हरदा। गेहूं खरीदी के दौरान हर साल दूसरे राज्यों से हम्माली के लिए आने वाले मजदूरों की कमी लॉकडाउन के दौरान जिला प्रशासन के सामने एक बड़ी समस्या थी. जिला प्रशासन ने मजदूरों की इस कमी को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए स्थानीय हम्मलों की मदद से सिर्फ एक महीने की समय अवधि में अपने निर्धारित लक्ष्य से बढ़कर गेहूं खरीदी की है. सहकारी बैंक की मसन गांव सहकारी समिति के बीड़ खरीदी केंद्र पर पहली बार आदिवासी महिलाओं ने पुरुषों के समान हम्माली का काम कर गेंहू खरीदी का काम पूरा किया है.
ग्राम बीड में पड़ोसी जिले खंडवा के ग्राम सुंदर पानी की रहने वाली आदिवासी महिलाएं रबी सीजन की फसल कटाई के काम के लिए आई हुई थीं. इस दौरान अचानक लॉकडाउन हो जाने के कारण इन महिलाओं को अपने घरों की ओर जाने के लिए साधनों का अभाव था. वहीं इन महिलाओं के सामने रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए पैसों की कमी भी बनी हुई थी. इस दौरान जब गांव में बने खरीदी केंद्र पर तुलाई काम के लिए मजदूरों की कमी की बात सामने आई. तो ग्रामीणों ने इन महिलाओं से खरीदी केंद्र पर तुलाई करने की बात कही, जिस पर दोनों पक्षों ने अपनी सहमति प्रदान की और महिलाओं ने बाकायदा पुरुष हम्मालों की भांति खरीदी का कार्य संपन्न कराया.
जिले में 15 अप्रैल से शुरू हुई खरीदी के लिए 52 सोसाइटियों 155 खरीदी केंद्रों पर खरीदी कर सिर्फ एक महीने के अंदर 49 लाख 80 हजार मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी कर बीते साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. पिछले साल 52 सोसाइटी के लिए 99 खरीदी केंद्र बनाए गए थे. वहीं दो महीने में 45 लाख मैट्रिक टन गेंहू की खरीदी की गई थी.
इन महिलाओं के लिए एक गीत की कुछ पंक्तियां सार्थक होती नजर आती हैं-
कोमल है कमजोर नहीं ,तू शक्ति का नाम ही नारी है.
जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझ से हारी है.
समर्थन मूल्य पर शुरू हुई गेहूं खरीदी के इस जोखिम भरे काम के दौरान जब इन महिलाओं के द्वारा 50 किलो की बोरियां अपने सिर पर रखकर ट्रकों में लोड की जाती थी. वहीं बोरो को सिलने के साथ-साथ सिलाई करने और तुलाई करने का काम भी किसी अनुभवी हम्मालों से कम नहीं था. चिलचिलाती धूप के बीच यह महिलाएं अपने परिवार के भरण पोषण के लिए पूरे लॉकडाउन के दौरान हम्माली का काम करती रहीं. खरीदी केंद्र पर इन आदिवासी महिलाओं के लिए भोजन और रहने की व्यवस्था भी खरीदी केंद्र के पास ही करा दी गई थी.
जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी सतीश सिटोके ने बताया कि 52 सोसाइटी के 155 खरीदी केंद्रों पर एक महीने के अंदर 49 लाख 80 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदी की गई है. जो कि बीते साल से करीब 4000 मेट्रिक टन ज्यादा है.