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ग्वालियर-चंबल की प्यास बुझाने की तैयारी में विभाग, इस प्रोजेक्ट पर कर रहा काम - बैराज

प्रदेश के ग्वालियर जिले में हो रही पानी की समस्या को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने एक प्लान तैयार किया है, जिसके तहत कूनो नदी के पानी को लिफ्ट कर ग्वालियर भिंड, मुरैना, शिवपुरी श्योपुर को पानी देने का प्लान है.

जल संसाधन विभाग ने ग्वालियर के लिए तैयार किया नया प्रोजेक्ट
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Published : Sep 13, 2019, 5:48 PM IST

ग्वालियर। जिले में जल संकट से जूझ रहे ग्वालियर वासियों के लिए जल संसाधन विभाग ने एक नया प्लान तैयार किया है, जिसके तहत कूनो नदी से ग्वालियर के साथ-साथ भिंड, मुरैना, श्योपुर और शिवपुरी को पानी मुहैया कराने का प्लान है.

जल संसाधन विभाग ने ग्वालियर के लिए तैयार किया नया प्रोजेक्ट

ग्वालियर की प्यास बुझाने के लिए चंबल नदी से पानी लाना पड़ता था, ऐसे में ये प्लान सफल हो जाता है तो इससे निजात मिल जाएगी. कूनो नदी चंबल की सहायक नदी है, जिसमें पानी की मात्रा लगभग 800 एमसीएम है, ये नदी गुना, शिवपुरी और मुरैना से होकर गुजरती है और ये पोहरी-शिवपुरी रोड को क्रॉस करती है. जल संसाधन विभाग यहां के 300 एमसीएम पानी की क्षमता वाला बैराज बनाने का प्लान कर रहा है.

बैराज से पानी को आसानी से लिफ्ट कर पार्वती व आसन नदी तक ले जाया जा सकता है. ये प्रोजेक्ट ग्वालियर की पानी की समस्या हल करने में काफी मददगार साबित होगा, इसके अलावा ग्वालियर के आसपास के सभी बांधों-स्वर्णरेखा नदी को पानी से भरा जा सकेगा.

जलसंसाधन विभाग को इस प्रोजेक्ट की डिटेल तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है. अफसरों की माने तो इस प्रोजेक्ट में लगभग 1700 करोड़ की लागत आएगी, लेकिन ग्वालियर के साथ-साथ शिवपुरी, मुरैना और भिंड में जल संटक से पूरी तरह से निजात मिल जाएगा.

बता दें कि कुल जल संग्रहण क्षमता 120 एमसीएम है, बैराज की 300 एमसीएम क्षमता है. जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का प्लान है कि इन दो माह में कटेला बैराज से पानी छोड़ने की वजह स्टाफ रखा जाएगा और जब बरसात का पानी नदी में आना शुरू हो जाएगा तो उसे पार्वती नदी में छोड़ दिया जाएगा. इस प्लान के बाद अनुमान है कि नेशनल कैपिटल रीजनिंग बोर्ड दिल्ली के 256 करोड़ रुपए के लोन से शुरू होने वाला चंबल प्रोजेक्ट निरस्त हो सकता है.

ग्वालियर। जिले में जल संकट से जूझ रहे ग्वालियर वासियों के लिए जल संसाधन विभाग ने एक नया प्लान तैयार किया है, जिसके तहत कूनो नदी से ग्वालियर के साथ-साथ भिंड, मुरैना, श्योपुर और शिवपुरी को पानी मुहैया कराने का प्लान है.

जल संसाधन विभाग ने ग्वालियर के लिए तैयार किया नया प्रोजेक्ट

ग्वालियर की प्यास बुझाने के लिए चंबल नदी से पानी लाना पड़ता था, ऐसे में ये प्लान सफल हो जाता है तो इससे निजात मिल जाएगी. कूनो नदी चंबल की सहायक नदी है, जिसमें पानी की मात्रा लगभग 800 एमसीएम है, ये नदी गुना, शिवपुरी और मुरैना से होकर गुजरती है और ये पोहरी-शिवपुरी रोड को क्रॉस करती है. जल संसाधन विभाग यहां के 300 एमसीएम पानी की क्षमता वाला बैराज बनाने का प्लान कर रहा है.

बैराज से पानी को आसानी से लिफ्ट कर पार्वती व आसन नदी तक ले जाया जा सकता है. ये प्रोजेक्ट ग्वालियर की पानी की समस्या हल करने में काफी मददगार साबित होगा, इसके अलावा ग्वालियर के आसपास के सभी बांधों-स्वर्णरेखा नदी को पानी से भरा जा सकेगा.

जलसंसाधन विभाग को इस प्रोजेक्ट की डिटेल तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है. अफसरों की माने तो इस प्रोजेक्ट में लगभग 1700 करोड़ की लागत आएगी, लेकिन ग्वालियर के साथ-साथ शिवपुरी, मुरैना और भिंड में जल संटक से पूरी तरह से निजात मिल जाएगा.

