होशंगाबाद। इटारसी के श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कड़गंज में निरंतर द्वादश ज्योर्तिलिंग अभिषेक और पूजन महोत्सव हो रहा है. मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे बताया कि वारूणी और अस्सी नदियों का संगम स्थल जो गंगा का मिलन केंद्र हैं ये प्राचीन तीर्थ स्थान वाराणसी कहलाता है. वाराणसी के अलावा इस नगरी का नाम काशी भी है, यहां पहले काश जाति के लोग रहते थे.
पंडित दुबे ने बताया, काशी नगरी मोक्ष का प्रकाश और ज्ञान दात्री है. यहां के निवासी किसी भी तीर्थ स्थान की यात्रा किए बिना ही मुक्ति के हकदार हो जाते हैं. काशी (वाराणसी) में जिनके प्राण जाते हैं, उन्हें मोक्ष ही मिलता है और यहां पर किए गए सत्कर्त कई कल्पों तक समाप्त नहीं होते हैं. यहां देवता भी मृत्यु की कामना करते हैं. वाराणसी में करीब 1500 मंदिर हैं और काशी में विश्वनाथ मंदिर का शिखर 100 फिट ऊंचा है. हिंदू महारानी और होल्कर राजवंश की अद्वितीय प्रतिभा अहिल्या बाई ने काशी विश्वनाथ मंदिर का कार्य पूर्ण कराया. काशी के बारे में कहा जाता है कि पूरी दुनिया प्राकृतिक विनाश में चली जाए, लेकिन काशी बची रहेगी.
वेदकाल से ही ओजस्वी काशी
धार्मिक मान्यता के मुताबिक काशी के संरक्षण का दायित्व काल भैरव और दंडपानी निरंतर निभा रहे हैं. मुस्लिम शासकों ने कई बार काशी को तबाह करने का प्रयास किया, उन्होंने कई धार्मिक स्थलों को हानि पहुंचाई लेकिन भक्तों ने काशी को फिर खड़ा कर दिया. काशी विश्वनाथ से प्रसन्न होकर महाराजा रंजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित (सोने से जड़वाना) कराया. काशी वेदकाल से ही ओजस्वी चली आ रही है. अंग्रेजों और मराठों के शासनकाल में बनारस का वैभव निरंतर बढ़ा है. जैन और बौद्ध धर्मियों ने इस तीर्थ स्थान के वैभव में चार चांद लगा दिए. काशी के पवित्र स्थान की यात्रा कर भेंट देने के लिये हिंदू श्रद्धालु यहां आते हैं.
मोक्ष पाने विदेश से आते हैं लोग
अनेक धार्मिक कार्य संपन्न करके वह स्वयं को धन्य मानते हैं, इसके अलावा दुनिया के कई देशों के अनेक धर्मों के अनुयायी यहां आकर काशी विश्वनाथ के दर्शन करते हैं. कई विदेशी भी मोक्ष पाने के लिये काशी में आते हैं. काशी क्षेत्र और विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग विश्व का अति पवित्र श्रद्धा स्थान है. यहां का गंगोदत भू-लोक का अमृत है. काशी विश्वनाथ का ज्योर्तिलिंग दुनिया में अनूठा और अद्भुत है, इसके पास ही गंगा धनुष आकार लेती है, जिसका वैभव वैदिक काल से चला आ रहा है. आयोजन में अभिषेक पूजन पं. सत्येन्द्र पांडे और पं. पीयूष पांडे द्वारा प्रतिदिन कराया जा रहा है.