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बापू ने हरदा को कहा था 'हृदय नगरी', छुआछूत मिटाकर स्वच्छता का दिया था संदेश

1933 को हरदा दौरे पर आए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने लोगों के अनुशासन से प्रभावित हो, हरदा को ह्रदयनगरी कहा था.

बापू ने हरदा को कहा था 'ह्रदय नगरी'
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Published : Oct 1, 2019, 3:01 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 7:21 PM IST

हरदा। 2 अक्टूबर 2017 में महात्मा गांधी की यादों को संजोने के लिए तत्कालीन विधायक डॉ आर के दोगने ने कुटिया बनवाई थी. जिससे आने वाली पीढ़ी को अहिंसा का पाठ पढ़ाया जा सके. वहीं इस कुटिया में बापू के शहर दौरे से जुड़ी यादे भी है.

mahatma gandhi
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

अनुशासन से प्रभावित हो बापू ने हरदा को कहा था 'ह्रदय नगरी'राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सोहागपुर की यात्रा के बाद 8 दिसम्बर 1933 को हरदा आए थे. बापू ने पूरे नगर का भ्रमण किया था. तब लोगों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर बापू के स्वागत में फूल की पंखुड़ियां फेंकी थी. सड़क के दोनों किनारों पर रस्सी के पीछे लोग खड़े थे, जिससे बापू सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे. उस समय बापू के स्वागत के लिए स्वप्रेरणा से करीब एक लाख लोग आए थे. बापू ने नगर भ्रमण के दौरान हरदा के लोगों के अनुशासन से प्रभावित हो, हरदा को 'हृदय नगरी' कहा था.यात्रा की सबसे बड़ी भेंट यात्रा के दौरान करीब 1 लाख लोगों की उपस्थिति में बापू को मानपत्र के साथ 1633 रुपये और15 आने की थैली भेंट की गई थी. जो कि संभवतः उनकी इस यात्रा की सबसे बड़ी राशि थी.

बापू ने हरदा को कहा था 'ह्रदय नगरी'

हरिजन छात्रावास पर विश्राम कर चलाया था चरखा
बापू ने हरिजन छात्रावास पर करीब एक घन्टे विश्राम किया था. साथ ही इस दौरान उन्होंने चरखा भी चलाया और बकरी का दूध पिए थे. बापू के द्वारा चलाये गए चरखे को हरदा के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े जलखरे परिवार द्वारा आज भी सहेज कर रखा गया है.

charkha
बापू ने चलाया था चरखा

विधायक निधि से बनवाई कुटिया
2 अक्टूबर 2017 में महात्मा गांधी की यादों को संजोने के लिए तत्कालीन विधायक डॉ आर के दोगने ने अपनी विधायक निधि से कुटिया बनवाई थी. ये कुटिया 6 लाख 85 हजार की लागत से उस जगह पर बनवाई गई है, जहां पर बापू विश्राम किए थे.

hut for mahatma gandhi
महात्मा गांधी की कुटीया

हरदा। 2 अक्टूबर 2017 में महात्मा गांधी की यादों को संजोने के लिए तत्कालीन विधायक डॉ आर के दोगने ने कुटिया बनवाई थी. जिससे आने वाली पीढ़ी को अहिंसा का पाठ पढ़ाया जा सके. वहीं इस कुटिया में बापू के शहर दौरे से जुड़ी यादे भी है.

mahatma gandhi
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

अनुशासन से प्रभावित हो बापू ने हरदा को कहा था 'ह्रदय नगरी'राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सोहागपुर की यात्रा के बाद 8 दिसम्बर 1933 को हरदा आए थे. बापू ने पूरे नगर का भ्रमण किया था. तब लोगों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर बापू के स्वागत में फूल की पंखुड़ियां फेंकी थी. सड़क के दोनों किनारों पर रस्सी के पीछे लोग खड़े थे, जिससे बापू सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे. उस समय बापू के स्वागत के लिए स्वप्रेरणा से करीब एक लाख लोग आए थे. बापू ने नगर भ्रमण के दौरान हरदा के लोगों के अनुशासन से प्रभावित हो, हरदा को 'हृदय नगरी' कहा था.यात्रा की सबसे बड़ी भेंट यात्रा के दौरान करीब 1 लाख लोगों की उपस्थिति में बापू को मानपत्र के साथ 1633 रुपये और15 आने की थैली भेंट की गई थी. जो कि संभवतः उनकी इस यात्रा की सबसे बड़ी राशि थी.

