रहे फोन
दरअसल इंदौर हाई कोर्ट के एक वकील मनीष यादव के पिता रमेश यादव, मां प्रमिला यादव और बहन मार्च महीने में कोविड पॉजिटिव आ गए थे. उनका निधन भी दो माह पहले हो चुका है. इसके बावजूद उनके मोबाइल फोन पर पिछले दो दिन स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल रूम से उनके माता-पिता को दवाइयां देने, उनका स्वास्थ्य जानने, और उन्हें कोविड केयर सेंटर में भर्ती करवाए जाने के लिए कई कॉल आ रहे हैं. इस बात से व्यथित एडवोकेट मनीष यादव पूरे मामले को लेकर हाई कोर्ट की शरण लेने जा रहे हैं. यादव का आरोप है कोविड-19 में सैकड़ों लोगों की मौत हुई, लेकिन राज्य शासन ने जानकारी छुपाई. यह बहुत बड़ा घोटाला है. कई गरीब मरीज बिना इलाज के ही अस्पताल में मौत का शिकार हो गए. लिहाजा पूरे मामले में राज्य शासन के अलावा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य के खिलाफ याचिका दायर की जाएगी.
- परिजनों का आरोप, स्वास्थ्य विभाग में हुआ फर्जीवाड़ा
चौंकाने वाली बात यह है कि इसकी जानकारी न स्वास्थ्य विभाग के पास है ना ही प्रशासन के पास. मृतकों के पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाया है इससे पता चलता है कि स्वास्थ्य विभाग में किस तरह फर्जीवाड़ा चल रहा है. और कोरोना को लेकर फर्जी आंकड़े दिए जा रहे हैं, अब वे इस मामले को कोर्ट ले जाएंगे.
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- सरकार ने निजी लैब को दिया नोटिस
जब पूरा मामला स्वास्थ विभाग के संज्ञान में आया तो विभाग के अधिकारी इसे एक निजी लैब की गलती मानकर उसे नोटिस थमाने का दावा कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की डाटा समन्वयक अपूर्वा तिवारी ने बताया, कि उन्हें पता चला कि सोडानी डायग्नोस्टिक से 6 जून को प्रमिला और रमेश यादव के कोविड सैंपल जांच में लगाए गए थे. 7 जून को उन्हें पॉजिटिव बताया गया, इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने सोडानी को नोटिस देकर जानकारी मांगी है.