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नर्मदा घाट पर पेड़ों को बचाने के लिए प्रशासन की पहल, ग्रामीण भी दे रहे साथ

हरदा के प्राचीन नर्मदा मंदिर घाट पर करीब 200 साल पुराने पीपल और बरगद के पेड़ों को बचाने के लिए स्थानीय तहसीलदार अर्चना शर्मा ने एक पहल की है. जिसके बाद ग्रामीण भी उनकी पहल में साथ दे रहे हैं.

Administration's initiative to save trees in Harda
हरदा में नर्मदा घाट पर पेडों को बचाने की पहल
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Published : Feb 7, 2020, 6:25 PM IST

हरदा। जिले के प्राचीन नर्मदा मंदिर घाट पर करीब 200 साल पुराने पीपल और बरगद के पेड़ों को बचाने के लिए प्रशासन सामने आया है. घाट का वास्तविक सौंदर्य बनाए रखने और पेड़ों को बचाने के लिए स्थानीय तहसीलदार अर्चना शर्मा के द्वारा ग्राम वासियों की मदद से एक मुहिम छेड़ी गई है. जिसके चलते घाट पर लगे इन पेड़ों को बचाने की सार्थक पहल की जा रही है.

हरदा में नर्मदा घाट पर पेडों को बचाने की पहल


बारिश के दिनों में नर्मदा नदी में आने वाली बाढ़ की वजह से तेज गति से मिट्टी का कटाव होने से इन पेड़ों का जीवन खत्म होता नजर आ रहा था. जिसको लेकर तहसीलदार अर्चना शर्मा ने ग्रामीणों की मदद से इन पेड़ों के आसपास ऊंची दीवार बनवाने के साथ-साथ उसमें ग्रामीण द्वारा श्रमदान कर मिट्टी डालने का काम किया जा रहा है.

200 year old banyan tree
200 साल पुराना बरगद का पेड़


ग्रामीणों ने बताया कि ये पेड़ करीब 200 से 300 साल पुराने हैं और यदि इन पेड़ों के आसपास मिट्टी डाली जाती है, तो निश्चित ही इनका जीवन बढ़ जाएगा. ग्रामीणों का मानना है कि तहसीलदार अर्चना शर्मा के द्वारा की जा रही पहल सराहनीय है.

हरदा। जिले के प्राचीन नर्मदा मंदिर घाट पर करीब 200 साल पुराने पीपल और बरगद के पेड़ों को बचाने के लिए प्रशासन सामने आया है. घाट का वास्तविक सौंदर्य बनाए रखने और पेड़ों को बचाने के लिए स्थानीय तहसीलदार अर्चना शर्मा के द्वारा ग्राम वासियों की मदद से एक मुहिम छेड़ी गई है. जिसके चलते घाट पर लगे इन पेड़ों को बचाने की सार्थक पहल की जा रही है.

हरदा में नर्मदा घाट पर पेडों को बचाने की पहल


बारिश के दिनों में नर्मदा नदी में आने वाली बाढ़ की वजह से तेज गति से मिट्टी का कटाव होने से इन पेड़ों का जीवन खत्म होता नजर आ रहा था. जिसको लेकर तहसीलदार अर्चना शर्मा ने ग्रामीणों की मदद से इन पेड़ों के आसपास ऊंची दीवार बनवाने के साथ-साथ उसमें ग्रामीण द्वारा श्रमदान कर मिट्टी डालने का काम किया जा रहा है.

200 year old banyan tree
200 साल पुराना बरगद का पेड़


ग्रामीणों ने बताया कि ये पेड़ करीब 200 से 300 साल पुराने हैं और यदि इन पेड़ों के आसपास मिट्टी डाली जाती है, तो निश्चित ही इनका जीवन बढ़ जाएगा. ग्रामीणों का मानना है कि तहसीलदार अर्चना शर्मा के द्वारा की जा रही पहल सराहनीय है.

Intro:अपने घर के किसी बुजुर्गों के बीमार पड़ने के दौरान घरवालों के द्वारा उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते तो आसानी से देखा जा सकता है लेकिन किसी बूढ़े पेड़ को बचाने को लेकर किए गए प्रयास कमी नजर आते हैं एक ऐसा ही प्रयास हरदा जिले के हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर स्थित प्राचीन नर्मदा मंदिर घाट पर करीब 200 साल पुराने लगे पीपल और बरगद के पेड़ को बचाने और घाट का वास्तविक सौंदर्य बनाए रखने के लिए स्थानीय तहसीलदार श्रीमती अर्चना शर्मा के द्वारा ग्राम वासियों की मदद से एक मुहिम छेड़ी गई है जिसके चलते घाट पर लगे इन पेड़ों को बचाने की सार्थक पहल की जा रही है


Body:बारिश के दिनों में नर्मदा नदी में आने वाली बाढ़ की वजह से तेज गति से मिट्टी का कटाव होने से इन पेड़ों का जीवन खत्म होता नजर आ रहा था जिसको लेकर तहसीलदार अर्चना शर्मा ने ग्रामीणों की मदद से इन पेड़ों के आसपास ऊंची दीवार बनवाने के साथ-साथ उसमें ग्रामीण द्वारा श्रमदान कर मिट्टी डालने का काम किया जा रहा है ग्रामीणों की माने तो इन पेड़ों की आयु करीब 200 से 300 साल है उनके अनुसार तहसीलदार शर्मा के द्वारा की जा रही यह पहल बहुत ही सराहनीय ग्रामीणों का मानना है कि यदि इन पेड़ों के आसपास मिट्टी डाली जाती है तो निश्चित ही इनका जीवन बढ़ जाएगा वही घाट का वास्तविक स्वरूप भी बना रहेगा। गौरतलब है कि पीपल और बरगद के पेड़ दोनों ही हमें ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में देते हैं वही इनमें देवताओं का निवास माना जाता है जिसको लेकर यहां पर ग्रामीणों और प्रशासन के द्वारा की जा रही यह पहल सराहनीय है।


Conclusion:नर्मदा नदी के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा को लेकर एक महिला अधिकारी के द्वारा अपनी ममतामई छवि का परिचय देते हुए घाट पर खुद जाकर पेड़ की जड़ों में मिट्टी डाली जा रही है उनके साथ साथ ग्रामीणों के द्वारा भी नर्मदा नदी के पास क्यों क्यों मिट्टी को एकत्रित कर बरगद और पीपल के पेड़ की जड़ों में डाली जा रही है जहां एक और लोगों के द्वारा धड़ल्ले से हरे पेड़ों की कटाई की जा रही है वहीं दूसरी ओर एक महिला अधिकारी के द्वारा बूढ़े पेड़ों को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय है। गौरतलब रहे कि वर्ष 1974 में राजस्थान में हरे पेड़ों को बचाने को लेकर चिपको आंदोलन किया गया था जिसमें महिलाओं ने हरे पेड़ों पेड़ों पर चिपक कर उन्हें काटने से रोका था। एक महिला अधिकारी के द्वारा ग्रामीणों के साथ मिलकर की गई पेड़ों को बचाने के लिए यह पहल सराहनीय जिसको लेकर ग्रामीणों के द्वारा तन और धन दोनों से सहयोग किया जा रहा है
बाईट- अरुण अग्रवाल
स्थानीय निवासी,हंडिया
बाईट- विशाल तिवारी
स्थानीय नागरिक हंडिया
बाईट- अर्चना शर्मा
तहसीलदार,हंडिया
संदेश पारे स्ट्रिंगर ,हरदा
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