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DAVV में मनाई गई माता अहिल्या बाई की 225वीं पुण्यतिथि

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में माता अहिल्या बाई की 225वीं पुण्यतिथि मनाई गई. इस मौके पर कुलपति रेणु जैन सहित कई कर्मचारी मौजूद रहे.

mata ahilya bai
माता अहिल्या की 225 वीं पुण्यतिथि
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Published : Aug 18, 2020, 4:42 PM IST

इंदौर। पूरे शहर में माता अहिल्या बाई की 225वीं पुण्यतिथि पर विभिन्न आयोजन किए गए. इसी कड़ी में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में भी पुण्यतिथि सादगीपूर्ण तरीके से मनाई गई. कुलपति रेणु जैन ने कर्मचारियों के साथ मिलकर माता की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

कुलपति ने बताया कि 225 वर्ष बाद भी उन्हें देवी और लोक माता के रूप में जाना जाता है, जो उनके सुशासन के चलते ही संभव हो सका है. आज लोग उन्हें 'लोक माता' के नाम से पुकारते हैं. उन्होंने अपने शासन काल में सुशासन की एक नई परिभाषा गढ़ी थी. साथ ही अपना पूरा राज्य भगवान को समर्पित किया था. माता अहिल्या बाई ने हमेशा से ही लोगों की भलाई के लिए काम किया था, जिसकी वजह से लोग उन्हें देवी की तरह पूजते हैं.

इंदौर शहर की पहचान माता अहिल्या की नगरी के रूप में देश भर में प्रसिद्ध है. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का नाम भी माता अहिल्या के नाम पर ही रखा गया है. कुलपति ने कहा कि वह अपने आप को भाग्यशाली समझती हैं, जो उन्हें इस विश्वविद्यालय में काम करने का अवसर मिला. लोगों को माता अहिल्या के दिए संदेशों पर आगे बढ़ना चाहिए और सुशासन का हमेशा पालन करना चाहिए.

इंदौर। पूरे शहर में माता अहिल्या बाई की 225वीं पुण्यतिथि पर विभिन्न आयोजन किए गए. इसी कड़ी में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में भी पुण्यतिथि सादगीपूर्ण तरीके से मनाई गई. कुलपति रेणु जैन ने कर्मचारियों के साथ मिलकर माता की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

कुलपति ने बताया कि 225 वर्ष बाद भी उन्हें देवी और लोक माता के रूप में जाना जाता है, जो उनके सुशासन के चलते ही संभव हो सका है. आज लोग उन्हें 'लोक माता' के नाम से पुकारते हैं. उन्होंने अपने शासन काल में सुशासन की एक नई परिभाषा गढ़ी थी. साथ ही अपना पूरा राज्य भगवान को समर्पित किया था. माता अहिल्या बाई ने हमेशा से ही लोगों की भलाई के लिए काम किया था, जिसकी वजह से लोग उन्हें देवी की तरह पूजते हैं.

इंदौर शहर की पहचान माता अहिल्या की नगरी के रूप में देश भर में प्रसिद्ध है. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का नाम भी माता अहिल्या के नाम पर ही रखा गया है. कुलपति ने कहा कि वह अपने आप को भाग्यशाली समझती हैं, जो उन्हें इस विश्वविद्यालय में काम करने का अवसर मिला. लोगों को माता अहिल्या के दिए संदेशों पर आगे बढ़ना चाहिए और सुशासन का हमेशा पालन करना चाहिए.

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