इंदौर। दुनिया भर में तेजी से बढ़ते मोबाइल के उपयोग के कारण लोगों को जाने अनजाने इसके घातक रेडिएशन से भी जूझना पड़ रहा है, यही वजह है कि अब मोबाइल रेडिएशन से बचने के उपाय ढूंढे जा रहे हैं. हाल ही में मनोज पुरुषोत्तम सोलंकी नामक युवक ने गाय के गोबर से मोबाइल रेडिएशन रोकने में संभावित सफलता हासिल की है, यही वजह है कि भारत सरकार ने मनोज के प्रोजेक्ट Cow Dung Based Masking Chip को पेटेंट प्रदान किया है. इस चिप को मोबाइल के ऊपर लगाने से दावा किया जा रहा है कि यह है एंटी रेडिएशन चिप मोबाइल रेडिएशन रोकने में पूर्ण रूप से कारगर है.
इंदौर के 10 हजार लोगों ने लगवाई एंटी रेडिएशन चिप: मोबाइल से बढ़ते अंधत्व, बहरापन, अनिद्रा और मनोरोगों के चलते अब मोबाइल से होने वाले संक्रमण की रोकथाम भारतीय देसी गाय के गोबर में पाए जाने वाले अवयव से की जा रही है. दरअसल गुजरात के भुज में रहने वाले मनोज पुरुषोत्तम सोलंकी नामक युवक ने इस दिशा में लगातार 6 साल तक प्रयोग करने के बाद पाया कि गाय के गोबर में कुछ विशेष तत्व मिलकर यदि उसकी चिप को मोबाइल के ऊपर लगा दिया जाता है, तो यह चिप मोबाइल का रेडिएशन सोख लेती है. बार-बार इस प्रयोग को दोहराने के बाद जब हर बार मोबाइल के रेडिएशन रोकने में चिप कारगर सफल हुई तो इस प्रयोग को पेटेंट कराने के लिए भारत सरकार को भेजा गया. भारत सरकार ने बीते साल 20 वर्ष के लिए मनोज पुरुषोत्तम सोलंकी को मोबाइल चिप के जरिए रेडिएशन रोकने के प्रोजेक्ट को पेटेंट करते हुए मान्यता दी है. फिलहाल इस चिप के तैयार करने के बाद मनोज सोलंकी द्वारा बनाई गई चिप को इंदौर में ही करीब 10,000 से ज्यादा मोबाइल में लगा चुके हैं और वे लोगों को लगातार रेडिएशन से बचने के लिए जागरूक भी कर रहे हैं.
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ऐसी बनाई जाती है गोबर से एंटी रेडिएशन चिप: इंदौर में मोबाइल रेडिएशन रोकने के लिए गाय के गोबर की चिप हजारों लोगों को लगवा चुके संजय अग्रवाल का कहना है कि "जिस प्रकार प्राचीन दौर में धार्मिक आयोजनों के पहले घर में गोबर का लेपन होता था और यह लेपन घातक किरणों और प्रदूषण को अवशोषित कर लेता था, इस संकल्पना के आधार पर यह गोबर की चिप काम कर रही है. इसे बनाने के लिए गोबर में कुछ तत्व मिलकर सॉलिड फॉर्म में बदला जाता है और बाद में ऐसे चिप का स्वरूप देकर सुखाया जाता है."