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हरदा आकर योग साधना सीख रहे हैं विदेशी सैलानी, महसूस करते हैं ईश्वर की आवाज - हरदा

अजनाल नदी के किनारे बने प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर में गुरू योगी शिवोहम से योग साधना की दीक्षा ग्रहण करने आए ब्राजील और अमेरिका के श्रद्धालुओं ने अपनी साधना पूरी कर ली है

विदेशी श्रद्धालु
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Published : Mar 4, 2019, 10:44 PM IST

हरदा। अजनाल नदी के किनारे बने प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर में गुरू योगी शिवोहम से योग साधना की दीक्षा ग्रहण करने आए ब्राजील और अमेरिका के श्रद्धालुओं ने अपनी साधना पूरी कर ली है. बता दें कि यहां पर अमेरिकी योग गुरु पेट्रिक और उनकी पत्नी सिरले और ब्राजील से फिलिपे, मार्तो एवं मारले पिछले चालीस दिनों से सांसारिक सुखों को त्याग कर गुरु से दीक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

हरदा में योगी शिवोहम के सानिध्य में न्यूजीलैंड के दम्पति ने भी अपनी 40 दिनों की साधना पूरी की और अब वे स्वदेश लौट गए हैं, जिसके बाद संत कुटी में साधना के लिए 5 विदेशी सैलानियों का आगमन हुआ था, जिसमें से एक साधक पेट्रिक जिग्लर जो कि खुद एक बड़े योग गुरु हैं, उनका कहना है कि आध्यात्मिक साधना के लिए हरदा विश्व में एक अनोखा शहर बन गया है.

विदेशी श्रद्धालु

पेट्रिक जिग्लर पिछले साल भी योगी शिवोहम से योग की बारीकियों को सीखने हरदा आये थे. अमेरिकी योग गुरु पेट्रिक ने कहा कि उन्होंने कई अलग-अलग जगह से साधना के बारे में जाना है, लेकिन हरदा के योगी शिवोहम एक अच्छे गुरु होने के साथ पिता, मित्र व भाई भी हैं. उनका कहना है कि यहां की साधना उन्हें ईश्वर की आवाज को महसूस कराती है, जिसके चलते उन्हें अपने देश में भी भारत की याद हर पल बनी रहती है.

ब्राजील से आई मार्तो का कहना है कि हम आत्म ज्ञान की प्यास जगने पर निर्गुण मार्ग से विशेष प्रशिक्षण के लिए योगी शिवोहम के पास आए थे. चालीस दिनों की साधना के दौरान उन्हें उनकी अपेक्षाओं से भी बढ़कर ज्ञान मिला है, जो उनके जीवन मे अनमोल है. सभी सैलानियों ने हरदा से मिली दीक्षा को अपने जीवन मे ईश्वर द्वारा दिया गया अनमोल तोहफा बताया है. साधकों ने भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर वतन वापसी कर ली है.

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हरदा। अजनाल नदी के किनारे बने प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर में गुरू योगी शिवोहम से योग साधना की दीक्षा ग्रहण करने आए ब्राजील और अमेरिका के श्रद्धालुओं ने अपनी साधना पूरी कर ली है. बता दें कि यहां पर अमेरिकी योग गुरु पेट्रिक और उनकी पत्नी सिरले और ब्राजील से फिलिपे, मार्तो एवं मारले पिछले चालीस दिनों से सांसारिक सुखों को त्याग कर गुरु से दीक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

हरदा में योगी शिवोहम के सानिध्य में न्यूजीलैंड के दम्पति ने भी अपनी 40 दिनों की साधना पूरी की और अब वे स्वदेश लौट गए हैं, जिसके बाद संत कुटी में साधना के लिए 5 विदेशी सैलानियों का आगमन हुआ था, जिसमें से एक साधक पेट्रिक जिग्लर जो कि खुद एक बड़े योग गुरु हैं, उनका कहना है कि आध्यात्मिक साधना के लिए हरदा विश्व में एक अनोखा शहर बन गया है.

