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MP Narmadapuram जेल परिसर में रहने वाले दो बच्चों का आंगनबाड़ी में दाखिला हुआ तो चहक पड़े

नर्मदापुरम केंद्रीय जेल द्वारा एक नवाचार किया गया है. उम्र कैद की सजा काट रहे दो परिवारों के बच्चों को मनोरंजन, खेलकूद का वातावरण देने के लिए जेल परिसर से बाहर आंगनबाड़ी केंद्र में दाखिला कराया गया है. दोनों बच्चों को जेल के कर्मचारियों की देखरेख में आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचा गया.

two children of jail admitted Anganwadi
जेल परिसर में रहने वाले दो बच्चों का आंगनबाड़ी में दाखिला
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Published : Jan 13, 2023, 5:38 PM IST

जेल परिसर में रहने वाले दो बच्चों का आंगनबाड़ी में दाखिला

नर्मदापुरम। महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से नर्मदापुरम केंद्रीय जेल पहली बार सराहनीय नवाचार कर रही है. केंद्रीय जेल में बंद दोनों बच्चों को भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए जेल परिसर के बाहर की आंगनबाड़ी में दाखिला करवाया गया. उम्रकैद की सजा दो परिवार के बंदी ललिता पत्नी नारायण एवं महिला सोनम पत्नी रविशंकर सजा काट रही हैं. दोनो बंदियों के पति भी जेल में रहकर सजा काट रहे हैं. ललिता पत्नी नारायण की चार वर्ष का बेटा व सोनम का तीन साल की बेटी साथ में जेल में रह रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन : इन बच्चों ने कभी जेल के बाहर का वातावरण नहीं देखा. इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश हैं कि जेल में रह रहे 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को नर्सरी की सुविधा प्रदान कराई जाए. केंद्रीय जेल नर्मदापुरम में बच्चों की संख्या कम होने के कारण यहां नर्सरी की सुविधा नहीं है. इसीलिए दोनों बच्चों के शिक्षा एवं मनोरंजन खेलकूद जैसे वातावरण को प्रदान करने के उद्देश्य से पुलिस लाइन में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में दाखिला कराया गया है. दोनों बच्चों ने कभी केंद्रीय जेल के दीवारों के बाहर का वातावरण नहीं देखा था. जब इन बच्चों को केंद्र जेल के बाहर लेकर जाया गया तो उनका उत्साह देखते ही बना.

बाहर का माहौल देख बच्चे हतप्रभ : जिन बच्चों ने कभी किताबों में जानवर और गाड़ियां देखे थे. वे बाहर के वातावरण को देखकर अचंभित रह गए. नर्मदापुरम केंद्रीय जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया कि पुलिस लाइन में आंगनबाड़ी में दो बच्चों को एडमिशन कराया है. नर्मदापुरम में किन्ही कारणों से यह व्यवस्था चालू नहीं हो पाई थी. 2013 में केंद्र जेल निर्मित हुई. काफी समय से यह प्रयास चल रहे थे और यह प्रयास अब सफल हुए. हमें काफी खुशी हुई है. जब जेल के गेट से बच्चों को बाहर गाड़ी में भेजा गया तो इनके साथ ही अधिकारी भी आंगनबाड़ी तक पहुंचे.

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बच्चों ने नहीं देखी बाहर की दुनिया : इस दौरान बच्चों की प्रतिक्रिया चौंकाने वाली रही. बच्चों ने जेल के बाहर की दुनिया नहीं देखी थी. इसलिए वे काफी उत्साहित दिखे. उन्हें नर्सरी का माहौल देखने को मिला. बेहतर खिलौने साजों सामान देखने को मिला. बच्चे करीब 3 साल से जेल में हैं. इसकी शुरुवात दो बच्चों से हुई है और भी बच्चे आने वाले समय में बढ़ जाएंगे. नर्मदापुरम में इस प्रकार का यह पहला मामला है. दोनों बच्चों के परिजन खुश हैं.

जेल परिसर में रहने वाले दो बच्चों का आंगनबाड़ी में दाखिला

नर्मदापुरम। महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से नर्मदापुरम केंद्रीय जेल पहली बार सराहनीय नवाचार कर रही है. केंद्रीय जेल में बंद दोनों बच्चों को भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए जेल परिसर के बाहर की आंगनबाड़ी में दाखिला करवाया गया. उम्रकैद की सजा दो परिवार के बंदी ललिता पत्नी नारायण एवं महिला सोनम पत्नी रविशंकर सजा काट रही हैं. दोनो बंदियों के पति भी जेल में रहकर सजा काट रहे हैं. ललिता पत्नी नारायण की चार वर्ष का बेटा व सोनम का तीन साल की बेटी साथ में जेल में रह रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन : इन बच्चों ने कभी जेल के बाहर का वातावरण नहीं देखा. इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश हैं कि जेल में रह रहे 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को नर्सरी की सुविधा प्रदान कराई जाए. केंद्रीय जेल नर्मदापुरम में बच्चों की संख्या कम होने के कारण यहां नर्सरी की सुविधा नहीं है. इसीलिए दोनों बच्चों के शिक्षा एवं मनोरंजन खेलकूद जैसे वातावरण को प्रदान करने के उद्देश्य से पुलिस लाइन में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में दाखिला कराया गया है. दोनों बच्चों ने कभी केंद्रीय जेल के दीवारों के बाहर का वातावरण नहीं देखा था. जब इन बच्चों को केंद्र जेल के बाहर लेकर जाया गया तो उनका उत्साह देखते ही बना.

बाहर का माहौल देख बच्चे हतप्रभ : जिन बच्चों ने कभी किताबों में जानवर और गाड़ियां देखे थे. वे बाहर के वातावरण को देखकर अचंभित रह गए. नर्मदापुरम केंद्रीय जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया कि पुलिस लाइन में आंगनबाड़ी में दो बच्चों को एडमिशन कराया है. नर्मदापुरम में किन्ही कारणों से यह व्यवस्था चालू नहीं हो पाई थी. 2013 में केंद्र जेल निर्मित हुई. काफी समय से यह प्रयास चल रहे थे और यह प्रयास अब सफल हुए. हमें काफी खुशी हुई है. जब जेल के गेट से बच्चों को बाहर गाड़ी में भेजा गया तो इनके साथ ही अधिकारी भी आंगनबाड़ी तक पहुंचे.

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बच्चों ने नहीं देखी बाहर की दुनिया : इस दौरान बच्चों की प्रतिक्रिया चौंकाने वाली रही. बच्चों ने जेल के बाहर की दुनिया नहीं देखी थी. इसलिए वे काफी उत्साहित दिखे. उन्हें नर्सरी का माहौल देखने को मिला. बेहतर खिलौने साजों सामान देखने को मिला. बच्चे करीब 3 साल से जेल में हैं. इसकी शुरुवात दो बच्चों से हुई है और भी बच्चे आने वाले समय में बढ़ जाएंगे. नर्मदापुरम में इस प्रकार का यह पहला मामला है. दोनों बच्चों के परिजन खुश हैं.

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