ग्वालियर/जबलपुर। आज विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day) है. लेकिन मध्य प्रदेश के शहरों में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए गए साइकलिंग प्रोजेक्ट बदरत हालात में है. जबलपुर में जहां करोड़ों की लागत से बना साइकिलिंग ट्रैक जर्जर हालात में है, तो वहीं ग्वालियर में शुरू की गई पब्लिक बाइक शेयरिंग स्कीम की साइकिलें कबाड़ में तब्दील हो चुकी है.
ग्वालियर में 500 स्मार्ट साइकिल हुई कबाड़
मार्च 2020 में जब ग्वालियर शहर में लॉक डाउन लगा, तब से लेकर अब तक स्मार्ट सिटी का एक करोड़ का पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट कबाड़ में तब्दील हो गया है. शहर के 50 डाक स्टेशन पर रखी 500 से अधिक स्मार्ट साइकिल कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. इन स्टेशन पर रखी 70 फीसदी से अधिक स्मार्ट साइकिल खराब और न चलने की स्थिति में है. इन साइकिलों का मेंटेनेंस लंबे अरसे से नहीं किया गया है. अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि स्टेशनों पर रखी इन अधिकतर साइकिलों में सीट गायब है तो किसी के पहिए में डग है. हालांकि स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह का कहना है कि 2 साल से संक्रमण होने के कारण साइकिलों का मेंटेनेंस नहीं हो पाया है लेकिन अब कोरोना कर्फ्यू हट चुका है, अब इस प्रोजेक्ट को जल्द ही शुरू किया जाएगा. ताकि लोगों को इसका फायदा मिल सके.
World Bicycle Day: ग्वालियर में दो साल में कबाड़ हुई 500 स्मार्ट साइकिलें
3 साल पहले हुई थी शुरुआत
स्मार्ट सिटी ने निजी कंपनी याना के साथ मिलकर शहर के लोगों को स्वस्थ बनाने और पर्यावरण में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके पब्लिक बाइक शेयरिंग की योजना की शुरुआत की थी. योजना का शुभारंभ होने के बाद धीरे-धीरे शहर के लोग इस योजना से जुड़ेने लगे थे. लेकिन योजना की शुरुआत के 6 महीने बाद ही कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लग गया और शहरवासी घरों में कैद हो गए. सब कुछ बंद होने के कारण साइकिलिंग के प्रति लोगों का रुझान भी कम हो गया. तब से लेकर अब तक यह साइकिलें स्टैंड पर धूल खा रही है और कई साइकिलें तो कबाड़ में तब्दील हो चुकी है.
विश्व साइकिल दिवस: करोड़ों की लागत से बना साइकिल ट्रैक हुआ जर्जर
जबलपुर में जर्जर हुआ करोड़ों का ट्रैक
स्मार्ट सिटी जबलपुर ने साल 2018 में कटंगा से ग्वारीघाट तक करीब 5.5 किलोमीटर का साइकिल ट्रैक बनवाया था. इसका उद्देश्य था कि साइकलिंग के लिए अलग से डेडिकेटेड ट्रैक होने पर लोग सेहत और पर्यावरण के प्रति जागरुक होंगे. लेकिन 3 ही सालों में साइकिल ट्रैक गुमनामी के अंधेरे में खो गया है. अतिक्रमण और बेरुखी के चलते ये साइकिल ट्रैक बदहाल हो गया है.
अधिकारियों की बेतुकी दलील
साइकिल ट्रैक का रखरखाव न होना, समय पर मरम्मत न होना और देखरेख न होने के चलते ये साइकिल ट्रैक गायब हो गया है. कई स्थानों साइकिल ट्रैक पर लोगों के वाहन पार्किंग करना शुरू कर दिया है, तो कहीं साइकिल ट्रैक पर ही दुकान सज गई हैं. असिस्टेंट मैनेजर सम्भव आयची की माने तो स्मार्ट सिटी ने आमजन के लिए कटंगा से ग्वारीघाट तक 4 करोड़ की लागत से ट्रैक बनवाया है, जिसकी लंबाई करीब 5.5 किलोमीटर है. इसके अलावा भातखण्डे से नवभारत तक 7 करोड़ की लागत से 1.2 किलोमीटर और नवभारत से नोदरा ब्रिज तक 2.5 करोड़ रु खर्च कर ट्रैक बनवाया है. जिसका समय पर मेंटेनेंस किया जाता है.
कोरोना काल में खूब बिकी साइकिल
कोरोना संक्रमण के समय अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जबलपुर में लोगों ने खूब साइकिल खरीदी. लेकिन जबलपुर में जब लोग साइकिल के लिए जागरुक होने लगे तब शहर का साइकिल ट्रैक ही गायब हो गया. इधर साइकिल विक्रेता की माने तो बीते साल लोगों ने बहुत साइकिल खरीदी थी लेकिन इस साल लोग साइकिल को लेकर कम जागरुक नजर आ रहे हैं.