होशंगाबाद। 29 जुलाई यानी आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है.टाइगर स्टेट का खिताब अपने नाम करने वाले मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 526 टाइगर हैं. मध्य प्रदेश में तीन बड़े टाइगर रिजर्व हैं. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, कान्हा और बांधवगढ़ इन तीनों पार्कों में टाइगर का दीदार करने को मिलता है. आज हम आपको सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की खासियत और यहां की पहचान, बाघों का दीदार करा रहे हैं.
क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 2 साल में बाघों का मूवमेंट बढ़ा है. बाघ अब ऐसी जगहों से भी निकल कर आ रहे हैं, जहां कभी गांव हुआ करते थे. बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए पिछले 10 सालों के दौरान 46 गांव का विस्थापन किया गया और जानवरों के लिए 10 हजार 331 हेक्टेयर जमीन मिली है. लिहाजा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघों को विचरण करने की ज्यादा जगह मिल गई है.
2020 में 50 से ज्यादा बाघ
चार साल में होने वाली जनगणना के हिसाब से 2016 में सिर्फ 26 बाघ थे, जो 2020 में 50 से ज्यादा हो चुके हैं. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के गांवों का विस्थापन होने से यहां का पर्यावरण भी बदल गया है. यहां 85 प्रकार की घास को वैज्ञानिक तरीके से लगाया गया था, जो अब वन्य प्राणियों के लिए रहने और खाने के लिए अनुकूल हो गई यही वजह है कि अब यहां जंगली जानवरों ने अपना आशियाना बना लिया है.
पार्क का इलाका अत्यंत दुर्गम
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 524 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मध्य भू-भाग के हाईलेंड ईको सिस्टम का उत्कृष्ठ उदाहरण है. पार्क का इलाका अत्यंत दुर्गम है, इसके अंतर्गत बलुआ पत्थर की चोटियां घने जंगलों के इलाके हैं. राष्ट्रीय पार्क में ही प्रदेश की सबसे बड़ी 1350 मीटर ऊंची धूपगढ़ चोटी है, जहां हर साल 4 लाख पर्यटक पहुंचते हैं. हालांकि कोरोना के चलते इस बार असर देखने को मिला है.
टाइगर रिजर्व से कुछ गांव और खाली होंगे
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में खाली हुए गांव में शाकाहार जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लिहाजा बाघों ने यहां डेरा जमाया हुआ है. टाइगर रिजर्व से कुछ गांव और खाली होना है. इसके लिए बाघ सहित अन्य प्राणियों को सुरक्षित माहौल मिल सकेगा.