होशंगाबाद। जिले के पचमढ़ी में सतपुड़ा के जंगलों में लगने वाले नागद्वारी मेले की शुरुआत हो चुकी है. हर साल लगने वाला ये मेला सतपुड़ा के जंगल के बीचो-बीच स्थित नाग मंदिर पर लगता है, जहां जाने का रास्ता साल में एक बार ही खुलता है. यहां दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु इस प्रसिद्ध स्थान को मिनी अमरनाथ के नाम से भी जानते हैं.
साल में एक बार खुलता है मंदिर जाने का रास्ता, पहाड़ियों के बीच लगता है मेला
पचमढ़ी में सतपुड़ा की वादियों में स्थित नाग मंदिर पर सालाना लगने वाले नागद्वारी मेले की शुरुआत हो गई है, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व द्वारा साल में केवल एक बार ही इस रास्ते को खोला जाता है.
सतपुड़ा के जंगल
होशंगाबाद। जिले के पचमढ़ी में सतपुड़ा के जंगलों में लगने वाले नागद्वारी मेले की शुरुआत हो चुकी है. हर साल लगने वाला ये मेला सतपुड़ा के जंगल के बीचो-बीच स्थित नाग मंदिर पर लगता है, जहां जाने का रास्ता साल में एक बार ही खुलता है. यहां दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु इस प्रसिद्ध स्थान को मिनी अमरनाथ के नाम से भी जानते हैं.
Intro:सतपुड़ा के जंगल के बीचो-बीच बने नाग देवता के मंदिर पर नागद्वारी मेला का की शुरुआत हो चली है साल में एक बार खुलने वाला रास्ते पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व द्वारा साल में केवल एक बार ही इस रास्ते को खोला जाता है जहां -दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु मिनी अमरनाथ भी कहते हैं
Body:5 अगस्त तक चलने वाले इस मेले के लिए प्रशासन द्वारा विशेष रूप से इंतजाम किए गए हैं यह मेला पचमढ़ी सतपुड़ा के जंगल के बीचोबीच लगता है मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 14 किलोमीटर दुर्गम पहाड़ी के बीच आना जाना होता है और इसके लिए केवल एक ही रास्ता है जिससे श्रद्धालु आते जाते है विशेष रूप से महाराष्ट्र के नागपुर जिले के श्रद्धालु पोछते हैं यह मेला पूरी तरीके से पूरी तरह से प्राकृतिक पर निर्भर है यहां पानी के स्त्रोत भी पूरी तरह प्राकृतिक रूप से ही मिलते है यहां श्रद्धालुओं को में दुर्गम रास्ते से होते हुए पहुंचना पड़ता है
Conclusion:नागद्वारी की 14 किलोमीटर की यात्रा पूरी तरह पैदल करनी होती है जिसके लिए 2 से 3 दिन भी लग जाते हैं शासन द्वारा मेले के लिए विशेष रूप से व्यवस्थाएं की हैं करीब 600 से अधिक जवान मेले की व्यवस्थाओं में लगाए गए हैं।
बाइट 01 श्रद्धालु
02 श्रद्धालु
03 मदन मोहन रघुवंशी(एसडीएम ,पिपरिया)
Body:5 अगस्त तक चलने वाले इस मेले के लिए प्रशासन द्वारा विशेष रूप से इंतजाम किए गए हैं यह मेला पचमढ़ी सतपुड़ा के जंगल के बीचोबीच लगता है मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 14 किलोमीटर दुर्गम पहाड़ी के बीच आना जाना होता है और इसके लिए केवल एक ही रास्ता है जिससे श्रद्धालु आते जाते है विशेष रूप से महाराष्ट्र के नागपुर जिले के श्रद्धालु पोछते हैं यह मेला पूरी तरीके से पूरी तरह से प्राकृतिक पर निर्भर है यहां पानी के स्त्रोत भी पूरी तरह प्राकृतिक रूप से ही मिलते है यहां श्रद्धालुओं को में दुर्गम रास्ते से होते हुए पहुंचना पड़ता है
Conclusion:नागद्वारी की 14 किलोमीटर की यात्रा पूरी तरह पैदल करनी होती है जिसके लिए 2 से 3 दिन भी लग जाते हैं शासन द्वारा मेले के लिए विशेष रूप से व्यवस्थाएं की हैं करीब 600 से अधिक जवान मेले की व्यवस्थाओं में लगाए गए हैं।
बाइट 01 श्रद्धालु
02 श्रद्धालु
03 मदन मोहन रघुवंशी(एसडीएम ,पिपरिया)