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National Science Day: सारिका घारु का गगनयान, स्पेस सूट पर स्पेशल सांग, बच्चे सीख रहे साइंस

नर्मदापुरम की विज्ञान प्रसारिका सारिका घारू ने एक गीत के जरिए बच्चों को स्पेस सूट के बारे में बताया. उन्होंने स्पेस सूट का अंतरिक्ष में कितना महत्व है इसकी जानकारी दी.

sarika gharu sing song on spacesuit
सारिका घारू ने स्पेससूट पर गाना गाया
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Published : Feb 28, 2023, 12:41 PM IST

Updated : Feb 28, 2023, 1:18 PM IST

सारिका घारू ने स्पेससूट पर गाना गाया

नर्मदापुरम। जिले की रहने वाली विज्ञान प्रसारिका सारिका घारू ने एक बार फिर से विज्ञान का महत्व समझाया है. विज्ञान प्रसारिका ने नेशनल साइंस डे पर स्पेस सूट के बारे में गीत के माध्यम से लोगों को जानकारी दी है. उन्होंने स्पेस सूट का अंतरिक्ष में कितना महत्व है इसके बारे में बताया है. भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में चंद्रयान, मंगलयान की सफलता के बाद अब गगनयान की तैयारियां भी जारी है, इसकी जानकारी भी सारिका ने दी. इसमें अंतरिक्ष यात्री द्वारा पहने जाने वाले स्पेस सूट सिर्फ मोटे कपड़े के ही नहीं होते बल्कि ये मानव के आकार का लघुयान की तरह होता है. सारिका घारू ने स्पेस सूट का साइंस आमजन को गीत से समझाया. उन्होंने बताया कि, "स्पेस सूट दो प्रकार के होते हैं. पहले का उपयोग धरती से अंतरिक्ष में जाने और फिर लौटने के लिए किया जाता है, वहीं दूसरा स्पेसवॉक के लिए उपयोग किया जाता है."

ऐसे बनता है स्पेस सूट: नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारिका सारिका ने बताया कि, "स्पेस सूट के कपड़े में लगभग 300 फीट पानी की नलियों को बुना जाता है. इनमें अंतरिक्ष यात्री की त्वचा के पास ठंडा पानी बहता है. स्पेस सूट में दस्ताने इस प्रकार होते हैं कि उंगलियां अच्छे से हिला सकें. इनमें हीटर लगे होते हैं जो उंगलियों को गर्म रखते हैं. स्पेस सूट के लचीले हिस्से 16 लेयर से बने होते हैं. अगली परतें थर्मस की तरह तापमान को बनाए रखती है. सबसे बाहरी सफेद परत जल और अग्नि प्रतिरोधी और बुलेटप्रूफ मटेरियल होता है. स्पेस सूट के पीछे एक बैकपैक होता है, जिसमें उपकरण लगे होते हैं." सारिका ने बताया कि, "इसमें ऑक्सीजन देने और कार्बन डाईआक्साईड को हटाने के यंत्र हैं. बिजली प्रदान करने का यंत्र भी इसमें मौजूद है. पानी ठंडा करने के लिए चिलर पंप होते हैं. हेलमेट के नीचे एक ऑडियो सिस्टम में इयरफोन और माइक्रोफोन होता है. हेलमेट मजबूत प्लास्टिक का बना होता है. इसमें सूरज की तेज किरणों से बचाने के लिए सुरक्षा फिल्टर लगा होता है."

sarika gharu sing song on spacesuit
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से जुड़ी खबरें यहां पढ़ें...

क्यों मनाते हैं साइंस डे: पहला साइंस डे 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था. इसको मनाने का उद्देश्य सर सी.वी रमन को सम्मान देने के साथ आम लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करना है. विज्ञान के महत्व को समझाना, बच्चों को विज्ञान के करियर के रूप में चुनने के लिए प्रोत्साहित करना है. सारिका ने बताया कि, "सर चंद्रशेखर वैंकट रमन ने 28 फरवरी 1928 को अपनी महत्वपूर्ण खोज रमन प्रभाव को सार्वजनिक किया था. उनकी इस खोज के लिए 1930 में उन्हें भौतिकी क्षेत्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनकी इस कामयाबी को याद रखने के लिए भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है." 2023 की थीम 'वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान है".

