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गुलाब से महकी नर्मदापुरम के किसान की जिंदगी, 800 घरों में करता है डोर-टू-डोर सप्लाई, जानें मुनाफा

नर्मदापुरम जिले के किसान सुधीर वर्मा ने आज से 23 साल पहले गुलाब की खेती शुरू की थी और लोगों के घरों में खुशबू फैलाने का किया. अब वे 800 घरों में डोर-टू-डोर रोज फ्लावर्स की सप्लाई कर मुनाफा कमा रहे हैं. यह एक किसान की सफलता की अनूठी दास्तां है.

rose farming mp gulab kisan
नर्मदापुरम के किसान गुलाब के पौधे की खेती करते हैं
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Published : Mar 13, 2023, 5:36 PM IST

गुलाब से महकी नर्मदापुरम के किसान की जिंदगी

नर्मदापुरम। जिले के एक किसान ने खेती करने से पहले करीबन पूरे देश का भ्रमण किया. इसके बाद उसने खेती की आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल में निपुणता हासिल की और आज मुनाफे की खेती कर रहा है. इतना ही नहीं वह दूसरों को इस खेती में रोजगार भी दे रहा है. दरअसल नर्मदापुरम जिले से 35 किलोमीटर दूर ग्राम तीखड़ के रहने वाले सुनील वर्मा गुलाब के फूलों की खेती कर रहे हैं. वह करीबन इस खेती को 23 सालों से कर रहे हैं. खेती के कामों में उनका परिवार और स्थानीय ग्रामीण भी सहयोग करता है. करीब 12 से 15 लोगों को सुनील ने रोजगार देकर रखा है.

फूलों की खेती से कितना मुनाफा: ईटीवी भारत से बातचीत में नर्मदापुरम के सुनील वर्मा ने बताया कि भारी बारिश, गर्मी या किसी भी प्रकार का मौसम हो फूलों को वह घर-घर तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. 23 साल पहले फूलों की खेती करने से पहले उन्होंने देश का भ्रमण किया. सुनील बताते हैं कि दिल्ली, कोल्हापुर, नागपुर सहित देश के कई स्थानों पर उन्होंने घूम-घूम कर फूलों की खेती के बारे में जाना, सीखा उसके बाद इसकी खेती की. हॉर्टिकल्चर खेती के माध्यम से वह काफी मुनाफा भी कमा रहे हैं. उनका मानना है कि उन्होंने देश का इतना भ्रमण किया कि वह इस खेती में पारंगत हो चुके हैं.

कैसे सीखा गुलाब फूल की खेती करना: साल 2001 से सुनील फूलों की खेती कर रहे हैं. इस खेती को सीखने के लिए वे पूरा भारत घूम चुके हैं क्योंकि उनका मानना है कि "बिना अनुभव के कोई काम नहीं किया जा सकता है. महाराष्ट्र के सांगली, सातारा, कोल्हापुर राष्ट्रपति मुगल गार्डन, नागपुर एनआरसीसी सभी जगह भ्रमण करने के बाद उनसे बहुत सारी चीजें सीखने को मिली. फूलों में कौन से रोग लगते हैं, कब-किस समय छटाई किया जाना चाहिए और कब इसमें पोषक तत्व दिया जाना चाहिए. इन सभी जानकारियों को ले लेकर मैं वर्तमान समय में इन सब का डॉक्टर हो गया हूं. 23 साल में गुलाब की खेती का डॉक्टर बन गया हूं."

एमपी में हो रही खेती से जुड़ी खबरें यहां पढ़ें...

800 घरों में करते हैं फूल सप्लाई: सुनील बताते हैं कि "वर्तमान में 8 एकड़ में मैं गुलाब की खेती कर रहा हूं. इसके निंदाई के लिए भी कर्मी की आवश्यकता पड़ती है. फूल बेचने के लिए मुझे हरदा, नर्मदापुरम, इटारसी जाना पड़ता है. शहर के 800 घरों में फूल सप्लाई मैं करता हूं. जब मैंने इस खेती की शुरुआत की थी तो घर से पेट्रोल के पैसे लेकर जाता था. आज 800 से 900 घर हमारे पास हो गए हैं और हम पूजन के लिए फूल पहुंचाते हैं. 3 से 4 हजार रुपए महीने की बचत हो जाती है. कर्मियों को हम पेमेंट समय पर देते हैं."

कब डालें दवाई: वर्तमान में जो किसान हैं उनको सुनील सलाह देते हैं कि "जो भी मेहनती हैं वे कभी परेशान नहीं हो सकते. वो किसान आज के समय में परेशान है जो दूसरों के ऊपर निर्भर रहता है. 5-7 एकड़ की खेती में 2-3 बार ही दवाई डालना पड़ता है. आप स्वयं भी ये काम कर सकते हैं. इसमें कभी लॉस नहीं होता. जैसे हम गेहूं की खेती 15 से 20 बोरा करते हैं तो उसमें 5 से 6 बोरा खर्च हो जाता है और इसके बाद लागत से लेकर कटाई निंदाई तक की बचत होती है. इसमें किसी प्रकार का नुकसान नहीं है."