बता दें कि कुल जल संग्रहण क्षमता 120 एमसीएम है, बैराज की 300 एमसीएम क्षमता है. जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का प्लान है कि इन दो माह में कटेला बैराज से पानी छोड़ने की वजह स्टाफ रखा जाएगा और जब बरसात का पानी नदी में आना शुरू हो जाएगा तो उसे पार्वती नदी में छोड़ दिया जाएगा. इस प्लान के बाद अनुमान है कि नेशनल कैपिटल रीजनिंग बोर्ड दिल्ली के 256 करोड़ रुपए के लोन से शुरू होने वाला चंबल प्रोजेक्ट निरस्त हो सकता है.

Intro:ग्वालियर- वर्तमान में जिस तरीके से ग्वालियर जल संकट से जूझ रहा है उससे निजात दिलाने के लिए अब जल संसाधन विभाग ने एक नया प्लान तैयार कर लिया है। इस प्लान के तहत कूनो नदी से ग्वालियर सहित भिंड, मुरैना, शिवपुर और शिवपुरी को पानी दिए जाने का प्लान है। इस प्लान के सफल हो जाने से ग्वालियर की प्यास बुझाने के लिए चंबल से पानी लाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। कूनो नदी चंबल नदी की एक बड़ी सहायक नदी है जिसमें पानी की मात्रा लगभग 800 अरब लीटर रहती है यह नदी गुना, शिवपुरी, और मुरैना जिले से होकर गुजरती है। यह नदी पोहरी शिवपुरी रोड को क्रॉस करती है, इस रोड के नजदीक के गांव अटेला में स्कूल के किनारे 200 मीटर ऊंची रिवर बैंक है। जल संसाधन विभाग की प्लानिंग है यहां एक बैराज तैयार किया जाए जिसकी क्षमता 300 लीटर पानी की होगी।


Body:इस बैराज से पानी को लेफ्ट कर पार्वती और आसन नदी तक आसानी से लाया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट से ग्वालियर की पानी की समस्या का स्थाई छुटकारा मिल जाएगा। तिघरा डैम में पानी की कमी होने पर पार्वती नदी पर बनी अपर ककेटो बांध से पानी छोड़ा जाता है। जो ककेट और पसारी बांध होता हुआ तिघरा तक पहुंचता है।पार्वती नदी में कूनो से पानी की पूर्ति होगी। और ग्वालियर तक पानी आता रहेगा ।इसके अलावा ग्वालियर के आसपास के सभी बांधों स्वर्णरेखा नदी को पानी से भरा जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए जल संसाधन विभाग को डिटेल प्रोजेक्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। बिहार की अफसरों का अनुमान है कि इस पर लगभग 1700 करोड़की लागत आएगी। इसके साथ ही इससे ग्वालियर शिवपुरी मुरैना और भिंड जनों तक पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था हो पाएगी। बैराज के बनने से ग्वालियर की पानी की समस्या को पूरी तरीके से दूर किया जा सकता है। क्योंकि पानी सफाई के लिए शहर की आधी आबादी तिघरा पर निर्भर करती है। जगह की कुल जल संग्रहण क्षमता 120 लीटर की है। और जो बैराज बनाने की प्लानिंग की जा रही है वह 300 लीटर क्षमता का है।बैराज के पानी से तगड़ा को दो बार भरा जा सकेगा। कूनो नदी से साल भर में 10 महीने पानी चलता रहता है सिर्फ अप्रैल और मई महा में ग्राम कटैला के आसपास इस नदी में पानी की कमी हो जाती है लेकिन इसके बाद बरसात होने पर नदी फिर से लबालब हो जाती है जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का प्लान है कि इन दो माह में कटेला बैराज से पानी छोड़ने की वजह स्टाफ रखा जाएगा और जब बरसात का पानी नदी में आना शुरू हो जाएगा तो उसे पार्वती में छोड़ दिया जाएगा। जल संसाधन विभाग के इस नए प्लान के बाद अब ऐसा लग रहा है कि नेशनल कैपिटल रीजनिंग बोर्ड दिल्ली के 256 करोड़ रुपए के लोन से शुरू होने वाला चंबल प्रोजेक्ट निरस्त हो सकता है।


Conclusion:शहर की प्यास हो जाने के लिए तीन दशक से चंबल का पानी लाने की प्लानिंग वह वादे किए जा रहे है केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वादे को पूरा करने के लिए पिछले कार्यकाल में केंद्र व राज्य सरकार से इस योजना को स्वीकृत कराकर 256 करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत करा दिया था। इसमें चंबल से तिघरा तक पाइप लाइन के जरिए पानी लाया लाया जाना है। लेकिन कुछ आवश्यक अशवीकृति के चलते यह प्रोजेक्ट अभी भी अटका पड़ा हुआ है। जबकि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की माने तो प्लान के लिए सभी आवश्यक फॉर्मेलिटी आसानी से पूरी कर ली जाएंगी। और यह प्रोजेक्ट चंबल के प्रोजेक्ट से सस्ता पड़ेगा।

बाइट - आरपी झा, अधीक्षण यंत्री ,जल संसाधन विभाग
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