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लॉकडाउन ने बिगाड़ा मसाले का उत्पादन करने वाले किसानों का स्वाद, नहीं मिला बाजार - covid 19 tracker

लॉकडाउन ने खाने को स्वादिष्ट बनाने और जायका बढ़ाने वाले मसालों का उत्पादन करने वाले किसानों का स्वाद भी बिगाड़ दिया है.

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Published : May 25, 2020, 10:42 PM IST

होशंगाबाद। लॉकडाउन के चलते जहां कई मजदूर, गरीब, किसान और व्यापारी परेशान हैं, वहीं इस लॉकडाउन के असर से मसाले का बाजार भी अछूता नहीं रहा है. लॉकडाउन ने खाने को स्वादिष्ट बनाने और जायका बढ़ाने वाले मसाले का उत्पादन करने वाले किसानों का स्वाद भी बिगाड़ दिया है. किसानों की जेब पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. लिहाजा उन्हें मासालों का उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.

किसानों को नहीं मिल रहे खरीददार

होशंगाबाद की मिट्टी उपजाऊ है, इस जमीन को गेहूं, चना सहित दूसरी फसलों के साथ मसालों की खेती करने का भी वरदान प्राप्त है. जिसके चलते जिले में मिर्ची की खेती सहित हल्दी और धनिया की खेती की जाती है. जिले के कई गांव के किसान जिनकी आय का मुख्य साधन मिर्च का उत्पादन है. वो इस पैदावार को लोकल हाट बाजार में बेचकर मुनाफा कमाते लेते थे.

इस बार लॉकडाउन के चलते हाट बाजार नहीं लगाए जा रहे हैं, जिससे इनके मसाले बेचने को बाजार भी नहीं मिल पा रहा है. वहीं मंडियों में भी खरीदार मौजूद नहीं हैं. जिसका सीधा असर इनकी जेब पर भी पड़ रहा है. लिहाजा किसान घरों पर ही मसाले रखने को मजबूर है. ऐसे में अब मसालों को बेचने के लिए किसानों ने नया तरीका अपना लिया है. किसान शहरों के मोहल्लों, कॉलोनियों में बाइक से जाकर मिर्च, धनिया बेच रहे हैं. हालांकि खरीददार नहीं मिलने से किसानों ने मसालों के रेट भी कम कर दिए हैं, जो मसाले पहले 150 से 200 रुपए में बेचे जाते थे, वो अब 70-100 रुपए में बिक रहे हैं.

होशंगाबाद। लॉकडाउन के चलते जहां कई मजदूर, गरीब, किसान और व्यापारी परेशान हैं, वहीं इस लॉकडाउन के असर से मसाले का बाजार भी अछूता नहीं रहा है. लॉकडाउन ने खाने को स्वादिष्ट बनाने और जायका बढ़ाने वाले मसाले का उत्पादन करने वाले किसानों का स्वाद भी बिगाड़ दिया है. किसानों की जेब पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. लिहाजा उन्हें मासालों का उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.

किसानों को नहीं मिल रहे खरीददार

होशंगाबाद की मिट्टी उपजाऊ है, इस जमीन को गेहूं, चना सहित दूसरी फसलों के साथ मसालों की खेती करने का भी वरदान प्राप्त है. जिसके चलते जिले में मिर्ची की खेती सहित हल्दी और धनिया की खेती की जाती है. जिले के कई गांव के किसान जिनकी आय का मुख्य साधन मिर्च का उत्पादन है. वो इस पैदावार को लोकल हाट बाजार में बेचकर मुनाफा कमाते लेते थे.

इस बार लॉकडाउन के चलते हाट बाजार नहीं लगाए जा रहे हैं, जिससे इनके मसाले बेचने को बाजार भी नहीं मिल पा रहा है. वहीं मंडियों में भी खरीदार मौजूद नहीं हैं. जिसका सीधा असर इनकी जेब पर भी पड़ रहा है. लिहाजा किसान घरों पर ही मसाले रखने को मजबूर है. ऐसे में अब मसालों को बेचने के लिए किसानों ने नया तरीका अपना लिया है. किसान शहरों के मोहल्लों, कॉलोनियों में बाइक से जाकर मिर्च, धनिया बेच रहे हैं. हालांकि खरीददार नहीं मिलने से किसानों ने मसालों के रेट भी कम कर दिए हैं, जो मसाले पहले 150 से 200 रुपए में बेचे जाते थे, वो अब 70-100 रुपए में बिक रहे हैं.

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