होशंगाबाद। जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार गर्ग ने किसानों को आगामी खरीफ सीजन के लिए सम सामयिक सलाह दी है. डॉ. गर्ग ने बताया कि होशंगाबाद में मुख्य रूप से धान की बुवाई की जाती है. धान कम अवधि की उन्नत किस्म जैसे जे आर. 201, जे आर. 206, जे.आर. 81, जे. आर. 676, एम यू.टी. 10–10, दन्तेश्वरी, सहभागी और मध्यम अवधि की किस्में क्रांति, महामाया, आई.आर.36 और 64 पूसा बासमति एक और पूसा सुगंधा 5. पी.एस. 3. पी. एस. 4. पी.ए.6129, पी.ए. 6201 की बुवाई या रोपाई करें.
बीज उपचार फफूंदनाशी रोपा डालने से पूर्व बीज को स्यूडोमोनास फ्लोरेंसिस- 4. एस. एफ 30 वीटावेक्स और कीटनाशी थायोमिथाक्जाम 4 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिए, मृदा परीक्षण परिणाम के आधार पर संतुलित उर्वरक 100:60:40 नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग और उपयुक्त प्रति हैक्टेयर .ग्रा. नीदानाशक दवा से खरपतवार का प्रबंधन करे.
धान का विकल्प यह फसलें
जिन किसान भाइयों के खेत धान के लिए उपर्युक्त नहीं है और धान के अलावा दूसरी फसलों की बुवाई करना चाहते है वह किसान भाई विकल्प के रूप में मक्का, ज्वार, मूंग, उड़द, तिल और अरहर फसलों का बुवाई के लिए चयन कर सकते है यह फसलें खरीफ सीजन के लिए उपर्युक्त और अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाई जा सकती है.
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ज्वार के लिए सलाह
ज्वार की बुआई के लिए जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक उपयुक्त समय है. ज्वार के बीज की मात्रा सामान्य संकुल (किस्मों के लिए 10-12 कि.ग्रा. और संकर किस्मों के लिए 8-9 कि.ग्रा/ हैक्टर उपयुक्त रहती है प्रमुख किस्में जेजे 741, जेजे 938, जेजे 1041, जीजे 38, जीजे 39, जीजे 40, जीजे 41, एसपीवी 96, एसपीवी 881, सीओ 24, 35, सीओ 25, सीओ 26, सीओ 27, सीओ एस 28) आदि प्रमुख हैं.
उड़द और मूंग के लिए सलाह
किसान भाइयों को सलाह दी गई है कि देर से मानसून की स्थिति में उड़द और मूंग की बुवाई समान्यत: 5 जुलाई के बाद 20-25 जुलाई तक करना चाहिए, उड़द की उन्नत किस्म जेयू-86, पीयू 31, पीयू-19 पीयू-1 और आईपीयू 94-1 के साथ कूड और नाली विधि से बुवाई करें.
अरहर की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में जैसे राजीव लौचन, टी.जे.टी 501, आई.पी.पी.एल 87 और राजेशवरी किस्मों का प्रयोग करें और बीज उपचार के बाद जून के आखिरी सप्ताह या जुलाई प्रथम सप्ताह तक क्रम से बुवाई करें, यदि किसान भाई सोयाबीन की बोवनी करना चाहते है तो रेज्डबेड और रिजफरों पद्धति से बोवनी करे, जिससे अधिक मात्रा में पानी गिरने पर फसलों को नुकसान नहीं हो या पानी की कमी पर पर्याप्त नमी बनी रहे, किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंसा के अनुसार संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें.