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पहले अमानवीय व्यवहार, अब VIP सुविधा, निगम का ये कैसा चेहरा ! - इंदौर बुजुर्गों को सुख सुविधाएं

इंदौर नगर निगम ने पहले जहां बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए उन्हें जानवरों की वाहन में भरकर शहर के बाहर छोड़ दिया था. वहीं मामले में किरकिरी होने के बाद निगम अब इन्ही बुजुर्गों को वीआईपी सुविधा देता नजर आ रहा है.

VIP facility to beggars
भिखारियों को वीआईपी सुविधा
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Published : Mar 6, 2021, 10:45 PM IST

इंदौर। आर्थिक राजधानी में निराश्रित बुजुर्गों के साथ हुए मानवीय व्यवहार के डैमेज कंट्रोल के बाद अब शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए दीनबंधु अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत शहर के तहत तमाम भिखारियों को शिविर के जरिए वीआईपी सुविधाएं दी जा रही हैं. वहीं उनके स्वास्थ्य परीक्षण के साथ निशुल्क इलाज और पेंशन समेत पुनर्वास की व्यवस्था भी की गई है. जिसे देखकर खुद भिखारी भी हैरान है.

इंदौर के पॉश इलाके तुकोगंज की धर्मशाला में स्वादिष्ट भोजन करने के बाद नए बिस्तर पर लेट कर आराम फरमाते यह बुजुर्ग किसी शादी या बारात के मेहमान नहीं बल्कि सरकारी मेहमान हैं, जिन्हें इंदौर के भिखारी होने का दर्जा हासिल होने के कारण जिला प्रशासन और नगर निगम अब वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहा है. दरअसल शहर के साथ जिले के इन तमाम भिखारियों के दुख भरे दिन उस एक घटना से पलट गए हैं. जिसमें इंदौर नगर निगम के कुछ अधिकारियों ने स्वच्छता सर्वे के पहले ही शहर के कुछ स्थानों पर पड़े रहकर भीख मांगने वाले चंद भिखारियों को कचरा गाड़ी में भरकर शहर के बाहर फेंक दिया था.

भिखारियों को वीआईपी सुविधा

इस मामले में इंदौर नगर निगम की किरकिरी जब देश भर में हुई तो देशभर में स्वच्छता का डंका पीटने वाले इंदौर नगर निगम के तमाम अभियान और इमेज धराशायी होती नजर आई. लिहाजा अपने बचाव में नगर निगम समेत जिला प्रशासन ने डैमेज कंट्रोल का मोर्चा संभालते हुए भिखारियों की सेवा में ऐसा अभियान शुरू किया कि खुद सेवा पाने वाले भिखारी भी सुख सुविधाओं को देखकर हैरान हैं.

करीब 109 भिक्षुकों को दी जा रही वीआईपी मेजबानी

इंदौर शहर में अब भिखारियों के वीआईपी ट्रीटमेंट का आलम यह है कि उन्हें गंदगी भरे इलाकों और सड़कों से उठाकर जिला प्रशासन और नगर निगम की पहल पर चलाए जा रहे दीनबंधु अभियान के तहत एनजीओ के कार्यकर्ता नहला धुला कर उन्हें नए सिरे से सामान्य जिंदगी लौटाने के लिए मान मनुहार और मिन्नतें करते नजर रहे हैं. अभियान को अमलीजामा पहनाने के लिए बाकायदा जो वीआईपी शिविर लगाया गया है. वहां करीब 109 भिखारियों की वीआईपी मेहमान नवाजी की जा रही है. यहां नगर निगम और 3 स्वयंसेवी संगठनों की टीमें शहर के कई स्थानों पर पड़े रहने वाले गंदे इलाकों से लाए जाने वाले बुजुर्ग भिखारियों को नहलाने के लिए कार्यकर्ताओं की नगर टीम में लगी हुई है. जो महंगे सुगंधित साबुन और शैंपू से उन भिखारियों को नहला धुला कर सैनिटाइज रहे हैं.

