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दयोदय पशु संरक्षण गौशाला में गोबर से बनाई जा रही लकड़ी, पर्यावरण संरक्षण में मिलेगी मदद - हरदा न्यूज

हरदा के बैरागढ़ में स्थित दयोदय पशु संरक्षण गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यहां पर अब गाय के गोबर से लकड़ी बनाई जा रही है, इससे पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलेगी, गोकाष्ठ से दाह संस्कार करने पर 15 साल की आयु के दो पेड़ों को बचाया जा सकता है.

Dayoday Animal Protection Gaushala
दयोदय पशु संरक्षण गौशाला
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Published : Jul 3, 2020, 12:22 PM IST

हरदा। सुप्रसिद्ध जैन संत आचार्य विद्यासागर जी की प्रेरणा से और पीएम नरेंद्र मोदी की अपील 'लोकल के लिए बनें वोकल' को अपनाते हुए नगर के बैरागढ़ में स्थित दयोदय पशु संरक्षण गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पर्यावरण का संतुलित बनाए रखने के लिए गाय के गोबर से लकड़ी बनाई जा रही है.

Wood made from cow dung with the help of machine
मशीन की मदद से गोबर से बनाई जा रही लकड़ी

इसका उपयोग स्थानीय मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के दौरान किया जाएगा, जिससे कि पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगने के साथ-साथ पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सकेंगा. गौशाला भी आर्थिक रूप से सक्षम हो सकेगी. हरदा की इस गौशाला में सबसे बड़ी विशेषता ये है कि, यहां पर जैन संत आचार्य विद्यासागर जी के बताए मार्ग पर चलकर ऐसे मवेशियों को यहां रखा जाता है, जो दुधारू नहीं हैं. जिन्हें दूध ना देने की स्थिति में पशुपालकों के द्वारा परित्याग कर दिया जाता है, उन पशुओं को यहां पर रखकर उनकी देखभाल की जा रही है.

Dayoday Animal Protection Gaushala running under the inspiration of Jain saint Acharya Vidyasagar
जैन संत आचार्य विद्यासागर जी की प्रेरणा से चल रही दयोदय पशु संरक्षण गौशाला

गोकाष्ठ से दाह संस्कार, बचेंगे पेड़

गोकाष्ठ से दाह संस्कार करने पर 15 साल की आयु के दो पेड़ों को बचाया जा सकता है. गौशाला समिति के द्वारा गाय के गोबर से बनी लकड़ी को मुक्तिधाम के लिए बेचकर उस राशि से गायों के चारे के साथ-साथ गौशाला की अन्य व्यवस्थाओं को ठीक किया जाएगा, जिससे कि पर्यावरण और गायों की रक्षा दोनों एक साथ की जा सकेगी. आमतौर पर देखा जाता है कि, अंतिम संस्कार के दौरान करीब 5 क्विंटल लकड़ी का उपयोग किया जाता है, लेकिन 3 क्विंटल गो कष्ट से ही अंतिम संस्कार किया जा सकता है.

दयोदय पशु संरक्षण गौशाला में गाय के गोबर से लकड़ियां बनाईं जा रही हैं

गायों को दिया जाता है हरा चारा

गायों के खाने योग्य चारे की व्यवस्था समिति के द्वारा की जाती है. गायों को यहां हर दिन भूसे के साथ- साथ हरा चारा देकर बीमार गायों का डॉक्टर के द्वारा इलाज भी किया जा रहा है. गौशाला में मजदूरी करने वाले भारत सिंह ने बताया कि, गांव में मजदूरी कम मिलने और नियमित नहीं मिलने की वजह से अब वो अपने गांव से रोजना हरदा आकर गौशाला में गायों की सेवा करने के साथ गाय के गोबर से लकड़ी तैयार करते हैं.

