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अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को पूर्व नपा अध्यक्षों ने नकारा, ईटीवी भारत से कही ये बात

नगरीय निकायों में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने के नियम पर होशंगाबाद के नगर पालिका के पूर्व अध्यक्षों ने ईटीवी भारत से बातचीत की है.

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Published : Oct 16, 2019, 5:58 PM IST

प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली पर नपा के पूर्व अध्यक्षों के सुझाव

होशंगाबाद। नगरीय निकायों में पार्षदों की मजबूती के लिए कैबिनेट ने एक ओर जहां अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का कदम उठाया है. वहीं दूसरी ओर अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुने गए अध्यक्ष पर हमेशा दरहेगा. ईटीवी भारत की टीम ने होशंगाबाद के सिवनी-मालवा में बुधवार को नगर पालिका अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्षों सहित अध्यक्ष पद के दावेदारों से चर्चा की. इस दौरान सभी ने अपने कार्यकाल के अनुभव भी साझा किए.

प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली पर नपा के पूर्व अध्यक्षों के सुझाव

नपा के पूर्व अध्यक्षों से जब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली में से बेहतर प्रणाली के बारे में पूछा गया तो अधिकांश प्रत्यक्ष प्रणाली के पक्ष में रहे. उनका मानना है कि प्रत्यक्ष प्रणाली में अध्यक्ष को पूरा शहर चुनता है और जनता की भागीदारी रहती है. इससे उसकी जबावदेही भी पूरे शहर के प्रति रहती है.

वहीं पूर्व अध्यक्षों ने कहा कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से पार्षद मजबूत हो जाएंगे और अध्यक्ष पर दबाव भी बना रहेगा, कुर्सी से हटाने के लिए सौदेबाजी भी हावी हो सकती है और भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता.

होशंगाबाद। नगरीय निकायों में पार्षदों की मजबूती के लिए कैबिनेट ने एक ओर जहां अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का कदम उठाया है. वहीं दूसरी ओर अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुने गए अध्यक्ष पर हमेशा दरहेगा. ईटीवी भारत की टीम ने होशंगाबाद के सिवनी-मालवा में बुधवार को नगर पालिका अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्षों सहित अध्यक्ष पद के दावेदारों से चर्चा की. इस दौरान सभी ने अपने कार्यकाल के अनुभव भी साझा किए.

प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली पर नपा के पूर्व अध्यक्षों के सुझाव

नपा के पूर्व अध्यक्षों से जब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली में से बेहतर प्रणाली के बारे में पूछा गया तो अधिकांश प्रत्यक्ष प्रणाली के पक्ष में रहे. उनका मानना है कि प्रत्यक्ष प्रणाली में अध्यक्ष को पूरा शहर चुनता है और जनता की भागीदारी रहती है. इससे उसकी जबावदेही भी पूरे शहर के प्रति रहती है.

वहीं पूर्व अध्यक्षों ने कहा कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से पार्षद मजबूत हो जाएंगे और अध्यक्ष पर दबाव भी बना रहेगा, कुर्सी से हटाने के लिए सौदेबाजी भी हावी हो सकती है और भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता.

Intro:नगरीय निकाय: नपा के अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्षों बोले महंगा हो जाएगा नगरीय निकाय का चुनाव, जानिये क्यों?...
नगरीय निकायों में पार्षदों की मजबूती के लिए कैबिनेट ने एक ओर जहां अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का कदम उठाया है। वहीं दूसरी ओर इस प्रणाली के तहत चुने अध्यक्ष पर दबाव और अविश्वास प्रस्ताव आने की आशंकाएं लोग जताने लगे हैं। हमारी टीम ने होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा में बुधवार को नगर पालिका अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्षों सहित अध्यक्ष पद के दावेदार रहे लोगों से चर्चा की तो अध्यक्षों ने अपनी कार्यकाल के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने कहा, अप्रत्यक्ष प्रणाली से पार्षद मजबूत हो जाएंगे और अध्यक्ष पर दबाव भी बना रहेगा। लेकिन कुर्सी से हटाने के लिए सौदेबाजी भी हावी रहेगी और भ्रष्टाचार बढऩे की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
Body:नपा के पूर्व अध्यक्षों से जब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली में से बेहतर प्रणाली के बारे में जाना तो अधिकांश प्रत्यक्ष प्रणाली के पक्ष में रहे। उनका मानना है कि प्रत्यक्ष प्रणाली में अध्यक्ष को पूरा शहर चुनता है और जनता की भागीदारी रहती है। इससे उसकी जबावदेही भी पूरे शहर के प्रति रहती है। अप्रत्यक्ष प्रणाली में दोनों तरह के पार्षद शामिल रहेंगे, अध्यक्ष को बनाने वाले और हराने वाले। ऐसे में अध्यक्ष और पार्षदों के बीच आपसी द्वंद्व भी बढ़ सकते हैं। इससे शहर के विकास पर प्रभाव पड़ सकता है।

