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खरीफ के बाद रबी की फसल पर संकट, किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया

मध्यप्रदेश का किसान यूरिया को लेकर काफी परेशान है. होशंगाबाद में भी किसानों को यूरिया की कमी खल रही है.

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Published : Dec 17, 2019, 11:51 PM IST

-lack of urea in hoshangabad
किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया

होशंगाबाद। मध्यप्रदेश में किसान यूरिया खाद्य को लेकर परेशान हो रहा है. सहकारी संस्थाओं पर यूरिया नहीं मिल रहा है. खरीब सीजन की फसल को अतिवृष्टि ने बर्बाद कर दिया. अब रबी सीजन की फसल के लिए किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिच गई हैं.

किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया

बारिश होने के बाद किसान गेहूं की फसल को मजबूत करने के लिए यूरिया को लेकर जद्दोजहद कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल को मजबूती प्रदान करने के लिए यूरिया की सख्त जरूरत है, लेकिन यूरिया खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है. सहकारी संस्थाओं पर यूरिया पर खाद्य लेने पहुंच रहे किसानों के साथ दुर्वेव्यवहार किया जा रहा है.

किसानों का कहना है कि वह सुबह से सहकारी संस्थाओं पर लाइन में लगते हैं. इसके बाद भी उन्हें निराशा हाथ लगती और मजबूरन उन्हें वापस घर लौटना पड़ता है. यह पूरे जिले के हाल हैं.

होशंगाबाद। मध्यप्रदेश में किसान यूरिया खाद्य को लेकर परेशान हो रहा है. सहकारी संस्थाओं पर यूरिया नहीं मिल रहा है. खरीब सीजन की फसल को अतिवृष्टि ने बर्बाद कर दिया. अब रबी सीजन की फसल के लिए किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिच गई हैं.

किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया

बारिश होने के बाद किसान गेहूं की फसल को मजबूत करने के लिए यूरिया को लेकर जद्दोजहद कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल को मजबूती प्रदान करने के लिए यूरिया की सख्त जरूरत है, लेकिन यूरिया खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है. सहकारी संस्थाओं पर यूरिया पर खाद्य लेने पहुंच रहे किसानों के साथ दुर्वेव्यवहार किया जा रहा है.

किसानों का कहना है कि वह सुबह से सहकारी संस्थाओं पर लाइन में लगते हैं. इसके बाद भी उन्हें निराशा हाथ लगती और मजबूरन उन्हें वापस घर लौटना पड़ता है. यह पूरे जिले के हाल हैं.

Intro:रबी सीजन की बोवनी के बाद किसानों को यूरिया के लिए परेशान होना पड़ रहा है। सोसायटियों में किसानों को यूरिया खाद नहीं मिल रही है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले सोयाबीन की फसल अधिक बारिश की भेंट चढ़ गई। जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ था। जिसकी भरपाई के लिए रबी सीजन की बोवनी कर लाभ कमाते हैं। ऐसे में समय पर यूरिया खाद नहीं मिलने से किसानों को काफी परेशानी हो रही है। खेती के समय यूरिया की समस्या एक बार फिर किसानों के सिर चढ़कर बोल रही है। Body:तहसील प्रशासन व कार्यदायी संस्थाओं पर उसकी कालाबाजारी का आरोप लगना आम बात हो गई है। बारिश होने के बाद किसान गेहूं की फसल को मजबूत करने के लिए यूरिया को लेकर जद्दोजहद कर रहे हैं। यूं तो प्रशासन का दावा है, कि सभी सहकारी समितियों पर यूरिया खाद उपलब्ध हो जाएगा। वैसे देखा जाए तो ऐसा कोई साल नहीं जाता जब किसानों को डीएपी व यूरिया के लिए परेशानी न उठानी पड़ती हो। ऐसे में तमाम आरोप लगते भी हैं।Conclusion:किसानो का कहना है, कि गेहूं की फसल को मजबूती प्रदान करने के लिए यूरिया की सख्त जरूरत है। लेकिन यूरिया खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। रात से यूरिया के लिए लाइन लगानी पड़ रही है परन्तु सुबह जब यूरिया वितरण प्रारंभ होता है तो अधिकारी दस्तावेजों में कमी बता यूरिया देने से इंकार कर देते है। किसानों में यूरिया के लिए मारा - मारी मची हुई है। अगर विभाग के पास यूरिया उपलब्ध है तो किसानों को समय से क्यों नहीं मिल रहा है।

बाइट-रामसंजीवन यादव पीड़ित किसान
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