हरदा। हरदा जिले के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. जिले के करीब सौ से ज्यादा सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को अतिथि शिक्षिकों के भरोसे छोड़ा दिया गया है. जबकि शहरी क्षेत्रों में आलम ये है कि वहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक पदस्थ कर दिए गये हैं. हालांकि अभी तक शिक्षा विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
सरकारी स्कूलों के हाल सुधारने की सरकार भले ही लाख दावे करें, लेकिन स्थानीय स्तर पर सरकार की मंशा को किस तरह पतीला लगाया जा रहा है. यह हरदा जिले में देखने को मिल रहा है. यहां पर शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को भगवान भरोसे छोड़ा हुआ है. जिले में 543 प्राइमरी और 282 मिडिल स्कूल में करीब पचास हजार विद्यार्थी पढ़ते है. जिनमें से करीब 100 सरकारी स्कूलों में सभी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए केवल एक-एक ही अध्यापक पदस्थ है. जबकि 59 सरकारी स्कूलों में तो एक भी टीचर पदस्थ नहीं है. ऐसे में इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां बच्चों के भविष्य से कैस खिलवाड़ हो रहा है और शिक्षा विभाग कुंभकरण की नींद सो रहा है.
वहीं जब इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी सी.एस टैगोर से बात की गई, तो उन्होंने अपना झाड़ते हुए कहा कि शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षक रखने के निर्देश दिये जा चुके है. लेकिन सवाल उठता है कि अगर निर्देश दिये जा चुके हैं तो उनका पालन क्यों नहीं हुआ. बहरहाल शिक्षा अधिकारी निर्देशों के आधार पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन स्कूल में टीचर नहीं होने पर इन बच्चों का क्या, जिनका भविष्य अधर में लटका हुआ है.