गुलाब से महकी नर्मदापुरम के किसान की जिंदगी

नर्मदापुरम। जिले के एक किसान ने खेती करने से पहले करीबन पूरे देश का भ्रमण किया. इसके बाद उसने खेती की आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल में निपुणता हासिल की और आज मुनाफे की खेती कर रहा है. इतना ही नहीं वह दूसरों को इस खेती में रोजगार भी दे रहा है. दरअसल नर्मदापुरम जिले से 35 किलोमीटर दूर ग्राम तीखड़ के रहने वाले सुनील वर्मा गुलाब के फूलों की खेती कर रहे हैं. वह करीबन इस खेती को 23 सालों से कर रहे हैं. खेती के कामों में उनका परिवार और स्थानीय ग्रामीण भी सहयोग करता है. करीब 12 से 15 लोगों को सुनील ने रोजगार देकर रखा है.

फूलों की खेती से कितना मुनाफा: ईटीवी भारत से बातचीत में नर्मदापुरम के सुनील वर्मा ने बताया कि भारी बारिश, गर्मी या किसी भी प्रकार का मौसम हो फूलों को वह घर-घर तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. 23 साल पहले फूलों की खेती करने से पहले उन्होंने देश का भ्रमण किया. सुनील बताते हैं कि दिल्ली, कोल्हापुर, नागपुर सहित देश के कई स्थानों पर उन्होंने घूम-घूम कर फूलों की खेती के बारे में जाना, सीखा उसके बाद इसकी खेती की. हॉर्टिकल्चर खेती के माध्यम से वह काफी मुनाफा भी कमा रहे हैं. उनका मानना है कि उन्होंने देश का इतना भ्रमण किया कि वह इस खेती में पारंगत हो चुके हैं.

कैसे सीखा गुलाब फूल की खेती करना: साल 2001 से सुनील फूलों की खेती कर रहे हैं. इस खेती को सीखने के लिए वे पूरा भारत घूम चुके हैं क्योंकि उनका मानना है कि "बिना अनुभव के कोई काम नहीं किया जा सकता है. महाराष्ट्र के सांगली, सातारा, कोल्हापुर राष्ट्रपति मुगल गार्डन, नागपुर एनआरसीसी सभी जगह भ्रमण करने के बाद उनसे बहुत सारी चीजें सीखने को मिली. फूलों में कौन से रोग लगते हैं, कब-किस समय छटाई किया जाना चाहिए और कब इसमें पोषक तत्व दिया जाना चाहिए. इन सभी जानकारियों को ले लेकर मैं वर्तमान समय में इन सब का डॉक्टर हो गया हूं. 23 साल में गुलाब की खेती का डॉक्टर बन गया हूं."

एमपी में हो रही खेती से जुड़ी खबरें यहां पढ़ें...

800 घरों में करते हैं फूल सप्लाई: सुनील बताते हैं कि "वर्तमान में 8 एकड़ में मैं गुलाब की खेती कर रहा हूं. इसके निंदाई के लिए भी कर्मी की आवश्यकता पड़ती है. फूल बेचने के लिए मुझे हरदा, नर्मदापुरम, इटारसी जाना पड़ता है. शहर के 800 घरों में फूल सप्लाई मैं करता हूं. जब मैंने इस खेती की शुरुआत की थी तो घर से पेट्रोल के पैसे लेकर जाता था. आज 800 से 900 घर हमारे पास हो गए हैं और हम पूजन के लिए फूल पहुंचाते हैं. 3 से 4 हजार रुपए महीने की बचत हो जाती है. कर्मियों को हम पेमेंट समय पर देते हैं."

कब डालें दवाई: वर्तमान में जो किसान हैं उनको सुनील सलाह देते हैं कि "जो भी मेहनती हैं वे कभी परेशान नहीं हो सकते. वो किसान आज के समय में परेशान है जो दूसरों के ऊपर निर्भर रहता है. 5-7 एकड़ की खेती में 2-3 बार ही दवाई डालना पड़ता है. आप स्वयं भी ये काम कर सकते हैं. इसमें कभी लॉस नहीं होता. जैसे हम गेहूं की खेती 15 से 20 बोरा करते हैं तो उसमें 5 से 6 बोरा खर्च हो जाता है और इसके बाद लागत से लेकर कटाई निंदाई तक की बचत होती है. इसमें किसी प्रकार का नुकसान नहीं है."

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