इंदौर। लॉकडाउन की वजह से करीब 100 दिनों से ज्यादा समय से कोर्ट-कचहरी सब बंद हैं, जिससे संबंधित पक्षकार अपने प्रकरण की सुनवाई और पैरवी के लिए तरस रहे हैं. इन हालातों में जहां लंबित केसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं लोगों को न्याय मिलना भी देरी और मुश्किल हो रही है. इस स्थिति से परेशान अभिभाषक संघ और हाईकोर्ट के वकील भी कोर्ट खोलने के लिए मोर्चा खोल दिए हैं.
अनलॉक 2.0 की प्रक्रिया के तहत सभी शासकीय, अशासकीय कार्यालय और व्यापारिक संस्थान खोले जाने के बाद उनमें कामकाज शुरू हो गया है, लेकिन अदालतों के दरवाजे अभी भी बंद हैं. हालांकि, वकील और अभिभाषक संघ सुनवाई और पैरवी शुरू करने की शर्त पर अपने अलावा पक्षकारों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने को तैयार है. यही वजह है कि अभिभाषक संघ की बैठक में लिए गए निर्णय के बाद फिर से कोर्ट में कामकाज शुरू करने संबंधी मांग पत्र मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय चीफ जस्टिस एके मित्तल को भेजा गया है.
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23 मार्च से ही बंद की गई सभी अदालतों और हाईकोर्ट के कामकाज में से चुनिंदा और अत्यावश्यक माने जाने वाले प्रकरणों की ऑनलाइन सुनवाई हो रही है, वहीं दूसरी तरफ सामान्य प्रकरणों के पक्षकार जमानत सहित कई न्यायिक कामकाज के लिए चक्कर काट रहे हैं और कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका के चलते न्यायालय नहीं खुल पा रहे हैं.
हाई कोर्ट और फेमिली कोर्ट में भी काम प्रभावित
लॉकडाउन के बाद से ही हाईकोर्ट और फेमिली कोर्ट के बंद रहने से कई प्रकार के प्रकरणों की सुनवाई लंबित है. ऐसी स्थिति में लंबित प्रकरणों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. सबसे गंभीर स्थिति कैदियों की है, जिनकी सजा पूरी हो चुकी है. लेकिन वो लॉकडाउन के कारण सुनवाई नहीं होने से जेलों में ही बंद हैं. इसी तरह पारिवारिक न्यायालयों में सैकड़ों प्रकरण लंबित हैं.