VIP facility to beggars
शिविर

बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार के खिलाफ कांग्रेस का जंगी प्रदर्शन

जिन्हें अपने घर वालों ने नहलाना तो दूर हाथ लगाना भी उचित नहीं समझा. इसके बाद उनके निशुल्क कटिंग सेविंग की मौके पर ही व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही उन्हें नए कपड़े पहनाकर उनकी रंगत बदली जा रही है. इस दौरान कोशिश की जा रही है कि तमाम भिखारियों को उनकी सामान्य जिंदगी लौटाई जा सके. सभी के इलाज के साथ नए सिरे से उनका पुनर्वास होने तक भिखारियों को रहने की व्यवस्था नगर निगम और जिला प्रशासन के स्वास्थ शिविर में ही है. यहां पर करीब 100 से ज्यादा भिक्षुकों के लिए नए पलंग गद्दे, तकिए, चादर पर आराम से सुलाते हुए उनकी सेवा चाकरी की जा रही है. इस दौरान बुजुर्गों की सेवा में तीन एनजीओ के करीब 50 से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं. जो शिविर में महिलाओं और पुरुष भिखारियों के लिए सजाए गए. वीआईपी परिसर में अपनी अपनी व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं. महिलाओं की देखभाल के लिए महिलाओं की ड्यूटी है, जबकि पुरुष भिक्षुक के लिए एनजीओ के कार्यकर्ताओं के साथ नगर निगम की टीमें लगी हुई है.

VIP facility to beggars
बुजुर्गों को दिए कपड़े

मौके पर स्थिति यह है कि जिन भिखारियों को उनके घर वालों ने ही सड़कों पर छोड़ दिया. अब उनकी सेवा के लिए भिखारियों की आंख खुलते ही सामने सेवा के लिए तीन से चार कर्मचारी अलर्ट नजर आते हैं. इसके अलावा नगर निगम का सरकारी एंबुलेंस और वीआईपी गाड़ियों से लाने ले जाने के अलावा निजी अस्पतालों के डॉक्टर पैरामेडिकल स्टाफ पैथोलॉजी लैब की टीमें और जिला प्रशासन के अधिकारी भिखारियों की 1-1 सुविधा और जरूरत पूरी करने दिन रात एक कर रहे हैं.

सुविधाएं पाकर भिखारी भी हैरान

शिविर में भिखारियों की दिनचर्या कुछ ऐसी है कि आम लोगों की तरह सुबह उठते ही उन्हें ब्रश और मंजन कर आने के बाद हलवा और पोहे जलेबी जूस का नाश्ता कराया जा रहा है. इसके बाद उन्हें नहला धुला कर मौके पर ही मौजूद अरविंदो अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी उनका मेडिकल परीक्षण कर उन्हें दवाइयां देते हैं. जो भिक्षुक ज्यादा बीमार पाए गए, उन्हें शहर के निजी अरविंदो अस्पताल में वीआईपी इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. जहां उनका इलाज चल रहा है. इधर शिविर में दोपहर होते ही सभी को खीर पुरी पकोड़े सलाद आदि व्यंजनों से सजा भोजन टेबल कुर्सी पर बैठाकर परोसा जाता है. खाना खाने के दौरान भी उन्हें गर्मी का एहसास ना हो इसके लिए डायनिंग एरिया में भी महंगे कूलर लगाए गए हैं. वहीं पीने के लिए मिनरल वाटर की बखूबी व्यवस्था है.

बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार: जिम्मेदारों को मानव अधिकार आयोग का नोटिस

इस दौरान शुद्ध घी की मिठाई केसर मिश्रित खीर और ड्राई फ्रूट लड्डू या खानपान की अन्य जो भी सामग्री भिखारियों को पसंद है. उसे बनाकर भिखारियों को परोसने के लिए हलवाई और कैटरिंग की पूरी टीम मोर्चा संभाले हुए हैं. शिविर में भिखारियों के लिए रसोई का सामान इस कदर भरा गया है कि भिखारियों की सेवा और भोजन पानी में कोई कसर न रह जाए. स्वादिष्ट भोजन के बाद सभी को फिर शिविर के अपने अपने बिस्तर पर आराम फरमाने लाया जाता है. इसके बाद सभी की मनपसंद फिल्में बड़े-बड़े टीवी स्क्रीन पर लगा दी जाती है. जिसका मजा भिखारियों के साथ नगर निगम के सफाई कर्मचारी और स्वास्थ्य कर्मी के साथ एनजीओ के कार्यकर्ता भी लेते नजर आ रहे हैं.

संभाग में भिखारियों की स्थिति

इंदौर संभाग में 911 भिखारी चिन्हित किए गए हैं. इनमें 428 महिलाएं और 470 पुरुष और 13 बच्चे हैं. इनमें 500 का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. जिनमें करीब 100 अलग-अलग बीमारी से ग्रसित पाए गए. जबकि 58 मानसिक रूप से अस्वस्थ थे. जिनका शहर के अरविंदो अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. इसके अलावा 36 भिक्षुक और असहाय बुजुर्गों के लिए पेंशन शुरू की गई है. इधर देश में भिक्षुक की बढ़ती संख्या के कारण दीनबंधु पुनर्वास योजना के तहत 10 जिलों को शामिल किया गया है, उसमें मध्य प्रदेश से इंदौर भी है.

भिखारियों को लौटाई जा रही है सामान्य जिंदगी

इंदौर जिला प्रशासन और नगर निगम अब शहर के तमाम भिक्षुक और असहाय निराश्रित को उनकी सामान्य जिंदगी लौटाने के तमाम प्रयास कर रहा है. इस शिविर में अधिकांश निराश्रित बुजुर्गों के परिजनों को खोज कर बुजुर्गों लिखित शर्तों और देखभाल के सहमति पत्र के साथ उन्हें सौंपा गया है. इसके अलावा जो शेष बचे हैं उन्हें आश्रय स्थल वृद्ध आश्रम भिक्षुक गृह समेत अन्य स्थानों पर ठहराने की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा जिले के ऐसे बुजुर्ग जो राशन लेने उचित मूल्य की दुकान तक नहीं जा पाते हैं, उन्हें घर तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था शुरू की गई है.

इंदौर। आर्थिक राजधानी में निराश्रित बुजुर्गों के साथ हुए मानवीय व्यवहार के डैमेज कंट्रोल के बाद अब शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए दीनबंधु अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत शहर के तहत तमाम भिखारियों को शिविर के जरिए वीआईपी सुविधाएं दी जा रही हैं. वहीं उनके स्वास्थ्य परीक्षण के साथ निशुल्क इलाज और पेंशन समेत पुनर्वास की व्यवस्था भी की गई है. जिसे देखकर खुद भिखारी भी हैरान है.

इंदौर के पॉश इलाके तुकोगंज की धर्मशाला में स्वादिष्ट भोजन करने के बाद नए बिस्तर पर लेट कर आराम फरमाते यह बुजुर्ग किसी शादी या बारात के मेहमान नहीं बल्कि सरकारी मेहमान हैं, जिन्हें इंदौर के भिखारी होने का दर्जा हासिल होने के कारण जिला प्रशासन और नगर निगम अब वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहा है. दरअसल शहर के साथ जिले के इन तमाम भिखारियों के दुख भरे दिन उस एक घटना से पलट गए हैं. जिसमें इंदौर नगर निगम के कुछ अधिकारियों ने स्वच्छता सर्वे के पहले ही शहर के कुछ स्थानों पर पड़े रहकर भीख मांगने वाले चंद भिखारियों को कचरा गाड़ी में भरकर शहर के बाहर फेंक दिया था.