सारिका घारू ने स्पेससूट पर गाना गाया

नर्मदापुरम। जिले की रहने वाली विज्ञान प्रसारिका सारिका घारू ने एक बार फिर से विज्ञान का महत्व समझाया है. विज्ञान प्रसारिका ने नेशनल साइंस डे पर स्पेस सूट के बारे में गीत के माध्यम से लोगों को जानकारी दी है. उन्होंने स्पेस सूट का अंतरिक्ष में कितना महत्व है इसके बारे में बताया है. भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में चंद्रयान, मंगलयान की सफलता के बाद अब गगनयान की तैयारियां भी जारी है, इसकी जानकारी भी सारिका ने दी. इसमें अंतरिक्ष यात्री द्वारा पहने जाने वाले स्पेस सूट सिर्फ मोटे कपड़े के ही नहीं होते बल्कि ये मानव के आकार का लघुयान की तरह होता है. सारिका घारू ने स्पेस सूट का साइंस आमजन को गीत से समझाया. उन्होंने बताया कि, "स्पेस सूट दो प्रकार के होते हैं. पहले का उपयोग धरती से अंतरिक्ष में जाने और फिर लौटने के लिए किया जाता है, वहीं दूसरा स्पेसवॉक के लिए उपयोग किया जाता है."

ऐसे बनता है स्पेस सूट: नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारिका सारिका ने बताया कि, "स्पेस सूट के कपड़े में लगभग 300 फीट पानी की नलियों को बुना जाता है. इनमें अंतरिक्ष यात्री की त्वचा के पास ठंडा पानी बहता है. स्पेस सूट में दस्ताने इस प्रकार होते हैं कि उंगलियां अच्छे से हिला सकें. इनमें हीटर लगे होते हैं जो उंगलियों को गर्म रखते हैं. स्पेस सूट के लचीले हिस्से 16 लेयर से बने होते हैं. अगली परतें थर्मस की तरह तापमान को बनाए रखती है. सबसे बाहरी सफेद परत जल और अग्नि प्रतिरोधी और बुलेटप्रूफ मटेरियल होता है. स्पेस सूट के पीछे एक बैकपैक होता है, जिसमें उपकरण लगे होते हैं." सारिका ने बताया कि, "इसमें ऑक्सीजन देने और कार्बन डाईआक्साईड को हटाने के यंत्र हैं. बिजली प्रदान करने का यंत्र भी इसमें मौजूद है. पानी ठंडा करने के लिए चिलर पंप होते हैं. हेलमेट के नीचे एक ऑडियो सिस्टम में इयरफोन और माइक्रोफोन होता है. हेलमेट मजबूत प्लास्टिक का बना होता है. इसमें सूरज की तेज किरणों से बचाने के लिए सुरक्षा फिल्टर लगा होता है."

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क्यों मनाते हैं साइंस डे: पहला साइंस डे 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था. इसको मनाने का उद्देश्य सर सी.वी रमन को सम्मान देने के साथ आम लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करना है. विज्ञान के महत्व को समझाना, बच्चों को विज्ञान के करियर के रूप में चुनने के लिए प्रोत्साहित करना है. सारिका ने बताया कि, "सर चंद्रशेखर वैंकट रमन ने 28 फरवरी 1928 को अपनी महत्वपूर्ण खोज रमन प्रभाव को सार्वजनिक किया था. उनकी इस खोज के लिए 1930 में उन्हें भौतिकी क्षेत्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनकी इस कामयाबी को याद रखने के लिए भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है." 2023 की थीम 'वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान है".

Last Updated : Feb 28, 2023, 1:18 PM IST
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