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सूर्य की किरणें करती हैं भगवान गुप्तेश्वर का अभिषेक,मंदिर में बने यंत्र का जल पीने से प्रसव पीड़ा में मिलती है राहत ! - हरदा

वैसे तो हर शिवालय अपनी एक अलग विशेषता और पहचान रखता है. वहीं हरदा जिले के ग्राम चारुवा में भी भगवान गुप्तेश्वर का चमत्कारिक मंदिर है. भगवान गुप्तेश्वर के इस मंदिर में मध्यप्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं. वहीं महाशिवरात्रि के पर्व पर हजारों भक्त दर्शन करने और मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव की आराधना करते हैं.

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Published : Mar 3, 2019, 12:59 PM IST

हरदा। वैसे तो हर शिवालय अपनी एक अलग विशेषता और पहचान रखता है. वहीं हरदा जिले के ग्राम चारुवा में भी भगवान गुप्तेश्वर का चमत्कारिक मंदिर है. भगवान गुप्तेश्वर के इस मंदिर में मध्यप्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं. वहीं महाशिवरात्रि के पर्व पर हजारों भक्त दर्शन करने और मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव की आराधना करते हैं.


इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार लोगों का कहना है कि प्राचीन गुप्तेश्वर मन्दिर में बने यंत्र का जल गर्भवती महिलाओं को पिलाने से उन्हें प्रसव के दौरान पीड़ा न के बराबर होती है. बताया जा है कि इस मंदिर का निर्माण पाण्ड काल में ऋषि महात्माओं के द्वारा पूरे विधि विधान के साथ किया गया था. लेकिन मुगल काल के दौरान मंदिरों को तोड़ने से बचाने के लिए लोगों ने इस शिवलिंग को मिट्टी से ढक दिया था.

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जिसके बाद चारुवा के एक सोनी परिवार के एक सदस्य को भगवान शिव ने यहां बने बीहड़ में शिवलिंग होने की जानकारी सपने दी थी. जब गांव के लोगों ने उसी स्थान पर खोदकर मंदिर निकला. इस मंदिर में सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणयां होने के दौरान एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. सूर्योदय के समय जब सूर्य की किरण सीधे गुप्तेश्वर के शिवलिंग पर पड़ती है तब एक अलौकिक ज्योत के समान दिखाई देता है. ऐसा भी कहा जाता है कि सूर्यदेव की किरणें शिवलिंग का अभिषेक करती है.

हरदा। वैसे तो हर शिवालय अपनी एक अलग विशेषता और पहचान रखता है. वहीं हरदा जिले के ग्राम चारुवा में भी भगवान गुप्तेश्वर का चमत्कारिक मंदिर है. भगवान गुप्तेश्वर के इस मंदिर में मध्यप्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं. वहीं महाशिवरात्रि के पर्व पर हजारों भक्त दर्शन करने और मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव की आराधना करते हैं.


इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार लोगों का कहना है कि प्राचीन गुप्तेश्वर मन्दिर में बने यंत्र का जल गर्भवती महिलाओं को पिलाने से उन्हें प्रसव के दौरान पीड़ा न के बराबर होती है. बताया जा है कि इस मंदिर का निर्माण पाण्ड काल में ऋषि महात्माओं के द्वारा पूरे विधि विधान के साथ किया गया था. लेकिन मुगल काल के दौरान मंदिरों को तोड़ने से बचाने के लिए लोगों ने इस शिवलिंग को मिट्टी से ढक दिया था.

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जिसके बाद चारुवा के एक सोनी परिवार के एक सदस्य को भगवान शिव ने यहां बने बीहड़ में शिवलिंग होने की जानकारी सपने दी थी. जब गांव के लोगों ने उसी स्थान पर खोदकर मंदिर निकला. इस मंदिर में सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणयां होने के दौरान एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. सूर्योदय के समय जब सूर्य की किरण सीधे गुप्तेश्वर के शिवलिंग पर पड़ती है तब एक अलौकिक ज्योत के समान दिखाई देता है. ऐसा भी कहा जाता है कि सूर्यदेव की किरणें शिवलिंग का अभिषेक करती है.

Intro:वैसे तो हर शिवालय अपनी एक अलग विशेषता और पहचान रखता है।लेकिन हरदा जिले के ग्राम चारुवा का लगभग 250 साल पहले पहाड़ खोद कर निकाल पांडव कालीन प्राचीन गुप्तेश्वर मन्दिर में बने यंत्र का जल महिलाओं को होने वाली प्रसव पीड़ा को कम करने के लिए जाना जाता है।स्थानीय लोगों की माने तो यदि किसी महिला को प्रसव पीड़ा होने के दौरान मन्दिर में बने यंत्र का जल पिलाया जाता है तो उसे उस असहनीय पीड़ा का आभास ना के बराबर ही होता है।मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पाण्ड काल में ऋषि महात्माओं के द्वारा पूरे विधि विधान के साथ किया गया था।लेकिन मुगल काल के दौरान मंदिरों को तोड़ने से बचाने के लिए लोगों ने इस शिवलिंग को मिट्टी से ढक दिया था।लेकिन खुदाई के दौरान उसी शिवलिंग की निरंतर पूजा अर्चना ने इस मंदिर का महत्व अन्य शिवालय से बढ़ा दिया है।


Body:गुप्तेश्वर महादेव के इस मंदिर पर महाशिवरात्रि के पर्व पर हजारों भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहता है।यहां दूर दराज से लोग दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं।चारुवा के एक सोनी परिवार के एक सदस्य को स्वप्न में भगवान शिव ने यहां बने बीहड़ में शिवलिंग होने की जानकारी दी गई थी।जिसे पर गांव के लोगों ने उसी स्थान पर पूरे मंदिर को खोदकर निकाला था।जिसके शिखर की पूजा तभी से लगातार किये जाने से इस शिवालय का महत्व और बढ़ जाता है।यह प्राचीन मंदिर वास्तु का बेजोड़ नमूना है।इस मंदिर में सूर्य के उत्तरायण व दक्षिणयां होने के दौरान एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।सूर्योदय के समय जब सूर्य की किरण सीधे गुप्तेश्वर के शिवलिंग पर पड़ती है तब एक अलौकिक ज्योत के समान दिखाई देता है।


Conclusion:प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर परिसर में एक यंत्र बना हुआ है यहां के जानकारों की माने तो यह यंत्र बहुत ही तेजस्वी ओर चमत्कारी है।इसके ऊपर के जल और चंदन को प्रसव पीड़ा होने पर किसी महिला को पिलाने से उसकी पीड़ा कम हो जाती है।वही इस मंदिर को अन्य ज्योर्तिलिंगों से भी तेजस्वी माना जाता है।जिसके चलते यह भक्तो की आस्था का केंद बन गया है।यहां विद्वान पंडितो के द्वारा हर रोज विधि विधान से यहां के शिवलिंग की पूजा अर्चना की जाती है।
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