गौशाला से जुड़े अनूप जैन ने बताया कि, लॉकडाउन के दौरान उन्हें गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरणा मिली थी, जिसके चलते उनके द्वारा जबलपुर से गाय के गोबर से लकड़ी बनाने के लिए मशीनें मंगाई गई हैं. जिससे गौशाला में अब लकड़ी और गमले तैयार किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि, हमारे द्वारा होली के समय में भी शहर में गोबर की लकड़ी की सप्लाई की गई थी, वहीं अब नगर पालिका के द्वारा स्थानीय मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार में उपयोग के लिए गोबर से बनी लकड़ी का आर्डर मिला है.

हरदा। सुप्रसिद्ध जैन संत आचार्य विद्यासागर जी की प्रेरणा से और पीएम नरेंद्र मोदी की अपील 'लोकल के लिए बनें वोकल' को अपनाते हुए नगर के बैरागढ़ में स्थित दयोदय पशु संरक्षण गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पर्यावरण का संतुलित बनाए रखने के लिए गाय के गोबर से लकड़ी बनाई जा रही है.

Wood made from cow dung with the help of machine
मशीन की मदद से गोबर से बनाई जा रही लकड़ी

इसका उपयोग स्थानीय मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के दौरान किया जाएगा, जिससे कि पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगने के साथ-साथ पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सकेंगा. गौशाला भी आर्थिक रूप से सक्षम हो सकेगी. हरदा की इस गौशाला में सबसे बड़ी विशेषता ये है कि, यहां पर जैन संत आचार्य विद्यासागर जी के बताए मार्ग पर चलकर ऐसे मवेशियों को यहां रखा जाता है, जो दुधारू नहीं हैं. जिन्हें दूध ना देने की स्थिति में पशुपालकों के द्वारा परित्याग कर दिया जाता है, उन पशुओं को यहां पर रखकर उनकी देखभाल की जा रही है.

Dayoday Animal Protection Gaushala running under the inspiration of Jain saint Acharya Vidyasagar
जैन संत आचार्य विद्यासागर जी की प्रेरणा से चल रही दयोदय पशु संरक्षण गौशाला

गोकाष्ठ से दाह संस्कार, बचेंगे पेड़

गोकाष्ठ से दाह संस्कार करने पर 15 साल की आयु के दो पेड़ों को बचाया जा सकता है. गौशाला समिति के द्वारा गाय के गोबर से बनी लकड़ी को मुक्तिधाम के लिए बेचकर उस राशि से गायों के चारे के साथ-साथ गौशाला की अन्य व्यवस्थाओं को ठीक किया जाएगा, जिससे कि पर्यावरण और गायों की रक्षा दोनों एक साथ की जा सकेगी. आमतौर पर देखा जाता है कि, अंतिम संस्कार के दौरान करीब 5 क्विंटल लकड़ी का उपयोग किया जाता है, लेकिन 3 क्विंटल गो कष्ट से ही अंतिम संस्कार किया जा सकता है.

दयोदय पशु संरक्षण गौशाला में गाय के गोबर से लकड़ियां बनाईं जा रही हैं

गायों को दिया जाता है हरा चारा

गायों के खाने योग्य चारे की व्यवस्था समिति के द्वारा की जाती है. गायों को यहां हर दिन भूसे के साथ- साथ हरा चारा देकर बीमार गायों का डॉक्टर के द्वारा इलाज भी किया जा रहा है. गौशाला में मजदूरी करने वाले भारत सिंह ने बताया कि, गांव में मजदूरी कम मिलने और नियमित नहीं मिलने की वजह से अब वो अपने गांव से रोजना हरदा आकर गौशाला में गायों की सेवा करने के साथ गाय के गोबर से लकड़ी तैयार करते हैं.

गौशाला से जुड़े अनूप जैन ने बताया कि, लॉकडाउन के दौरान उन्हें गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरणा मिली थी, जिसके चलते उनके द्वारा जबलपुर से गाय के गोबर से लकड़ी बनाने के लिए मशीनें मंगाई गई हैं. जिससे गौशाला में अब लकड़ी और गमले तैयार किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि, हमारे द्वारा होली के समय में भी शहर में गोबर की लकड़ी की सप्लाई की गई थी, वहीं अब नगर पालिका के द्वारा स्थानीय मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार में उपयोग के लिए गोबर से बनी लकड़ी का आर्डर मिला है.

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