ETV Bharat / state

एक घंटे की बारिश ने नगर निगम को किया बेनकाब, पानी की तरह पैसा बहाकर भी नहीं हुआ जल निकासी का इंतजाम

ग्वालियर में तेज बारिश के चलते शहर की सड़के जलमग्न हो गई हैं, सरकारी दफ्तरों में भी पानी भर गया है. जलभराव के चलते वाहन चालक हादसे के शिकार हो रहे हैं.

बारिश ने खोली स्मार्ट सिटी की पोल
author img

By

Published : Sep 7, 2019, 6:17 PM IST

ग्वालियर। शहर में शनिवार को हुई बारिश ने नगर निगम को बेनकाब कर दिया. स्मार्ट सिटी के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने के बावजूद बारिश का पानी बहने का कोई मुकम्मल इंतजाम नहीं किया जा सका. मजह एक घंटे की बारिश में ही सड़कें लबालब हो गयीं. सरकारी दफ्तरों में पानी भर गया. कई वाहन खस्ताहाल सड़कों पर बने गड्ढों में फंसे नजर आये, जबकि कई जलभराव के चलते गड्ढे में गिरकर घायल हो गये.

बारिश ने खोली स्मार्ट सिटी की पोल

नगर निगम करोड़ों रुपए खर्च कर बारिश से पहले नालों की सफाई कराने का दावा किया था, फिर जलभराव जैसी स्थिति क्यों निर्मित हो रही है. बारिश के दौरान जगह-जगह जलभराव की स्थिति से नगर निगम के दावों की पोल खुल रही है. शहर में जल निकासी की स्थिति सुधरने की जगह दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. रियासत काल में जल निकासी के लिए प्राकृतिक और कृत्रिम रूप से बनाए गए कुल 481 नाले थे, जिसमें अधिकांश की स्थिति बेहाल है. कई नाले अतिक्रमण के चलते लापता हो गये हैं तो कई नालों की चौड़ाई घटकर चौथाई रह गई है.

ग्वालियर स्मार्ट सिटी के नाम पर अधिकारी करोड़ों रुपए डकार गए, लेकिन स्मार्ट सिटी बनाना तो दूर शहर के हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं. हर साल नगर निगम लाखों रूपए खर्च करता है, फिर भी हालात जस के तस बने हुए हैं.

ग्वालियर। शहर में शनिवार को हुई बारिश ने नगर निगम को बेनकाब कर दिया. स्मार्ट सिटी के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने के बावजूद बारिश का पानी बहने का कोई मुकम्मल इंतजाम नहीं किया जा सका. मजह एक घंटे की बारिश में ही सड़कें लबालब हो गयीं. सरकारी दफ्तरों में पानी भर गया. कई वाहन खस्ताहाल सड़कों पर बने गड्ढों में फंसे नजर आये, जबकि कई जलभराव के चलते गड्ढे में गिरकर घायल हो गये.

बारिश ने खोली स्मार्ट सिटी की पोल

नगर निगम करोड़ों रुपए खर्च कर बारिश से पहले नालों की सफाई कराने का दावा किया था, फिर जलभराव जैसी स्थिति क्यों निर्मित हो रही है. बारिश के दौरान जगह-जगह जलभराव की स्थिति से नगर निगम के दावों की पोल खुल रही है. शहर में जल निकासी की स्थिति सुधरने की जगह दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. रियासत काल में जल निकासी के लिए प्राकृतिक और कृत्रिम रूप से बनाए गए कुल 481 नाले थे, जिसमें अधिकांश की स्थिति बेहाल है. कई नाले अतिक्रमण के चलते लापता हो गये हैं तो कई नालों की चौड़ाई घटकर चौथाई रह गई है.

ग्वालियर स्मार्ट सिटी के नाम पर अधिकारी करोड़ों रुपए डकार गए, लेकिन स्मार्ट सिटी बनाना तो दूर शहर के हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं. हर साल नगर निगम लाखों रूपए खर्च करता है, फिर भी हालात जस के तस बने हुए हैं.

Intro:ग्वालियर- आज सुबह ग्वालियर अंचल में हुई एक घंटे की बारिश ने ग्वालियर नगर निगम और प्रशासन की पोल खोल दी। स्मार्ट सिटी के नाम पर हर साल करोड़ों पर खर्च होने वाले ग्वालियर शहर में एक घंटे की बारिश से शहर की मुख्य सड़कों और सरकारी दफ्तरों में पानी लबालब हो गया। और कई वाहन चालक खराब सड़कों के चलते गड्ढे में गिरते हुए नजर आए। बता दे नगर निगम की द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर बारिश से पहले नालों की सफाई कराने का दावा करती है फिर भी हर साल शहर में जवाब जल भराव की स्थिति बनती है। शहर में एक घंटे की बारिश से ही नगर निगम के इन दावों की पोल खुल जाती है।


Body:दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि शहर में जल निकासी की स्थिति सुधारने के स्थान पर दिनों दिन बिगड़ती जा रही है रियासत काल में जल निकासी के लिए प्राकृतिक एवं कृत्रिम रूप से बनाए गए कुल 481 नाले थे।इनमें से अधिकांश की स्थिति आज बेहाल है कई अतिक्रमण से यह गुम हो चुके हैं। तो कहीं इनकी चौड़ाई घटकर चौथाई हो गई है। ऊपर से जो नाले प्रत्यक्ष रूप से देख भी रहे थे तो नगर निगम प्रशासन अब तक इनकी सफाई नहीं करा सका है। इसको लेकर हम लोगों का कहना है कि ग्वालियर शहर में स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपए अधिकारियों के द्वारा डकार आ जाता है। शहर में आदित्य सर के अभी हुई है जिसके कारण आए दिन वाहन चालक दुर्घटना का शिकार होते हैं लेकिन इस बार सिटी और नरेंद्र गम इनको ठीक नहीं करा पाया है साथ ही हर साल बरसात के मौसम में जलभराव की स्थिति होती है घर में पानी भर जाता है। लेकिन ग्वालियर प्रशासन नालों की सफाई अभियान के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खा जाता है।


Conclusion:बाईट - गौरब राजपूत , आम आदमी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.