नर्मदापुरम। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बायसन( गोर) की संख्या में इजाफा हुआ है. एसटीआर क्षेत्र में करीब 5 हजार से अधिक बायसन है. अब इन बायसनों को एक प्रोजेक्ट के तहत संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में छोड़ा जाएगा. जिसको लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. एसटीआर क्षेत्र से 15 बायसन (गोर) और कान्हा टाइगर रिजर्व से 35 बायसानों को शिफ्ट करने की तैयारियां चल रही है. इस प्रोजेक्ट के तहत एक साल में इन बायसानों को संजय टाइगर रिजर्व सीधी में शिफ्ट किया जाएगा. जिसको लेकर टीम ने सर्वे भी कर लिया है.
35 संजय रिजर्व जाएंगे बायसन: एसटीआर के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्ण मूर्ति के अनुसार मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत बायसनों( गोर) को संजय टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाना है. जिसमें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एवं कान्हा टाइगर रिजर्व से संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 50 गोर छोड़े जाएंगे. संजय टाइगर रिजर्व में छोड़े जाने वाले बायसनों में कान्हा टाइगर रिजर्व से 35 संजय टाइगर रिजर्व जाएंगे तो वहीं 15 बायसन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से संजय टाइगर रिजर्व में पहुंचाए जाएंगे. इसको लेकर तैयारियां पूरी भी कर ली गई है. साथ ही टीम द्वारा सेलेक्ट किया गया है, जिन्हें जल्द ही शिफ्ट किया जाएगा.
सतपुड़ा रिजर्व में चल रही तैयारियां: एल कृष्ण मूर्ति ने बताया की इसी साल में इस प्रोजेक्ट को होना है. इसको लेकर प्रारंभिक तैयारियां कान्हा टाइगर रिजर्व में चल रही है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में भी वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट इंडिया से वैज्ञानिक आए थे. टीम द्वारा बायसन (गोर) को यहां सिलेक्ट किया गया है. फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि यह पहली बार हो रहा है. जब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बायसन(गोर) को दूसरे टाइगर रिजर्व के लिए ले जाया जा रहे हैं. उन्होंने बताया की वहीं इनकी संख्या भी अधिक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बढ़ी है. एसटीआर क्षेत्र में बायसनों की संख्या मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा इंडियन गोर की संख्या सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में ही है. इनकी संख्या यहां करीब 5 हजार से अधिक संख्या है.
वजन में भारी होते हैं बायसन: बायसनों को शिफ्ट करना एक चुनौती का काम है. ज्यादा वजन होने से कड़ी मशक्कत के बाद इन्हें एक टाइगर रिजर्व से दूसरे टाइगर रिजर्व छोड़ना काफी मेहनत का काम होगा. जानकारी के अनुसार इनका वजन सबसे अधिक होता है. जंगल में सबसे बड़ा और भारी जानवर भी बायसन ही होता है. जिसे शिफ्ट करना चुनौती होगा. इस वन्य परिक्षेत्र क्षेत्र में हिमालय में पाई जाने वाली वनस्पतियों में 26 प्रजातियां और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियां सतपुड़ा वन क्षेत्र में भी भरपूर पाई जाती है. इसलिये विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है. कुछ प्रजातियां जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बांस, हिसालू, दारूहल्दी सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं. इसी तरह पश्चिमी घाट और सतपुड़ा दोनों जगह जो प्रजातियां मिलती हैं, उनमें लाल चंदन मुख्य हैं. सिनकोना का पौधा, जिससे मलेरिया की दवा कुनैन बनती है, यहां बड़े संकुल में मिलता है.
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1 साल में होंगे शिफ्ट: रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए काम किए गए हैं. इसके लिए पिछले लंबे समय से उनके रहवास भोजन आदि प्रबंधन पर काम हुआ है. जिसकी बदौलत अब बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का करीब 2150 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से पिछले एक दशक के दौरान 50 से अधिक वन्य ग्रामों को खाली कराया गया. वहां रहने वाले लोगों को दूसरे स्थानों पर विस्थापित किया गया. करीब 11 हजार हेक्टेयर भूमि को बाघों के रहवास के लिए बनाया गया. 85 प्रकार की घास लगाकर शाकाहारी वन्य प्राणियों के पोष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई. पेंच टाइगर रिजर्व से करीब 1600 चीतल सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़े गए. फील्ड डायरेक्टर एल कृष्ण मूर्ति ने बताया की एक प्रोजेक्ट के तहत बायसनो (गोर) को शिफ्ट किया जाना है. एक साल में यह शिफ्ट किए जाएंगे. इसको लेकर टीम द्वारा भी सलेक्ट किया गया है. 35 बायसन कान्हा टाइगर रिजर्व एवं 15 एसटीआर से शिफ्ट किए जाएंगे.