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जुगाड़ु नाव के सहारे रेंग रही जिंदगी! रोजाना नदी की लहरों से टकराते हैं 40 गांव के ग्रामीण - माचक नदी में नहीं है पुल

जिले के गठन को 22 साल बीतने के बाद भी आज भी जिले के लोग जान जोखिम में डालकर बिना पुल के ही नदी पार करने को मजबूर है.ऐसा ही मामला सामने आया है आदिवासी ग्राम रतनपुर से जहां एक बाप अपनी बीमार बेटी को कंधे पर बैठाकर नदी पार कर रहा है. जानकारों की माने तो जिस स्थान पर पुल की जरूरत सबसे अधिक है उसे छोड़कर वहां से 5 किलोमीटर आगे वन क्षेत्र में पुल का निर्माण किया गया है.

people crossing the river with the help of a tube
ट्यूब के सहारे नदी पार करते लोग
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Published : Aug 2, 2021, 11:39 AM IST

Updated : Aug 2, 2021, 12:15 PM IST

हरदा(Harda)। 22 साल बाद भी हरदा और टिमरनी विधानसभा क्षेत्र को जोड़ने वाले ग्राम मगरधा और रतनपुर के बीच बहने वाली माचक नदी पर पुल न होने से ग्रामीण परेशान है.ग्रामीण को जान जोखिम में डालकर पुल पार करना पड़ता है. जानकारों की माने तो जिस स्थान पर पुल की जरूरत सबसे अधिक है उसे छोड़कर वहां से 5 किलोमीटर आगे वन क्षेत्र में पुल का निर्माण किया गया है.

ट्यूब के सहारे नदी पार करते लोग

22 साल बाद भी नहीं बना पुल

जिले के गठन को पूरे 23 साल हो चुके है लेकिन जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर जिले के हरदा और टिमरनी विधानसभा क्षेत्र को जोड़ने वाले ग्राम मगरधा और रतनपुर के बीच बहने वाली माचक नदी पर पुल नहीं होने के चलते करीब चालीस से अधिक गांवों में रहने वाले लोगो को बारिश के दिनों में जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर होना पड़ रहा है.अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते आदिवासी अंचल से जुड़े दर्जनों गांव के लोगों को अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए ट्यूब से बनी नाव से माचक नदी को पार करना मजबूरी बन गया है.

People crossing the river with the help of a boat made of tube and bamboo
ट्यूब और बांस से बनी नाव के सहारे नदी पार करते लोग

कुंवारी नदी की मझधार में फंसी जिंदगी ,टायर ट्यूब के सहारे जान बचाने को मजबूर लोग

जान जोखिम में डालकर पुल पार करने को मजबूर ग्रामीण

आलम यह है कि जब आदिवासी ग्राम रतनपुर के आसपास रहने वाले किसी व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाती है तो उसके परिजनों से अपने कंधे पर बैठाकर नदी पार करवाते है. हम आपको एक ऐसे ही नजारा दिखाने जा रहे हैं जिसमें एक बीमार लड़की को उसके पिता अपने कंधे पर बैठाकर नदी पार करा रहे हैं ग्रामीणों के द्वारा वर्षों से यहां पर पुल बनाने की मांग की गई है जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है.

people crossing the river in boats
बोट में बैठकर नदी पार करते लोग
problem due to lack of bridge
पुल न होने से हो रही परेशानी

टिमरनी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रतनपुर सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपनी नजदीकी गांव मगरदा में रोजमर्रा के कार्यों सहित स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आना आसान है जबकि जिला मुख्यालय पर आने के लिए उन्हें काफी लंबा सफर तय करना होता है जिसके चलते लोग नदी पार कर ग्राम मगरदा आते हैं. इन गांव में रहने वाले बच्चों को भी अपनी शिक्षा के लिए ग्राम मगरदा आना आसान होता है.हालांकि कोरा संक्रमण के चलते स्कूल बंद है लेकिन जब स्कूल चालू होता है तब इन गांव के बच्चों को रोजाना बारिश के दिनों में नाव पर बैठकर स्कूल आने पर मजबूर होना पड़ता है. जानकारों की माने तो जिस स्थान पर पुल की जरूरत सबसे अधिक है उसे छोड़कर वहां से 5 किलोमीटर आगे वन क्षेत्र में पुल का निर्माण किया गया है.

हरदा(Harda)। 22 साल बाद भी हरदा और टिमरनी विधानसभा क्षेत्र को जोड़ने वाले ग्राम मगरधा और रतनपुर के बीच बहने वाली माचक नदी पर पुल न होने से ग्रामीण परेशान है.ग्रामीण को जान जोखिम में डालकर पुल पार करना पड़ता है. जानकारों की माने तो जिस स्थान पर पुल की जरूरत सबसे अधिक है उसे छोड़कर वहां से 5 किलोमीटर आगे वन क्षेत्र में पुल का निर्माण किया गया है.

ट्यूब के सहारे नदी पार करते लोग

22 साल बाद भी नहीं बना पुल

जिले के गठन को पूरे 23 साल हो चुके है लेकिन जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर जिले के हरदा और टिमरनी विधानसभा क्षेत्र को जोड़ने वाले ग्राम मगरधा और रतनपुर के बीच बहने वाली माचक नदी पर पुल नहीं होने के चलते करीब चालीस से अधिक गांवों में रहने वाले लोगो को बारिश के दिनों में जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर होना पड़ रहा है.अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते आदिवासी अंचल से जुड़े दर्जनों गांव के लोगों को अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए ट्यूब से बनी नाव से माचक नदी को पार करना मजबूरी बन गया है.

People crossing the river with the help of a boat made of tube and bamboo
ट्यूब और बांस से बनी नाव के सहारे नदी पार करते लोग

कुंवारी नदी की मझधार में फंसी जिंदगी ,टायर ट्यूब के सहारे जान बचाने को मजबूर लोग

जान जोखिम में डालकर पुल पार करने को मजबूर ग्रामीण

आलम यह है कि जब आदिवासी ग्राम रतनपुर के आसपास रहने वाले किसी व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाती है तो उसके परिजनों से अपने कंधे पर बैठाकर नदी पार करवाते है. हम आपको एक ऐसे ही नजारा दिखाने जा रहे हैं जिसमें एक बीमार लड़की को उसके पिता अपने कंधे पर बैठाकर नदी पार करा रहे हैं ग्रामीणों के द्वारा वर्षों से यहां पर पुल बनाने की मांग की गई है जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है.

people crossing the river in boats
बोट में बैठकर नदी पार करते लोग
problem due to lack of bridge
पुल न होने से हो रही परेशानी

टिमरनी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रतनपुर सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपनी नजदीकी गांव मगरदा में रोजमर्रा के कार्यों सहित स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आना आसान है जबकि जिला मुख्यालय पर आने के लिए उन्हें काफी लंबा सफर तय करना होता है जिसके चलते लोग नदी पार कर ग्राम मगरदा आते हैं. इन गांव में रहने वाले बच्चों को भी अपनी शिक्षा के लिए ग्राम मगरदा आना आसान होता है.हालांकि कोरा संक्रमण के चलते स्कूल बंद है लेकिन जब स्कूल चालू होता है तब इन गांव के बच्चों को रोजाना बारिश के दिनों में नाव पर बैठकर स्कूल आने पर मजबूर होना पड़ता है. जानकारों की माने तो जिस स्थान पर पुल की जरूरत सबसे अधिक है उसे छोड़कर वहां से 5 किलोमीटर आगे वन क्षेत्र में पुल का निर्माण किया गया है.

Last Updated : Aug 2, 2021, 12:15 PM IST
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