होशंगाबाद। भाषा, संस्कृति, भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सौंदर्य ऐसी तमाम चीजें हैं जो मध्यप्रदेश को देश का हृदय प्रदेश बनाती हैं. सतपुड़ा की पहाड़ियों से घिरी पचमढ़ी भी ऐसी ही एक जगह है जो मध्यप्रदेश की खूबसूरती में चार-चांद लगाती है. पहाड़ों की कोख में बसा ये कस्बा होशंगाबाद के पास है. यहां बनी पांच गुफाओं की वजह से इसे पचमढ़ी कहा जाता है. मान्यता है कि इन गुफाओं को पांडवों ने अपने वनवास के दौरान बनाया था.
वहीं जब अंग्रेजों की नजर में ये इलाका आया तो वे यहां छावनी बनाने से खुद को नहीं रोक सके. आखिर क्या वजह थी कि पांडवों के बाद अंग्रेजों को भी यह जगह इतनी रास आई. जब आप पचमढ़ी जाएंगे तो इसका जवाब आपको खुद-ब-खुद मिल जाएगा. चारों ओर हरे-भरे पहाड़ों से घिरे पचमढ़ी में प्रकृति ने वो सभी रंग भर दिए हैं, जो किसी को भी बहकाने के लिए काफी हैं. प्रदूषण मुक्त जंगल के पेड़ों से छनकर आती शीतल हवा, कल-कल करते झरने, सूरज की रोशनी में चांदी सा चमकता झरनों का पानी. ये सारी चीजें मिलकर खूबसूरती की वो सेज तैयार करती हैं जो जमीन पर जन्नत का लुत्फ देती हैं.
यहां मौजूद पांडव गुफाएं, महादेव, जटाशंकर गुफाएं, हांडी खोह जहां धार्मिक एहसास कराती हैं तो वहीं पैराग्लाइडिंग जैसे स्पोर्टस, एडवेंचर्स के शौकीनों का मन मोह लेते हैं. वहीं दूसरी ओर पचमढ़ी की प्राकृतिक खूबसूरती मानसिक शांति खोज रहे लोगों को एक आध्यात्मिक सुकून देती है. यहां मौजूद रजत प्रपात, बी फॉल जैसे झरनों में हो रहीं पानी की अठखेलियां बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के दिलों में बचपन की शरारतें जिंदा कर देती है.