भिखारियों को वीआईपी सुविधा

इस मामले में इंदौर नगर निगम की किरकिरी जब देश भर में हुई तो देशभर में स्वच्छता का डंका पीटने वाले इंदौर नगर निगम के तमाम अभियान और इमेज धराशायी होती नजर आई. लिहाजा अपने बचाव में नगर निगम समेत जिला प्रशासन ने डैमेज कंट्रोल का मोर्चा संभालते हुए भिखारियों की सेवा में ऐसा अभियान शुरू किया कि खुद सेवा पाने वाले भिखारी भी सुख सुविधाओं को देखकर हैरान हैं.

करीब 109 भिक्षुकों को दी जा रही वीआईपी मेजबानी

इंदौर शहर में अब भिखारियों के वीआईपी ट्रीटमेंट का आलम यह है कि उन्हें गंदगी भरे इलाकों और सड़कों से उठाकर जिला प्रशासन और नगर निगम की पहल पर चलाए जा रहे दीनबंधु अभियान के तहत एनजीओ के कार्यकर्ता नहला धुला कर उन्हें नए सिरे से सामान्य जिंदगी लौटाने के लिए मान मनुहार और मिन्नतें करते नजर रहे हैं. अभियान को अमलीजामा पहनाने के लिए बाकायदा जो वीआईपी शिविर लगाया गया है. वहां करीब 109 भिखारियों की वीआईपी मेहमान नवाजी की जा रही है. यहां नगर निगम और 3 स्वयंसेवी संगठनों की टीमें शहर के कई स्थानों पर पड़े रहने वाले गंदे इलाकों से लाए जाने वाले बुजुर्ग भिखारियों को नहलाने के लिए कार्यकर्ताओं की नगर टीम में लगी हुई है. जो महंगे सुगंधित साबुन और शैंपू से उन भिखारियों को नहला धुला कर सैनिटाइज रहे हैं.

VIP facility to beggars
शिविर

बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार के खिलाफ कांग्रेस का जंगी प्रदर्शन

जिन्हें अपने घर वालों ने नहलाना तो दूर हाथ लगाना भी उचित नहीं समझा. इसके बाद उनके निशुल्क कटिंग सेविंग की मौके पर ही व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही उन्हें नए कपड़े पहनाकर उनकी रंगत बदली जा रही है. इस दौरान कोशिश की जा रही है कि तमाम भिखारियों को उनकी सामान्य जिंदगी लौटाई जा सके. सभी के इलाज के साथ नए सिरे से उनका पुनर्वास होने तक भिखारियों को रहने की व्यवस्था नगर निगम और जिला प्रशासन के स्वास्थ शिविर में ही है. यहां पर करीब 100 से ज्यादा भिक्षुकों के लिए नए पलंग गद्दे, तकिए, चादर पर आराम से सुलाते हुए उनकी सेवा चाकरी की जा रही है. इस दौरान बुजुर्गों की सेवा में तीन एनजीओ के करीब 50 से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं. जो शिविर में महिलाओं और पुरुष भिखारियों के लिए सजाए गए. वीआईपी परिसर में अपनी अपनी व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं. महिलाओं की देखभाल के लिए महिलाओं की ड्यूटी है, जबकि पुरुष भिक्षुक के लिए एनजीओ के कार्यकर्ताओं के साथ नगर निगम की टीमें लगी हुई है.

VIP facility to beggars
बुजुर्गों को दिए कपड़े

मौके पर स्थिति यह है कि जिन भिखारियों को उनके घर वालों ने ही सड़कों पर छोड़ दिया. अब उनकी सेवा के लिए भिखारियों की आंख खुलते ही सामने सेवा के लिए तीन से चार कर्मचारी अलर्ट नजर आते हैं. इसके अलावा नगर निगम का सरकारी एंबुलेंस और वीआईपी गाड़ियों से लाने ले जाने के अलावा निजी अस्पतालों के डॉक्टर पैरामेडिकल स्टाफ पैथोलॉजी लैब की टीमें और जिला प्रशासन के अधिकारी भिखारियों की 1-1 सुविधा और जरूरत पूरी करने दिन रात एक कर रहे हैं.

