नर्मदापुरम। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा अपनी कथाओं को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. रायसेन किले के ताले में बंद भगवान शंकर की बात हो या फिर और कोई और मामला. दो दिन पहले भी पंडित प्रदीप मिश्रा फिर सुर्खियों में रहे. उन्होंने संविधान बदलने की बात कही थी. इसके बाद दलित वर्ग के लोगों ने उनके भजन पर आपत्ति जताई थी. इसे लेकर एक स्थानीय कार्यक्रम में पंडित मिश्रा ने अपने भजन को लेकर सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि भजन में एक भाव कहा गया है, जिसमें समय की अवस्था देखकर बाबा साहब ने भी कहा है कि समय के अनुसार बदलाव किया जा सकता है.
अपने भजन का भाव बताया : एक निजी स्थानीय कार्यक्रम में पंडित मिश्रा ने अपने भजन को लेकर सफाई देते हुए कहा है कि भजन में ऐसा कुछ भी नहीं था. भजन के अंतर्गत समय की अवस्था को देखते हुए बाबा साहब अंबेडकर जी ने भी अपने संविधान के अंतर्गत ऐसा ही लिखा है. इसमें कहा गया है कि समय की अनुकूलता में भी कभी भी समय ऐसा लगता है तो बदलाव किया जा सकता है. परंतु उस भजन के अंतर्गत कुछ भी ऐसी बात नहीं है, जिसमे संविधान को कोई अपशब्द कहा गया हो या कोई बात कही गई हो. उसके अंतर्गत सिर्फ यही कहा गया है कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है. यदि उसमे कुछ गलत हो तो माफी मांग सकता हूँ.
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नर्मदा में होने वाले प्रदूषण को रोकना चाहिए : दरअसल, 3 मई से 9 मई तक नर्मदापुरम के सेमरी हरचंद में पंडित प्रदीप मिश्रा कथा वाचन कर रहे हैं. जिसमें नर्मदा शिव महापुराण की कथा वाचन के समय में उन्होंने यह बात कही. उन्होंने भजन गाते हुए कहा कि सोने की चिड़िया को अब सोने का शेर बनाना है. संविधान को बदलो हमको हिंदू राष्ट्र बनाना है.. जय हो हिंदुस्तान, मेरे प्यारे हिंदुस्तान, हो जय हो हिंदुस्तान, मेरे प्यारे हिंदुस्तान. कविता की चार लाइनों के माध्यम से पंडित प्रदीप मिश्रा ने सेमरी हरचंद में कथा के दौरान यह बात कही थी.
(Katha vachak Pandit Pradeep Mishra clarified) (Pandit Pradeep Mishra clarified on making Hindu nation)