बापू ने हरदा को कहा था 'ह्रदय नगरी'

हरिजन छात्रावास पर विश्राम कर चलाया था चरखा
बापू ने हरिजन छात्रावास पर करीब एक घन्टे विश्राम किया था. साथ ही इस दौरान उन्होंने चरखा भी चलाया और बकरी का दूध पिए थे. बापू के द्वारा चलाये गए चरखे को हरदा के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े जलखरे परिवार द्वारा आज भी सहेज कर रखा गया है.

charkha
बापू ने चलाया था चरखा

विधायक निधि से बनवाई कुटिया
2 अक्टूबर 2017 में महात्मा गांधी की यादों को संजोने के लिए तत्कालीन विधायक डॉ आर के दोगने ने अपनी विधायक निधि से कुटिया बनवाई थी. ये कुटिया 6 लाख 85 हजार की लागत से उस जगह पर बनवाई गई है, जहां पर बापू विश्राम किए थे.

hut for mahatma gandhi
महात्मा गांधी की कुटीया
Intro:आजादी की लड़ाई में मध्यप्रदेश के हरदा जिले का अपना महत्व रहा है।यहां के स्वाधीनता संग्राम सेनानियों ने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई है।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सोहागपुर से यात्रा के बाद 8 दिसम्बर 1933 को हरदा आए थे।इस दौरान हरदा के लोगों के द्वारा जिस तरह से अनुशासित होकर कतारबद्ध होकर उनका स्वागत किया था।जिसको लेकर उन्होंने हरदा नगर को ह्र्दयनगरी कहा था।उस दौरान करीब 1 लाख लोगों की उपस्थिति में बापू को मानपत्र के साथ 1633 रुपये 15 आने की थैली भेंट की गई थी जो संभवतः उनकी इस यात्रा की सबसे बड़ी राशि रही होगी।तत्कालीन हरिजन छात्रावास पर महात्मा गांधी ने करीब एक घन्टे विश्राम किया था।इस दौरान उन्होंने चरखा चलाया ओर बकरी का दूध भी पिया था।बापू के द्वारा चलाये गए चरखे को हरदा के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े जलखरे परिवार के द्वारा आज भी सहज कर रखा गया है।


Body:2 अक्टूबर 2017 को तत्कालीन विधायक डॉ आर के दोगने ने महात्मा गांधी की याद को बनाये रखने के लिए अपनी विधायक निधि से जिस स्थान पर बापू ने विश्राम किया था।उसे 6 लाख 85 हजार की लागत से बापू की कुटिया बनाकर लोकार्पित की थी।जिसमे बापू से जुड़ी यादों को संजोए रखा जा रहा है।ताकि आने वाली पीढ़ी अहिंसा का पाठ पढ़ सके।
महात्मा गांधी ने रेलवे स्टेशन से पूरे नगर में भर्मण किया था।वही लोगों ने एकदूसरे का हाथ पकड़ कर बापू के स्वागत में फूल की पंखुड़ियां फेंकी थी।यहां बापू के स्वागत के लिए स्वप्रेरणा से करीब एक लाख लोग आए थे।जो सड़क के दोनों किनारों पर रस्सी के पीछे खड़े थे।जो बापू को सबसे ज्यादा प्रभावित हुई।


Conclusion:वरिष्ठ साहित्यकार और अधिवक्ता श्याम साकल्ले के अनुसार
महात्मा गांधी ने तत्कालीन हरिजन छात्रावास(अन्नापूरा स्कूल)में समाज मे व्याप्त भेदभाव,छुआछूत को मिटाकर स्वच्छता का भी सन्देश हरदा में दिया था।नगर भृमण के बाद जिमखाना ग्राउंड में सभा को सम्बोधित किया था।
बाईट-श्याम साकल्ले
साहित्यकार हरदा
विशेष-कृपया खबर में ज्यादा काट छांट ना हो तो अच्छा है।सभी विजुअल ओर बाईट को चलाने का कष्ट करें।


Last Updated : Oct 1, 2019, 7:21 PM IST
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