सुविधाएं पाकर भिखारी भी हैरान

शिविर में भिखारियों की दिनचर्या कुछ ऐसी है कि आम लोगों की तरह सुबह उठते ही उन्हें ब्रश और मंजन कर आने के बाद हलवा और पोहे जलेबी जूस का नाश्ता कराया जा रहा है. इसके बाद उन्हें नहला धुला कर मौके पर ही मौजूद अरविंदो अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी उनका मेडिकल परीक्षण कर उन्हें दवाइयां देते हैं. जो भिक्षुक ज्यादा बीमार पाए गए, उन्हें शहर के निजी अरविंदो अस्पताल में वीआईपी इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. जहां उनका इलाज चल रहा है. इधर शिविर में दोपहर होते ही सभी को खीर पुरी पकोड़े सलाद आदि व्यंजनों से सजा भोजन टेबल कुर्सी पर बैठाकर परोसा जाता है. खाना खाने के दौरान भी उन्हें गर्मी का एहसास ना हो इसके लिए डायनिंग एरिया में भी महंगे कूलर लगाए गए हैं. वहीं पीने के लिए मिनरल वाटर की बखूबी व्यवस्था है.

बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार: जिम्मेदारों को मानव अधिकार आयोग का नोटिस

इस दौरान शुद्ध घी की मिठाई केसर मिश्रित खीर और ड्राई फ्रूट लड्डू या खानपान की अन्य जो भी सामग्री भिखारियों को पसंद है. उसे बनाकर भिखारियों को परोसने के लिए हलवाई और कैटरिंग की पूरी टीम मोर्चा संभाले हुए हैं. शिविर में भिखारियों के लिए रसोई का सामान इस कदर भरा गया है कि भिखारियों की सेवा और भोजन पानी में कोई कसर न रह जाए. स्वादिष्ट भोजन के बाद सभी को फिर शिविर के अपने अपने बिस्तर पर आराम फरमाने लाया जाता है. इसके बाद सभी की मनपसंद फिल्में बड़े-बड़े टीवी स्क्रीन पर लगा दी जाती है. जिसका मजा भिखारियों के साथ नगर निगम के सफाई कर्मचारी और स्वास्थ्य कर्मी के साथ एनजीओ के कार्यकर्ता भी लेते नजर आ रहे हैं.

संभाग में भिखारियों की स्थिति

इंदौर संभाग में 911 भिखारी चिन्हित किए गए हैं. इनमें 428 महिलाएं और 470 पुरुष और 13 बच्चे हैं. इनमें 500 का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. जिनमें करीब 100 अलग-अलग बीमारी से ग्रसित पाए गए. जबकि 58 मानसिक रूप से अस्वस्थ थे. जिनका शहर के अरविंदो अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. इसके अलावा 36 भिक्षुक और असहाय बुजुर्गों के लिए पेंशन शुरू की गई है. इधर देश में भिक्षुक की बढ़ती संख्या के कारण दीनबंधु पुनर्वास योजना के तहत 10 जिलों को शामिल किया गया है, उसमें मध्य प्रदेश से इंदौर भी है.

भिखारियों को लौटाई जा रही है सामान्य जिंदगी

इंदौर जिला प्रशासन और नगर निगम अब शहर के तमाम भिक्षुक और असहाय निराश्रित को उनकी सामान्य जिंदगी लौटाने के तमाम प्रयास कर रहा है. इस शिविर में अधिकांश निराश्रित बुजुर्गों के परिजनों को खोज कर बुजुर्गों लिखित शर्तों और देखभाल के सहमति पत्र के साथ उन्हें सौंपा गया है. इसके अलावा जो शेष बचे हैं उन्हें आश्रय स्थल वृद्ध आश्रम भिक्षुक गृह समेत अन्य स्थानों पर ठहराने की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा जिले के ऐसे बुजुर्ग जो राशन लेने उचित मूल्य की दुकान तक नहीं जा पाते हैं, उन्हें घर तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था शुरू की गई है.

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