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 विधि विधान से सम्पन्न हुआ भोलेनाथ का अभिषेक, ओंकारमलेश्वर ज्योर्तिलिंग की सुनाई गई कथा

इटारसी के श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में भोले नाथ का पूजन और लिंगाभिषेक किया जा रहा है. जहां बुधवार को यजमानों के साथ भगवान शिव का पूजन किया है.

Bhagwan shiv abhishek
विधि विधान से सम्पन्न हुआ भोलेनाथ का अभिषेक
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Published : Jul 22, 2020, 11:38 PM IST

होशंगाबाद। होशंगाबाद में इटारसी के श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में मुख्य आचार्य पं.विनोद दुबे, पं.सत्येन्द्र पांडे, पं.पीयूष पांडे द्वारा भगवान शिव का लिंगाभिषेक विधि विधान किया जा रहा है. बुधवार को मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने मध्यप्रदेश के पूर्व निमाड़ में स्थित ओंकारमलेश्वर ज्योर्तिलिंग की कथा को विस्तार पूर्वक बताया और भगवान शिव का पूजन अभिषेक यजमानों से संपन्न कराया. यजमान के रूप में मनोज डोनी ने सपत्नीक पूजन और अभिषेक किया.

ओम आकार से बना ओम्कारेश्वर

पं. विनोद दुबे ने बताया कि मध्यप्रदेश के मांधाता क्षेत्र में बड़वाह से 13 किलोमीटर दूर ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र है. जहां की पहाड़ियों का आकार ॐ जैसा है. कई तीर्थ यात्री इस ओमकार पर्वत की भी यात्रा करते है. इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि जब दानवों ने देवताओं को निंरतर परेशान करना शुरू किया तो शिवजी यहां पाताल से आकार शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे. इस स्थान पर ब्रम्हा और विष्णु का वास भी है. विष्णुपुरी और रूद्रपुरी का त्रिपुरी क्षेत्र यही पर है.

महर्षि अगस्त ने की थी तपस्या

पुराणकाल का इतिहास बताते हुए पं. विनोद दुबे ने बताया कि इंद्र की कृपा से युवनाश्वपुत्र मांधाता यहां राज करता था. भगवान शिव की कृपा से मांधाता ने यहां अपनी राजधानी बनाई, इसीलिए इस तीर्थ स्थान को ओंकार मांधाता भी कहा जाता है. महर्षि अगस्त की तपोस्थली भी ओंकारेश्वर रही है. यहीं पर आद्य शंकराचार्य ने नर्मदाष्टक की रचना की. परमार राजा ने भी यहां शिलालेख लगवाए. होल्कर रानी अहिल्या देवी ने यहां के ज्योर्तिलिंग मंदिर की मरम्मत और घाटों का निर्माण कराया.

होशंगाबाद। होशंगाबाद में इटारसी के श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में मुख्य आचार्य पं.विनोद दुबे, पं.सत्येन्द्र पांडे, पं.पीयूष पांडे द्वारा भगवान शिव का लिंगाभिषेक विधि विधान किया जा रहा है. बुधवार को मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने मध्यप्रदेश के पूर्व निमाड़ में स्थित ओंकारमलेश्वर ज्योर्तिलिंग की कथा को विस्तार पूर्वक बताया और भगवान शिव का पूजन अभिषेक यजमानों से संपन्न कराया. यजमान के रूप में मनोज डोनी ने सपत्नीक पूजन और अभिषेक किया.

ओम आकार से बना ओम्कारेश्वर

पं. विनोद दुबे ने बताया कि मध्यप्रदेश के मांधाता क्षेत्र में बड़वाह से 13 किलोमीटर दूर ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र है. जहां की पहाड़ियों का आकार ॐ जैसा है. कई तीर्थ यात्री इस ओमकार पर्वत की भी यात्रा करते है. इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि जब दानवों ने देवताओं को निंरतर परेशान करना शुरू किया तो शिवजी यहां पाताल से आकार शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे. इस स्थान पर ब्रम्हा और विष्णु का वास भी है. विष्णुपुरी और रूद्रपुरी का त्रिपुरी क्षेत्र यही पर है.

महर्षि अगस्त ने की थी तपस्या

पुराणकाल का इतिहास बताते हुए पं. विनोद दुबे ने बताया कि इंद्र की कृपा से युवनाश्वपुत्र मांधाता यहां राज करता था. भगवान शिव की कृपा से मांधाता ने यहां अपनी राजधानी बनाई, इसीलिए इस तीर्थ स्थान को ओंकार मांधाता भी कहा जाता है. महर्षि अगस्त की तपोस्थली भी ओंकारेश्वर रही है. यहीं पर आद्य शंकराचार्य ने नर्मदाष्टक की रचना की. परमार राजा ने भी यहां शिलालेख लगवाए. होल्कर रानी अहिल्या देवी ने यहां के ज्योर्तिलिंग मंदिर की मरम्मत और घाटों का निर्माण कराया.

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