वही कांग्रेस से अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष रही मीना रघुवंशी ने बताया कि किसी भी प्रणाली से चुनाव हो उससे कोई फर्क नही पड़ता है क्योंकि पार्षदों को भी चुनती तो जनता ही है। जब मैं पहली बार नपाध्यक्ष बनी थी तब भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव हुए थे। उसके बाद भी हमारा पूरा कार्यकाल बहुत अच्छा रहा। उस समय के हिसाब से बहुत विकास कार्य करे गए।
Conclusion:जानिये कौन क्या बोला...
मैं अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए चुनाव में चुनकर आई थी। उस समय जो पार्षदों को सम्मान मिला, वह डायरेक्ट चुने हुए अध्यक्षों के कार्यकाल में नहीं मिला। शासन ने जो निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य है। इससे अध्यक्षों की हिटलरशाही पर अंकुश लग सकेगा।
- मीना रघुवंशी, पूर्व अध्यक्ष

अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव महंगा होगा। विकास की गति थम जाएगी। पार्षद सौदबाजी करेंगे। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा। अध्यक्ष काम के बजाय, अपनी कुर्सी बचाने में लगा रहेगा। जनहित के लिए अध्यक्ष को सीधे चुना जाना चाहिए। इससे उनकी जबावदेही भी जनता के लिए प्रति रहेगी।
- राजेन्द्र पालीवाल, पूर्व अध्यक्ष प्रतिनिधि

अध्यक्ष का चुनाव जनता द्वारा किया जाना चाहिए। चुनाव भी वहीं बेहतर होता है, जिसे जनता चुनती है। अप्रत्यक्ष प्रणाली में लोग पार्षदों को जोडऩे और तोडऩे प्रलोभन देंगे। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा। ऐसे तो राजनीतिक स्वच्छता में प्रदूषण आ जाएगा।
- राजेन्द्र जैन, पूर्व अध्यक्ष

अप्रत्यक्ष प्रणाली में अध्यक्ष का चुनाव पार्षद मिलकर करते हैं। इससे पार्षदों की सुनवाई होगी। शहर में वार्डों के जरिए ही विकास होता है। जब पार्षद अध्यक्ष चुनेंगे तो वह काम भी करा जाएंगे। सरकार ने जो निर्णय लिया है। पूर्व में भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होते रहे हैं।
- जमील खान, पूर्व अध्यक्ष

प्रत्यक्ष प्रणाली में जनता नेता चुनती है। जबकि अप्रत्यक्ष में पार्षद अध्यक्ष चुनेंगे। इस प्रणाली से अध्यक्ष को हटाने के अविश्वास प्रस्तावों की बाढ़ सी आ जाएगी। इससे काम नहीं होगा। भ्रष्टाचार बढ़ेगा। जिला पंचायत के चुनाव भी डायरेक्ट होना चाहिए।
- देवीदयाल यादव, वर्तमान नपाअध्यक्ष प्रतिनिधि

वार्डों के विकास ही असल में शहर का विकास होता है। अप्रत्यक्ष प्रणाली में पार्षदों को पावर रहता है, इससे वे अपने वार्डों में काम करा सकेंगे। वर्तमान में उनकी सुनवाई नहीं हो पाती है। सरकार ने निर्णय लिया है, वह स्वागत करने योग्य है।
- प्रमोद खंडेलवाल, नपाअध्यक्ष दावेदार

प्रत्यक्ष प्रणाली ही बेहतर प्रणाली थी अप्रत्यक्ष प्रणाली में जो है पार्षदों का दबाव अध्यक्ष पर बनेगा जिसमे भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा।
-छगन जलखरे पूर्व नपाध्यक्ष प्रत्याशी

बाइट-1 मीना रघुवंशी पूर्व नपाध्यक्ष
बाइट-2 राजेंद्र पालीवाल पूर्व नपाध्यक्ष प्रतिनिधि
बाइट-3 राजेंद्र जैन पूर्व नपाध्यक्ष
बाइट-4 जमील खान पूर्व नपाध्यक्ष
बाइट-5 देवीदयाल यादव वर्तमान नपाध्यक्ष प्रतिनिधि
बाइट-6 प्रमोद खंडेलवाल नपाध्यक्ष प्रत्याशी
बाइट-7 छगन जलखरे पूर्व नपाध्यक्ष प्रत्याशी
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