ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल के 6 जिलों में संचालित 200 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों में 75 फ़ीसदी में कोई ना कोई गड़बड़ी मिली है. इसका खुलासा मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल द्वारा हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पेश की गई निरीक्षण रिपोर्ट में हुआ है.
व्यापक स्तर पर हो रही नर्सिंग कॉलेजों में धांधली : गौरतलब है कि ग्वालियर के अधिवक्ता उमेश बोहरे ने याचिका दायर करके कहा था कि ग्वालियर चंबल अंचल में कई कॉलेज सिर्फ कागजों में संचालित हो रहे हैं. उन्हें धड़ल्ले से विश्वविद्यालय और नर्सिंग काउंसिल मान्यता दे रही है. नर्सिंग कॉलेजों में स्थापित अस्पताल में स्टाफ नहीं है, डॉक्टर नहीं है और पलंग तक गायब हैं. रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई थी कि कई कॉलेजों ने तो अपना निरीक्षण कराने से ही इंकार कर दिया था. कई नर्सिंग कॉलेज ऐसे भी मिले जो बताए गए पते पर ही नहीं थे. जबकि कुछ में अकादमिक भवन छोटा और पुराना मिला. इस रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल से पूछा है कि गड़बड़ी करने वाले कॉलेजों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है.
कमेटी कर रही है जांच : काउंसिल की ओर से बताया गया कि एक कमेटी का गठन किया गया है, जो जांच रिपोर्ट में छंटनी कर नर्सिंग काउंसिल को जानकारी देगी. उसी के आधार पर कॉलेजों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए अब 29 जून तक रिपोर्ट पेश करने का कोर्ट ने समय दिया है. याचिकाकर्ता अधिवक्ता बोहरे ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि जो कॉलेज संचालित भी नहीं हो रहे थे, उन्हें भी मान्यता प्रदान कर दी गई है.
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कोर्ट ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी : इस पर नर्सिंग काउंसिल को कोर्ट ने कमेटी बनाकर इन कॉलेजों के निरीक्षण के निर्देश दिए थे. याचिकाकर्ता हरिओम का दावा है कि निजी नर्सिंग कॉलेजों की आड़ में छात्रों का समय और पैसा बर्बाद कर उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. हाईकोर्ट अधिवक्ता अशोक जैन का कहना है कि नियम विरुद्ध तरीके से चलाए जा रहे नर्सिंग कॉलेजों के खिलाफ हरिओम शर्मा ने याचिका दायर की है, जिसमें बिना नियमों का पालन किए यह कॉलेज संचालित हो रहे हैं. इसलिए हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. (Widespread disturbances in nursing colleges) (Court strict on nursing colleges)