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Surrogate Cow: अब गाय भी बनेंगी सेरोगेट मदर, विलुप्त हो रही नस्लों का किया जाएगा संरक्षण, अच्छी होगी cow milk की क्वालिटी

मप्र के पहले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर पर अब गायों की नस्लों को बचाने का काम किया जाएगा. दरअसल विलुप्त होती गैयों की सेरोगेसी के माध्यम से नई नस्लों को पैदा किया जाएगा. (first National Kamdhenu Breeding Center in mp) (Cow surrogacy in mp)

first National Kamdhenu Breeding Center in mp
गाय भी बनेंगी सेरोगेसी मदर
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Published : Jun 10, 2022, 10:34 PM IST

नर्मदापुरम। विलुप्त होती गाय एवं भैंस की प्रजाती को बचाने के लिए आईवीफ जैसी तकनीक का प्रयोग कर दूध उत्पादकता एवं गाय भैंसों का संवर्धन एवं संरक्षण के लिए किया जायेगा. आई वी एफ सेंटरों का आमतौर पर उपयोग मनुष्यों में इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है, पर अब जल्द ही इसका प्रयोग नर्मदापुरम जिले के किरतपुर स्थित प्रदेश में पहले खुले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा आयोजित सेंटर पर भ्रूण प्रत्यारोपण पद्धति का उपयोग कर सेरोगेसी गाय के रूप में किया जाएगा. इस पद्धति से अच्छा दूध देने वाली गाय, विलुप्त होती गाय और भैंसों को बचाया जायेगा. इसके साथ ही इससे दूध उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी. बता दें कि देश का पहला गाय सेरोगेसी केंद्र आंध्रप्रदेश में स्थित है. (first National Kamdhenu Breeding Center in mp) (Cow surrogacy in mp)

गाय भी बनेंगी सेरोगेसी मदर

इतनी नस्लों का होगा संरक्षण: मध्य प्रदेश के इटारसी में अब विलुप्त होती गायों की प्रजाति का संवर्धन एवं संरक्षण का काम किया जा रहा है, नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा इटारसी के किरतपुर में आयोजित किया गया है. फिलहाल 13 गायों की नस्ल एवं 4 भैंसों की प्रजाती का पालन पोषण यहां किया जा रहा है, पूरे भारत में 13 गायों की नस्ल हैं इनकी नस्लों का संरक्षण एवं संवर्धन का काम यहां किया जाएगा.

ऐसे होगी सेरोगेसी: दूध उत्पादकता के लिए इस केंद्र पर अच्छी नस्ल की गायों का भ्रूण प्रत्यारोपण के द्वारा अच्छी नस्ल की गायों का एंब्रियो तैयार कर ओवा निकालकर अच्छी नस्ल के सांड से निकालकर गायों में ट्रांसफर करते हैं, अच्छी नस्ल की गाय इसके माध्यम से पैदा होंगी. एंब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलोजी अब किरतपुर में भी शुरू होने जा रहा है, इससे पहले यह भोपाल में भी बनाया हुआ है. इस के माध्यम से उन गायों का संवर्धन एवं संरक्षण किया जायेगा आने वाले समय में अन्य नस्लों में भी वृद्धि होगी.

आंध्र प्रदेश: धूमधाम से मनायी गयी गाय की गोदभराई की रस्म

सेरोगेसी गाय से मिलेगा ये फायदा: यह एक भारत सरकार की परियोजना है नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर जो भारत में केवल दो जगहों पर है. एक आंध्रप्रदेश में है दूसरा मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम के किरतपुर क्षेत्र में शुरू होगा. यहां गायों की पहली नस्ल शुरू होने जा रही है, इसलिए अभी स्थानीय पशुपालक भी यहां विजिट कर रहे हैं. पशुपालकों का कहना है कि "देशी नस्लों का दूध बेहतर होता है, इनका दूध की क्वालिटी भी HF एवं A2 क्षमता अच्छी होती है दूध पतला होता है, जिसके कारण पशु पालन भी बेहतर होगा. जो लोग गायों को छोड़ देते है, वह भी सरोगेट के माध्यम से नस्लों को तैयार कर दूध उत्पादन कर सकेंगे.

इन नस्लों का होगा पालन-पोषण:

  • यह है गाय की प्रजातियां
    साहिवाल, गिर, कांकरेज, रेड सिंधी, राठी, मालवी, थारपारकर,निमाड़ी, केंकथा, खिल्लार, हरियाणा, रेड सिंधी, गंगातीरी, ग्वालो.
  • भैंस की चार नस्लें
    निलीरावी, जाफरावादी, भदावरी, और मुर्रा भैंस शामिल हैं.

इस सेंटर पर 13 नस्ल की गायों और 4 भैंसों की नस्ल का पालन पोषण किया जा रहा है, भारत में भी 13 नस्ल की गाय एवं 4 नस्ल की है. वहीं दूध उत्पादकता बढाने के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से ब्रीड की अच्छी उत्पादन वाली गाय का ओवा तैयार कर उसी अच्छी नस्ल के सांड का एंब्रियो तैयार कर सेरोगेट गायों में ट्रांसफर करते हैं, इससे अच्छी नस्ल की गायों का दूध उत्पादन के लिए तैयार किया जाएगा. भोपाल में एक सेंटर पहले से बना हुआ है, यहां इसकी तैयारी की जा रही है.
-डॉ आस्तिक श्रीवास्तव, प्रबंधक, नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर नर्मदापुरम.

