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कौमी एकता की मिसाल तानसेन समारोह, समाधि पर आरती के बाद की जाती है चादरपोशी

तानसेन समारोह में एक तरफ जहां हरि कथा की प्रस्तुति दी जाती है, वहीं मिलाद शरीफ पढ़ कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है.

tansen program organized
तानसेन समारोह आयोजित
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Published : Dec 17, 2019, 5:10 PM IST

ग्वालियर। जिले में लगभग एक सदी से हर साल आयोजित होने वाला तानसेन समारोह सांप्रदायिक सौहार्द का जीता जागता उदाहरण है. तानसेन समारोह का आगाज परंपरागत तरीके से हरि कथा मिलाद के साथ शुरू किया जाता है. इस बार भी डोली बुआ महाराज ने हरि कथा सुनाई, जिसके बाद मिलाद शरीफ पढ़ी गई. साथ ही जहां तानसेन की समाधि पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने चादरपोशी की तो वहीं हिंदू मान्यताओं के अनुसार उनकी समाधि की आरती भी की गई.

तानसेन समारोह
ये परंपरा तानसेन समारोह के शुरुआत से ही है, जिस जगह स्वर सम्राट तानसेन की समाधि है. तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए हरि कथा और उनके लिखे गए संगीत का गायन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है. तानसेन समारोह में कई साल से हरि कथा करते आ रहे ढोली बुआ का कहना है कि माध्यम कोई भी हो सब का उद्देश्य अल्लाह और ईश्वर की वंदना करना है, जो महान आत्मा है. उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करना है.
तानसेन जन्म से ब्राह्मण थे, लेकिन उन्होंने मोहम्मद घोष को अपना आध्यात्मिक गुरु माना था. यही वजह है कि जब उनका समारोह आयोजित किया जाता है, तब उन्हें आमंत्रित करने के लिए हरि कथा और मिलाद का आयोजन किया जाता है. वहीं तानसेन समारोह में शामिल होने पहुंचे संगीत प्रेमियों का भी मानना है कि यहां जो परंपरागत पद्धति है, वह बहुत ही शानदार है और इससे पता चलता है कि भारत की तहजीब कितनी गंगा-जमुनी है, एक तरफ जहां हरि कथा की प्रस्तुति दी जाती है, वहीं मिलाद शरीफ पढ़ कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है.

ग्वालियर। जिले में लगभग एक सदी से हर साल आयोजित होने वाला तानसेन समारोह सांप्रदायिक सौहार्द का जीता जागता उदाहरण है. तानसेन समारोह का आगाज परंपरागत तरीके से हरि कथा मिलाद के साथ शुरू किया जाता है. इस बार भी डोली बुआ महाराज ने हरि कथा सुनाई, जिसके बाद मिलाद शरीफ पढ़ी गई. साथ ही जहां तानसेन की समाधि पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने चादरपोशी की तो वहीं हिंदू मान्यताओं के अनुसार उनकी समाधि की आरती भी की गई.

तानसेन समारोह
ये परंपरा तानसेन समारोह के शुरुआत से ही है, जिस जगह स्वर सम्राट तानसेन की समाधि है. तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए हरि कथा और उनके लिखे गए संगीत का गायन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है. तानसेन समारोह में कई साल से हरि कथा करते आ रहे ढोली बुआ का कहना है कि माध्यम कोई भी हो सब का उद्देश्य अल्लाह और ईश्वर की वंदना करना है, जो महान आत्मा है. उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करना है.
तानसेन जन्म से ब्राह्मण थे, लेकिन उन्होंने मोहम्मद घोष को अपना आध्यात्मिक गुरु माना था. यही वजह है कि जब उनका समारोह आयोजित किया जाता है, तब उन्हें आमंत्रित करने के लिए हरि कथा और मिलाद का आयोजन किया जाता है. वहीं तानसेन समारोह में शामिल होने पहुंचे संगीत प्रेमियों का भी मानना है कि यहां जो परंपरागत पद्धति है, वह बहुत ही शानदार है और इससे पता चलता है कि भारत की तहजीब कितनी गंगा-जमुनी है, एक तरफ जहां हरि कथा की प्रस्तुति दी जाती है, वहीं मिलाद शरीफ पढ़ कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है.
Intro:ग्वालियर- भले ही वर्तमान समय में देश के कई इलाकों में हिंदू-मुस्लिम को लेकर हिंसा का माहौल बना हुआ है लेकिन ग्वालियर में लगभग एक सदी से आयोजित हो रहा तानसेन समारोह सांप्रदायिक सौहार्द का जीता जागता उदाहरण है। तानसेन समारोह का आगाज परंपरागत तरीके से हरि कथा मिलाद के साथ शुरू किया जाता है। आज भी डोली बुआ महाराज के द्वारा हरि कथा सुनाई गई इसके बाद मिलाद शरीफ भी पढ़ी गई।


Body:इसके साथ ही जहां तानसेन की समाधि पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा चादर पोशी की गई तो वही हिंदू मान्यताओं के अनुसार उनकी समाधि की आरती भी उतारी गई। यह परंपरा तानसेन समारोह के साथ शुरुआत से ही है जिस जगह स्वर सम्राट तानसेन की समाधि है। तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए हरि कथा और उनके द्वारा लिखे गए संगीत का गायन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते थे।तब से यह परंपरा तभी से चली आ रही है तानसेन समारोह में कई साल से हरि कथा पड़ने आ रहे ढोली बुआ का कहना है कि माध्यम कोई भी हो सब का उद्देश्य अल्लाह और ईश्वर की वंदना करना है जो महान आत्मा है इस देश में पैदा हुई उन को श्रद्धा सुमन अर्पित करना है। क्योंकि तानसेन जन्म से ब्राह्मण थे लेकिन उन्होंने मोहम्मद घोष को अपना आध्यात्मिक गुरु माना था ।यही कारण है कि जब उनका समारोह आयोजित किया जाता है तब उन्हें आमंत्रित करने के लिए हरि कथा और मिलाद का आयोजन किया जाता है।


Conclusion:वही तानसेन समारोह की आवाज में शामिल होने पहुंची संगीत प्रेमियों का भी मानना है कि यहां जो परंपरागत पद्धति है वह बहुत ही शानदार है और इससे पता चलता है कि भारत की तहजीब कितनी गंगा जमुनी है एक तरफ जहां हरि कथा की प्रस्तुति की जाती है वहीं मिलाद शरीफ पढ़ कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं।

वाइट - ढोली बुआ महाराज
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