विदेशी श्रद्धालु

पेट्रिक जिग्लर पिछले साल भी योगी शिवोहम से योग की बारीकियों को सीखने हरदा आये थे. अमेरिकी योग गुरु पेट्रिक ने कहा कि उन्होंने कई अलग-अलग जगह से साधना के बारे में जाना है, लेकिन हरदा के योगी शिवोहम एक अच्छे गुरु होने के साथ पिता, मित्र व भाई भी हैं. उनका कहना है कि यहां की साधना उन्हें ईश्वर की आवाज को महसूस कराती है, जिसके चलते उन्हें अपने देश में भी भारत की याद हर पल बनी रहती है.

ब्राजील से आई मार्तो का कहना है कि हम आत्म ज्ञान की प्यास जगने पर निर्गुण मार्ग से विशेष प्रशिक्षण के लिए योगी शिवोहम के पास आए थे. चालीस दिनों की साधना के दौरान उन्हें उनकी अपेक्षाओं से भी बढ़कर ज्ञान मिला है, जो उनके जीवन मे अनमोल है. सभी सैलानियों ने हरदा से मिली दीक्षा को अपने जीवन मे ईश्वर द्वारा दिया गया अनमोल तोहफा बताया है. साधकों ने भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर वतन वापसी कर ली है.

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Intro:हरदा की अजनाल नदी के किनारे बने प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर परिसर में बने स्वामी तिलक स्मारक में आध्यात्मिक गुरु योगी शिवोहम से योग साधना की दीक्षा ग्रहण करने ब्राजील और अमेरिका से आए पांच साधनों के द्वारा अपनी साधना पूरी कर ली गई है।यहां पर अमेरिकी योग गुरु पेट्रिक और उनकी पत्नी सिरले, ब्राजील से आये फिलिपे,मार्तो एवं मारले पिछले चालीस दिनों से सांसारिक सुखों को त्याग कर विशेष ध्यान में लीन रहकर सादगी से यहां गुरु से दीक्षा प्राप्त कर रहे थे।


Body:हरदा में योगी शिवोहम से न्यूजीलैंड के दम्पती ने भी अपनी 40 दिनों की साधना पूरी कर स्वदेश लौट गए हैं।जिसके बाद संत कुटी में साधना के लिए 5 विदेशी सैलानियों का आगमन हुआ था।इसमें से एक साधक पेट्रिक जिग्लर जो कि खुद एक बड़े योग गुरु है उनके मुताबिक आध्यात्मिक साधना के लिए हरदा विश्व मे एक अनोखा शहर बन गया है। पेट्रिक जिग्लर पिछले साल भी योगी शिवोहम से योग की बारीकियों को सीखने को हरदा आये थे।अमेरिकी योग गुरु पेट्रिक ने कहा कि उन्होंने अनेकों जगह अलग अलग लोगो से साधना के बारे में जाना है ।लेकिन हरदा के योगी शिवोहम एक अच्छे गुरु होने के साथ साथ पिता,मित्र एवं भाई भी है।जिसके चलते उन्हें यहां फिर से दीक्षा के लिए तीसरी बार संत कुटी में आना पड़ा है।उनका कहना है कि यहां की साधना उन्हें ईश्वर की आवाज को महसूस करती है।जिसके चलते उन्हें अपने वतन में भी भारत की याद हर पल बनी रहती है।


Conclusion:ब्राजील से आई मार्तो का कहना है कि हम आत्म ज्ञान की प्यास जगने पर निर्गुण मार्ग से विशेष प्रशिक्षण के लिए योगी शिवोहम के पास आए थे।इस दौरान चालीस दिनों की साधना के दौरान उन्हें उनकी अपेक्षाओं से भी बढ़कर ज्ञान मिला है।जो उनके जीवन मे अनमोल है। उन्होंने बताया कि हमें अंतर्यामी के स्पर्श एवं स्वयंभू क्रियाओं के साक्षात अनुभव से गुजरे है।ब्राजील की ही रहने वाली साधक मार्ले का कहना है कि उन्होंने अपने गुरु से शाम्भवी दीक्षा के सभी गुर सीखे है।उनके द्वारा अपने देश के लोगों को भी इस उच्च स्तरीय दीक्षा से मिलने ज्ञान के विषय में बताया जाएगा।सभी सैलानियों ने हरदा से मिली दीक्षा को अपने जीवन मे ईश्वर के द्वारा दिया गया अनमोल तोहफा बताया है।साधको ने आज भगवान भोलेनाथ के दर्शनों का लाभ लेकर अपने देश के लिए रवानगी डाली है।
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