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बापू की 150वीं जयंती पर बापू प्रवास स्मृति कक्ष बनकर हुआ तैयार - बापू प्रवास स्मृति कक्ष बनकर तैयार

2 अक्टूबर 2019 को पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का जश्न भव्य तरीके से मनाएगा. गांधी जी की जयंती के उपलक्ष्य में इटारसी में बापू प्रवास स्मृति कक्ष बनकर तैयार हो गया है.

बापू की 150 वी जयंती पर बापू प्रवास स्मृति कक्ष बनकर तैयार
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Published : Oct 1, 2019, 10:28 PM IST

होशंगाबाद। आजादी के पूर्व जब देश की राजधानी नागपुर हुआ करती थी. उस समय देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 2 दिसंबर 1933 को इटारसी दौरे पर आए थे. इटारसी रेलवे स्टेशन के सामने बनी गोठी धर्मशाला में वह एक रात रूके थे.

बापू की 150 वी जयंती पर बापू प्रवास स्मृति कक्ष बनकर तैयार

आज देश बापू की 150 वी जयंती मना रहा है. वहीं इटारसी में जिस धर्मशाला के कक्ष में महात्मा गांधी रुके थे, उस कक्ष को बापू प्रवास स्मृति कक्ष बनाया गया हैं. कक्ष में बापू के बचपन, जवानी समेत आजादी के लिए किए गए उनके आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन सहित डाक टिकट, नोट और सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग इटारसी पहुंच रहे हैं.

महात्मा गांधी को जब इस बात का पता चला कि इस धर्मशाला में हरिजन लोगों को भी आश्रय दिया जाता है, तो इसकी प्रशंसा उन्होंने रजिस्टर में की थी. बापू यहां से माखनलाल चतुर्वेदी से मिलने बाबई भी पहुंचे थे.

होशंगाबाद। आजादी के पूर्व जब देश की राजधानी नागपुर हुआ करती थी. उस समय देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 2 दिसंबर 1933 को इटारसी दौरे पर आए थे. इटारसी रेलवे स्टेशन के सामने बनी गोठी धर्मशाला में वह एक रात रूके थे.

बापू की 150 वी जयंती पर बापू प्रवास स्मृति कक्ष बनकर तैयार

आज देश बापू की 150 वी जयंती मना रहा है. वहीं इटारसी में जिस धर्मशाला के कक्ष में महात्मा गांधी रुके थे, उस कक्ष को बापू प्रवास स्मृति कक्ष बनाया गया हैं. कक्ष में बापू के बचपन, जवानी समेत आजादी के लिए किए गए उनके आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन सहित डाक टिकट, नोट और सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग इटारसी पहुंच रहे हैं.

महात्मा गांधी को जब इस बात का पता चला कि इस धर्मशाला में हरिजन लोगों को भी आश्रय दिया जाता है, तो इसकी प्रशंसा उन्होंने रजिस्टर में की थी. बापू यहां से माखनलाल चतुर्वेदी से मिलने बाबई भी पहुंचे थे.

Intro:होशंगाबाद। आजादी के पूर्व जब देश की राजधानी नागपुर हुआ करती थी। उस समय देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 2 दिसंबर 1933 को इटारसी दौरे पर आए थे। इटारसी रेलवे स्टेशन के सामने बनी गोठी धर्मशाला में वह एक रात रूके थे।
आज देश बापू की 150 वी जयंती मना रहा है। वहीं इटारसी में जिस धर्मशाला के कक्ष में महात्मा गांधी रुके थे उस कक्ष को *बापू प्रवास स्मृति कक्ष* बनाया गया हैं।Body: कक्ष में बापू के बचपन, जवानी के अलावा भारत की आजादी के लिए किए गए आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन सहित डाक टिकट, नोट और सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग इटारसी पहुंच रहे हैं।
देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 2 दिसंबर 1933 को ट्रेन से वर्धा से इटारसी रेलवे स्टेशन आए थे।
इस दौरान महात्मा गांधी ने रेलवे स्टेशन के सामने बनी गोठी धर्मशाला में एक रात रूके थे। धर्मशाला में आज भी उनके द्वारा इटारसी रुकने के संस्मरण के बारे में महात्मा गांधी के द्वारा स्वयं लिखित पत्र को फोटो फ्रेम कर धर्मशाला परिसर में आज लगाया हुआ हैं।
Conclusion:महात्मा गांधी को जब इस बात का पता चला कि इस धर्मशाला में हरिजन लोगों को भी आश्रय दिया जाता है तो इसकी प्रशंसा उन्होंने रजिस्टर में की थी। बापू यहां से माखनलाल चतुर्वेदी से मिलने बाबई भी पहुंचे थे।
बाईट
किशोर अग्रवाल आर्टिस्ट
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