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हिंदी दिवस पर ही होती है हिंदी को बढ़ावा देने की बात, बाकी समय अंग्रेजी पर रहता है ध्यान?

होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा में छात्र हिंदी से जुड़े सवालों पर भी खामोश नजर आये. जिसमें शासकीय स्कूल के अलावा निजी स्कूल के छात्र भी शामिल हैं.

हिंदी दिवस पर ही होती है हिंदी को बढ़ावा देने की बात
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Published : Sep 14, 2019, 11:16 PM IST

होशंगाबाद। देश भर में 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया गया. हिंदी की प्रगति को लेकर राजनेता बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन इस भाषा पर न कोई कार्य हुआ, न ही स्कूलों में इस विषय पर विशेष ध्यान दिया गया. इसकी एक बानगी जिले के सिवनी मालवा में देखने को मिली. जहां छात्र हिंदी से जुड़े सवालों पर भी खामोश नजर आये. जिसमें शासकीय स्कूल के अलावा निजी स्कूल के छात्र भी शामिल हैं.

हिंदी दिवस पर ही होती है हिंदी को बढ़ावा देने की बात
हैरानी की बात ये है कि सरकारी के साथ-साथ निजी स्कूलों में भी हिंदी के शिक्षकों की संख्या न के बराबर है. हिंदी दिवस पर भाषा के विकास पर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन दूसरे ही दिन से अंग्रेजी के विकास पर ध्यान देने लगते हैं. कई भाषाओं की सीखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन मातृभाषा का सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए. इन छात्रों के जवाब और स्कूलों की स्थिति देखने से सरकार के दावे बेमानी लगते हैं.

होशंगाबाद। देश भर में 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया गया. हिंदी की प्रगति को लेकर राजनेता बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन इस भाषा पर न कोई कार्य हुआ, न ही स्कूलों में इस विषय पर विशेष ध्यान दिया गया. इसकी एक बानगी जिले के सिवनी मालवा में देखने को मिली. जहां छात्र हिंदी से जुड़े सवालों पर भी खामोश नजर आये. जिसमें शासकीय स्कूल के अलावा निजी स्कूल के छात्र भी शामिल हैं.

हिंदी दिवस पर ही होती है हिंदी को बढ़ावा देने की बात
हैरानी की बात ये है कि सरकारी के साथ-साथ निजी स्कूलों में भी हिंदी के शिक्षकों की संख्या न के बराबर है. हिंदी दिवस पर भाषा के विकास पर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन दूसरे ही दिन से अंग्रेजी के विकास पर ध्यान देने लगते हैं. कई भाषाओं की सीखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन मातृभाषा का सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए. इन छात्रों के जवाब और स्कूलों की स्थिति देखने से सरकार के दावे बेमानी लगते हैं.
Intro:पूरे देश मे हिंदी दिवस बड़ी धूम धाम से मनाया गया। लेकिन 14 सितम्बर, जी हां आज ही के दिन आप हिंदी दिवस मना, आयोजन कर दुसरे ही दिन भूल जाते है। की हमने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए संकल्प लिया था। क्योकि हम भारतीयों की भूलने की आदत बड़ी अच्छी है। Body:हम आज बड़े बड़े संकल्प लेते है लेकिन कल वही संकल्पों को भूल जाते है। ऐसा ही हिंदी के साथ भी हो रहा है। सरकार हो या हम सब, 14 सितम्बर को, तो हम हिंदी को बढ़ावा देने की बात करते है, लेकिन दूसरे दिन से ही, अंग्रेजी भाषा को आज की महत्ती आवश्यकता बताने लगते है।Conclusion:आप कहना चाहते होंगे, कि ऐसा नही है तो हम आपको बता दे कि यही जानने के लिए होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा में हमारी टीम ने कई हिंदी मीडियम स्कूलों के बच्चो से चर्चा की, लेकिन कोई हिंदी के सवालों का सही जबाब न दे पाया। वही यह जानकार भी हैरानी हुई, कि हिंदी मीडियम के निजी तो दूर शासकीय स्कूलों मैं भी हिंदी विषय के शिक्षक न के बराबर है। देखिए बच्चो को ओर सुनिए उनके जबाबो को, ओर सोचिएगा जरूर की क्या सच मे हम हिंदी दिवस मनाने लायक भी है या नहीं।

बाइट 1 शिवानी सोनी
बाइट 2 मोनिका सोलंकी
बाइट 3 साहिबा खान
बाइट 4 रुपाली कुमारी
बाइट 4 प्रियांशी कुमारी
बाइट 5 भारती मालवीय
बाइट 6 राशल जाट
बाइट 7 अभिषेक लोवंशी
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बाइट 10 मोनू पाल
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