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कोरोना की दूसरी लहर ऑटो चालकों के लिए बनी दोहरी मार का सबब

कोरोना की दूसरी लहर ऑटो चालकों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. ऑटो चालकों को इन दिनों सवारी तो दूर ऑटो चलाने की भी इजाजत नहीं मिल रही है. रोज कमाने और रोज खाने वाले ऑटो चालक सरकार और कोरोना के बीच फस गए है.

The second wave of Corona
कोरोना की दूसरी लहर
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Published : Apr 21, 2021, 2:35 PM IST

ग्वालियर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में एक बार फिर शहर के ऑटो चालक दोहरी मुसीबत में फंस गए हैं. रोज खाने कमाने वालों की मुसीबतें इन दिनों बढ़ रही है. शहर में कुछ ही संख्या में लोगों को बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से लाने छोड़ने में दो पैसे की आस रखने वाले ऑटो चालक परेशानी में घिरते जा रहे हैं. प्रशासन ने ऑटो चालक की मनाही कर रही है, लेकिन बस और रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही जारी है.

ऑटो चालकों के लिए बनी दोहरी मार का सबब
  • ऑटो चालकों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं

यात्रियों को उनके मुकाम तक छोड़ने के लिए ऑटो चालक को सवारी लेकर निकलना परेशानी का सबब बन जाता है. पुलिस कहीं भी ऑटो को रोककर उनका चालन बना देती है. हालात उस समय ज्यादा खराब होते हैं जब कई बार पुलिसकर्मी सवारी को बैठा देख ऑटो को छोड़ भी देते हैं, लेकिन जब वह सवारी छोड़ने के बाद खाली ऑटो लेकर दोबारा से बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जा रहा होता है, तब पुलिस उसे पकड़कर चालान बना देती है. फिर वह कितनी भी अपनी सफाई देता रहे. कई ऑटो चालक तो पुलिस के इस रवैए से बेहद परेशान है, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई भी नहीं है.

इलाज में लापरवाही! सीएमएचओ ने स्टाफ से कहाः FIR दर्ज करा दूंगा

  • गरीब होने के कारण हो रही कार्रवाई

पुलिस भी मानती है कि कुछ संख्या में ऑटो चलने से ये तय नहीं हो पाता कि सवारी छोड़कर आने वाला ऑटो कौन है और कौन सा नहीं. क्योंकि सभी खाली ऑटो लेकर आने वाले लोग अपने को सवारी छोड़ कर आना बताते हैं. ऐसे में यह तय कर पाना मुश्किल है कि कौन सही कह रहा है और कौन गलत. पुलिस मानती है कि इसके लिए कुछ पैरामीटर तय करने की जरूरत है, लेकिन ऑटो चालक इन दिनों कमाने के बजाय गंवा ज्यादा रहे हैं. उनका कहना है कि बस संचालन इसलिए नहीं रोका है, क्योंकि वह नेता और जनप्रतिनिधियों के खास लोगों की है. जबकि ऑटो गरीब लोगों के हैं, इसलिए पुलिस का डंडा गरीब ऑटो वालों पर चल रहा है.

ग्वालियर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में एक बार फिर शहर के ऑटो चालक दोहरी मुसीबत में फंस गए हैं. रोज खाने कमाने वालों की मुसीबतें इन दिनों बढ़ रही है. शहर में कुछ ही संख्या में लोगों को बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से लाने छोड़ने में दो पैसे की आस रखने वाले ऑटो चालक परेशानी में घिरते जा रहे हैं. प्रशासन ने ऑटो चालक की मनाही कर रही है, लेकिन बस और रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही जारी है.

ऑटो चालकों के लिए बनी दोहरी मार का सबब
  • ऑटो चालकों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं

यात्रियों को उनके मुकाम तक छोड़ने के लिए ऑटो चालक को सवारी लेकर निकलना परेशानी का सबब बन जाता है. पुलिस कहीं भी ऑटो को रोककर उनका चालन बना देती है. हालात उस समय ज्यादा खराब होते हैं जब कई बार पुलिसकर्मी सवारी को बैठा देख ऑटो को छोड़ भी देते हैं, लेकिन जब वह सवारी छोड़ने के बाद खाली ऑटो लेकर दोबारा से बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जा रहा होता है, तब पुलिस उसे पकड़कर चालान बना देती है. फिर वह कितनी भी अपनी सफाई देता रहे. कई ऑटो चालक तो पुलिस के इस रवैए से बेहद परेशान है, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई भी नहीं है.

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  • गरीब होने के कारण हो रही कार्रवाई

पुलिस भी मानती है कि कुछ संख्या में ऑटो चलने से ये तय नहीं हो पाता कि सवारी छोड़कर आने वाला ऑटो कौन है और कौन सा नहीं. क्योंकि सभी खाली ऑटो लेकर आने वाले लोग अपने को सवारी छोड़ कर आना बताते हैं. ऐसे में यह तय कर पाना मुश्किल है कि कौन सही कह रहा है और कौन गलत. पुलिस मानती है कि इसके लिए कुछ पैरामीटर तय करने की जरूरत है, लेकिन ऑटो चालक इन दिनों कमाने के बजाय गंवा ज्यादा रहे हैं. उनका कहना है कि बस संचालन इसलिए नहीं रोका है, क्योंकि वह नेता और जनप्रतिनिधियों के खास लोगों की है. जबकि ऑटो गरीब लोगों के हैं, इसलिए पुलिस का डंडा गरीब ऑटो वालों पर चल रहा है.

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