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हरदा: शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल, सैकड़ों स्कूलों में नहीं हैं एक भी शिक्षक

सरकार भले ही सरकारी स्कूलों के हाल सुधारने के लाख दावे करें, लेकिन स्थानीय स्तर पर सरकार की मंशा को किस तरह पतीला लगाया जा रहा है. यह हरदा जिले में देखने को मिल रहा है.

हरदा में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल
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Published : Aug 2, 2019, 11:48 PM IST

हरदा। हरदा जिले के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. जिले के करीब सौ से ज्यादा सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को अतिथि शिक्षिकों के भरोसे छोड़ा दिया गया है. जबकि शहरी क्षेत्रों में आलम ये है कि वहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक पदस्थ कर दिए गये हैं. हालांकि अभी तक शिक्षा विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

हरदा में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल

सरकारी स्कूलों के हाल सुधारने की सरकार भले ही लाख दावे करें, लेकिन स्थानीय स्तर पर सरकार की मंशा को किस तरह पतीला लगाया जा रहा है. यह हरदा जिले में देखने को मिल रहा है. यहां पर शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को भगवान भरोसे छोड़ा हुआ है. जिले में 543 प्राइमरी और 282 मिडिल स्कूल में करीब पचास हजार विद्यार्थी पढ़ते है. जिनमें से करीब 100 सरकारी स्कूलों में सभी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए केवल एक-एक ही अध्यापक पदस्थ है. जबकि 59 सरकारी स्कूलों में तो एक भी टीचर पदस्थ नहीं है. ऐसे में इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां बच्चों के भविष्य से कैस खिलवाड़ हो रहा है और शिक्षा विभाग कुंभकरण की नींद सो रहा है.

वहीं जब इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी सी.एस टैगोर से बात की गई, तो उन्होंने अपना झाड़ते हुए कहा कि शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षक रखने के निर्देश दिये जा चुके है. लेकिन सवाल उठता है कि अगर निर्देश दिये जा चुके हैं तो उनका पालन क्यों नहीं हुआ. बहरहाल शिक्षा अधिकारी निर्देशों के आधार पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन स्कूल में टीचर नहीं होने पर इन बच्चों का क्या, जिनका भविष्य अधर में लटका हुआ है.

हरदा। हरदा जिले के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. जिले के करीब सौ से ज्यादा सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को अतिथि शिक्षिकों के भरोसे छोड़ा दिया गया है. जबकि शहरी क्षेत्रों में आलम ये है कि वहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक पदस्थ कर दिए गये हैं. हालांकि अभी तक शिक्षा विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

हरदा में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल

सरकारी स्कूलों के हाल सुधारने की सरकार भले ही लाख दावे करें, लेकिन स्थानीय स्तर पर सरकार की मंशा को किस तरह पतीला लगाया जा रहा है. यह हरदा जिले में देखने को मिल रहा है. यहां पर शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को भगवान भरोसे छोड़ा हुआ है. जिले में 543 प्राइमरी और 282 मिडिल स्कूल में करीब पचास हजार विद्यार्थी पढ़ते है. जिनमें से करीब 100 सरकारी स्कूलों में सभी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए केवल एक-एक ही अध्यापक पदस्थ है. जबकि 59 सरकारी स्कूलों में तो एक भी टीचर पदस्थ नहीं है. ऐसे में इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां बच्चों के भविष्य से कैस खिलवाड़ हो रहा है और शिक्षा विभाग कुंभकरण की नींद सो रहा है.

वहीं जब इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी सी.एस टैगोर से बात की गई, तो उन्होंने अपना झाड़ते हुए कहा कि शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षक रखने के निर्देश दिये जा चुके है. लेकिन सवाल उठता है कि अगर निर्देश दिये जा चुके हैं तो उनका पालन क्यों नहीं हुआ. बहरहाल शिक्षा अधिकारी निर्देशों के आधार पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन स्कूल में टीचर नहीं होने पर इन बच्चों का क्या, जिनका भविष्य अधर में लटका हुआ है.

Intro:हरदा जिले में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है।जिले के सैकड़ों स्कूल में केवल एक ही टीचर पदस्थ है।तो करीब 59 प्राथमिक ओर माध्यमिक विद्यालयों को विभाग के द्वारा भगवान भरोसे छोड़ रखा है।इन स्कूलों में एक भी टीचर नही है।वही दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों की कई स्कूलों को अतिथि शिक्षकों के भरोसे छोड़ रखा है।जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों की नेतागिरी के चलते व्यवस्थाओं को सुधारने में लाचार नजर आ रहे है।जहां एक और ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षकों की कमी है वही जिला मुख्यालय के स्कूलों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक पदस्थ है।यूक्तियुक्तकरण लागू नही होने की वजह से इस तरह की अव्यस्था हो रही है।


Body:सरकार भले ही सरकारी स्कूलों के हाल सुधारने की लाख कोशिश करें लेकिन स्थानीय स्तर पर सरकार की मंशा को किस तरह पतीला लगाया जा रहा है।यह हरदा जिले में देखने को मिल सकता है यहां पर शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को भगवान भरोसे छोड़रखा है।जिले में 543 प्रायमरी एवं 282 मिडिल स्कूल में करीब पचास हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है।जिनमें से करीब 100 सरकारी स्कूलों को सभी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए केवल एक ही मास्टर जी पदस्थ है।जबकि 59 सरकारी स्कूलों में तो एक भी टीचर पदस्थ नही होने के चलते एक भी गुरुजी नही है।जिसके चलते यहां के छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे है।शिक्षा विभाग के द्वारा प्रायमरी स्कूलों के टीचर को मिडिल स्कूल में भेज गया है।जहां पर हिंदी विषय के टीचर को गणित और अंग्रेजी विषय पढ़ाने को मजबूर होना पड़ रहा है।इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है।कि यहां पर शिक्षा का स्तर कितना अच्छा होगा।जब एक ही टीचर को माध्यमिक स्कूल की तीनों कक्षाओं के और प्राइमरी स्कूलों की सभी पांचों कक्षाओं के सभी विषय इन गुरुजियों को पढ़ाना पड़ रहा है।वही जिला मुख्यालय में स्कूलों में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के मुकाबले अधिक टीचर पदस्थ है।शिक्षा विभाग के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में शिक्षकों की कमी को शहरी क्षेत्रों के स्कूलों के अतिशेष शिक्षकों को अटैच कर पूरी की जा सकती है।लेनिक राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते विभाग इस कमी को दूर करने में लाचार नजर आ रहा है।
बाईट- रामविलास कर्मा,टीचर सिंगोन
बाईट- अखिलेश,छात्र सिंगोन


Conclusion:जब इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी सी एस टैगोर से बात की गई तो उनके द्वारा जिन स्कूलों में दो टीचर है उन्हें शिक्षक विहीन शालाओं में भेजने की बात कही है।वही शहरी स्कूलों के अतिशेष शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में भेजने के आदेश पहले ही देने की बात की जा रही है।लेकिन आज तक उनके आदेश पर अमल नही हो पाया है।जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की अव्यवस्था देखने को मिली है।
बाईट -सीएस टैगोर जिलाशिक्षा अधिकारी,हरदा
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