नर्मदापुरम। विलुप्त होती गाय एवं भैंस की प्रजाती को बचाने के लिए आईवीफ जैसी तकनीक का प्रयोग कर दूध उत्पादकता एवं गाय भैंसों का संवर्धन एवं संरक्षण के लिए किया जायेगा. आई वी एफ सेंटरों का आमतौर पर उपयोग मनुष्यों में इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है, पर अब जल्द ही इसका प्रयोग नर्मदापुरम जिले के किरतपुर स्थित प्रदेश में पहले खुले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा आयोजित सेंटर पर भ्रूण प्रत्यारोपण पद्धति का उपयोग कर सेरोगेसी गाय के रूप में किया जाएगा. इस पद्धति से अच्छा दूध देने वाली गाय, विलुप्त होती गाय और भैंसों को बचाया जायेगा. इसके साथ ही इससे दूध उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी. बता दें कि देश का पहला गाय सेरोगेसी केंद्र आंध्रप्रदेश में स्थित है. (first National Kamdhenu Breeding Center in mp) (Cow surrogacy in mp)

गाय भी बनेंगी सेरोगेसी मदर

इतनी नस्लों का होगा संरक्षण: मध्य प्रदेश के इटारसी में अब विलुप्त होती गायों की प्रजाति का संवर्धन एवं संरक्षण का काम किया जा रहा है, नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा इटारसी के किरतपुर में आयोजित किया गया है. फिलहाल 13 गायों की नस्ल एवं 4 भैंसों की प्रजाती का पालन पोषण यहां किया जा रहा है, पूरे भारत में 13 गायों की नस्ल हैं इनकी नस्लों का संरक्षण एवं संवर्धन का काम यहां किया जाएगा.

ऐसे होगी सेरोगेसी: दूध उत्पादकता के लिए इस केंद्र पर अच्छी नस्ल की गायों का भ्रूण प्रत्यारोपण के द्वारा अच्छी नस्ल की गायों का एंब्रियो तैयार कर ओवा निकालकर अच्छी नस्ल के सांड से निकालकर गायों में ट्रांसफर करते हैं, अच्छी नस्ल की गाय इसके माध्यम से पैदा होंगी. एंब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलोजी अब किरतपुर में भी शुरू होने जा रहा है, इससे पहले यह भोपाल में भी बनाया हुआ है. इस के माध्यम से उन गायों का संवर्धन एवं संरक्षण किया जायेगा आने वाले समय में अन्य नस्लों में भी वृद्धि होगी.

आंध्र प्रदेश: धूमधाम से मनायी गयी गाय की गोदभराई की रस्म

सेरोगेसी गाय से मिलेगा ये फायदा: यह एक भारत सरकार की परियोजना है नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर जो भारत में केवल दो जगहों पर है. एक आंध्रप्रदेश में है दूसरा मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम के किरतपुर क्षेत्र में शुरू होगा. यहां गायों की पहली नस्ल शुरू होने जा रही है, इसलिए अभी स्थानीय पशुपालक भी यहां विजिट कर रहे हैं. पशुपालकों का कहना है कि "देशी नस्लों का दूध बेहतर होता है, इनका दूध की क्वालिटी भी HF एवं A2 क्षमता अच्छी होती है दूध पतला होता है, जिसके कारण पशु पालन भी बेहतर होगा. जो लोग गायों को छोड़ देते है, वह भी सरोगेट के माध्यम से नस्लों को तैयार कर दूध उत्पादन कर सकेंगे.

इन नस्लों का होगा पालन-पोषण:

  • यह है गाय की प्रजातियां
    साहिवाल, गिर, कांकरेज, रेड सिंधी, राठी, मालवी, थारपारकर,निमाड़ी, केंकथा, खिल्लार, हरियाणा, रेड सिंधी, गंगातीरी, ग्वालो.
  • भैंस की चार नस्लें
    निलीरावी, जाफरावादी, भदावरी, और मुर्रा भैंस शामिल हैं.

इस सेंटर पर 13 नस्ल की गायों और 4 भैंसों की नस्ल का पालन पोषण किया जा रहा है, भारत में भी 13 नस्ल की गाय एवं 4 नस्ल की है. वहीं दूध उत्पादकता बढाने के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से ब्रीड की अच्छी उत्पादन वाली गाय का ओवा तैयार कर उसी अच्छी नस्ल के सांड का एंब्रियो तैयार कर सेरोगेट गायों में ट्रांसफर करते हैं, इससे अच्छी नस्ल की गायों का दूध उत्पादन के लिए तैयार किया जाएगा. भोपाल में एक सेंटर पहले से बना हुआ है, यहां इसकी तैयारी की जा रही है.
-डॉ आस्तिक श्रीवास्तव, प्रबंधक, नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर नर्मदापुरम.

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