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राष्ट्रीय खेल दिवस 2020: घरों में झाडू-पोछा कर नेशनल प्लेयर बनी सोनम, हौसलों को चाहिए सरकारी मदद का साथ

किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए स्थिति और परिस्थितियां कोई मायने नहीं रखती हैं. बस लक्ष्य को पाने का जुनून और जज्बा ही काफी होता है. हम बात कर रहे हैं इस नेशनल स्पोर्ट्स डे पर ऐसी ही एक 13 साल की मासूम सी लड़की की, जिसके जीवन में संघर्ष के बाद सफलता हासिल की. जो अपने खेल के साथ घरों में जाकर झाड़ू पोछा करके घर चलाती है.

National Volleyball Player Sonam
नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर सोनम
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Published : Aug 29, 2020, 12:16 AM IST

Updated : Aug 29, 2020, 10:48 PM IST

होशंगाबाद। 13 साल की वॉलीबॉल नेशनल प्लेयर सोनम जाटव गर्ल्स स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ती है. सोनम की मां लकवा पीड़ित हैं और बिना सहारे के बिस्तर से नहीं उठ पाती. पूरे घर की जिम्मेदारी सोनम पर ही है, जिसके चलते सुबह स्कूल जाने से पहले वह लोगों के घरों में बर्तन साफ करने जाती है. इससे होने वाली आय से खुद पढ़ रही है और अपने मां के इलाज का खर्च उठा रही है. सोनम के कंधों पर खुद के साथ अपनी बेसहारा मां की भी जिम्मेदारी है. मां के पैरालाइस्ड होने के बाद भी उसने उम्मीद नहीं हारी. सोनम कई नेशनल टूर्नामेंट अपनी प्रतिभा दिखा चुकी है.

नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर सोनम

स्कूल जाने से पहले काम पर जाती है सोनम

सोनम सुबह 6 बजे उठकर सुबह 10 बजे तक घरों में काम करती है और वापस आकर अपने घर का काम करने के बाद स्कूल जाती है. स्कूल का टाइम खत्म होने के बाद शाम 5 बजे से 7 बजे तक स्कूल ग्राउंड में ही खेल का अभ्यास कर शाम 5 बजे घर वापस लौटती है. हालांकि कोरोनावायरस के चलते स्कूल बंद पड़े हुए हैं, इसके बाद भी रोजाना अकेले आकर ग्राउंड पर प्रैक्टिस करती है. साथ ही सोनम को स्पोर्ट्स टीचर बख्तावर खान का पूरा सपोर्ट मिलता है, जो लॉकडाउन में भी सोनम को प्रैक्टिस कराती हैं.

नेशनल प्लेयर होने के बाद भी नहीं मिला सरकारी लाभ

सोनम अभी तक छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडू, मध्यप्रदेश के मुरैना और खरगोन सहित अन्य राज्यों के कुल 9 नेशनल टूर्नामेंट खेल चुकी है. जिसमें एक सिल्वर मेडल जीत चुकी है. लेकिन अभी तक आर्थिक तंगी से जूझ रही सोनम को मदद नहीं मिल सकी, इसको लेकर कई बार स्पोर्ट्स टीचर ने सरकार की मदद के लिए भी कहा, लेकिन सरकार से आज तक कोई भी सरकारी मदद नहीं मिल सकी है.

सोनम ने अपने जज्बे आगे किसी भी परिस्थिति को आड़े नहीं आने दिया. कैसी भी समस्या आई उसके सामने घुटने नहीं टेके और उसका डटकर सामना किया. सोनम के जज्बे को ईटीवी भारत भी सलाम करता है.

होशंगाबाद। 13 साल की वॉलीबॉल नेशनल प्लेयर सोनम जाटव गर्ल्स स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ती है. सोनम की मां लकवा पीड़ित हैं और बिना सहारे के बिस्तर से नहीं उठ पाती. पूरे घर की जिम्मेदारी सोनम पर ही है, जिसके चलते सुबह स्कूल जाने से पहले वह लोगों के घरों में बर्तन साफ करने जाती है. इससे होने वाली आय से खुद पढ़ रही है और अपने मां के इलाज का खर्च उठा रही है. सोनम के कंधों पर खुद के साथ अपनी बेसहारा मां की भी जिम्मेदारी है. मां के पैरालाइस्ड होने के बाद भी उसने उम्मीद नहीं हारी. सोनम कई नेशनल टूर्नामेंट अपनी प्रतिभा दिखा चुकी है.

नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर सोनम

स्कूल जाने से पहले काम पर जाती है सोनम

सोनम सुबह 6 बजे उठकर सुबह 10 बजे तक घरों में काम करती है और वापस आकर अपने घर का काम करने के बाद स्कूल जाती है. स्कूल का टाइम खत्म होने के बाद शाम 5 बजे से 7 बजे तक स्कूल ग्राउंड में ही खेल का अभ्यास कर शाम 5 बजे घर वापस लौटती है. हालांकि कोरोनावायरस के चलते स्कूल बंद पड़े हुए हैं, इसके बाद भी रोजाना अकेले आकर ग्राउंड पर प्रैक्टिस करती है. साथ ही सोनम को स्पोर्ट्स टीचर बख्तावर खान का पूरा सपोर्ट मिलता है, जो लॉकडाउन में भी सोनम को प्रैक्टिस कराती हैं.

नेशनल प्लेयर होने के बाद भी नहीं मिला सरकारी लाभ

सोनम अभी तक छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडू, मध्यप्रदेश के मुरैना और खरगोन सहित अन्य राज्यों के कुल 9 नेशनल टूर्नामेंट खेल चुकी है. जिसमें एक सिल्वर मेडल जीत चुकी है. लेकिन अभी तक आर्थिक तंगी से जूझ रही सोनम को मदद नहीं मिल सकी, इसको लेकर कई बार स्पोर्ट्स टीचर ने सरकार की मदद के लिए भी कहा, लेकिन सरकार से आज तक कोई भी सरकारी मदद नहीं मिल सकी है.

सोनम ने अपने जज्बे आगे किसी भी परिस्थिति को आड़े नहीं आने दिया. कैसी भी समस्या आई उसके सामने घुटने नहीं टेके और उसका डटकर सामना किया. सोनम के जज्बे को ईटीवी भारत भी सलाम करता है.

Last Updated : Aug 29, 2020, 10:48 PM IST
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