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जयारोग्य अस्पताल में हाइडेटिड सिस्ट का सफल ऑपरेशन

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Published : Mar 2, 2021, 2:18 AM IST

ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में हायडेटिड सिस्ट का सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों ने दूरबीन की पद्धति से लिवर में बनी डेढ़ किलो वजनी गठान को सफलतापूर्वक निकाल दिया.

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सांकेतिक चित्र

ग्वालियर। जानवरों के कीड़ों से होने वाली हायडेटिड सिस्ट का जयारोग्य चिकित्सालय के सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों ने दूरबीन की पद्धति से मुरैना की एक युवती के लिवर में बनी डेढ़ किलो वजनी गठान को सफलतापूर्वक निकाल दिया. ग्वालियर और चंबल संभाग में अपनी तरह के इस पहले ऑपरेशन में युवती की परिजनों का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ.

नि:शुल्क ऑपरेशन

भारत आयुष्मान योजना के तहत यह ऑपरेशन पूरी तरह से नि:शुल्क किया गया. जयारोग्य चिकित्सालय में सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर एमएम मुद्गल ने बताया कि यदि मरीज की ओपन सर्जरी कर गठान निकालने की कोशिश होती तो कम से कम मरीज को 20 से ज्यादा टांके आ सकते थे और अधिक खून बहने और संक्रमण के खतरे भी कहीं ज्यादा थे. इसलिए सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रशांत श्रीवास्तव ने डॉक्टर मुद्गल के नेतृत्व में पांच चिकित्सकों की एक टीम तैयार की और युवती का दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन करने का फैसला किया गया. इसमें मुरैना की रहने वाली मेहरून्निसा को सिर्फ 3 टांके लगे और 2 घंटे में पूरा ऑपरेशन संपन्न हो गया.

बजट से एक दिन पहले हाईटेक हुए विधायक

डेढ़ किलो वजनी गठान

इसमें युवती के लिवर में बनी 12 सेंटीमीटर लंबी और 9 सेंटीमीटर चौड़ी डेढ़ किलो वजनी हाईडेटिड गठान को ऑपरेट कर निकाल दिया गया. तीन दिन तक भर्ती करने के बाद मेहरून्निसा को डिस्चार्ज कर दिया गया. यह बीमारी कीड़े से संबंधित है. भेड़ अथवा कुत्ते के संपर्क में मनुष्य के आने से इस तरह की सिस्ट लीवर में हो जाती है, जिससे बार-बार दर्द और घबराहट की शिकायत मरीज को होने लगती है.

पहले प्रयास में सफल ऑपरेशन

डॉक्टर मुद्गल के मुताबिक यह ऑपरेशन जोखिम भरा था यदि गठान से पानी रिस जाता तो लीवर के साथ पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल सकता था. इससे मरीज की जान को भी खतरा हो सकता था. इस कारण गठान का पानी पहले मशीनों की मदद से बाहर निकाला गया. इसके बाद गठान को पूरी तरह से बाहर कर दिया गया. उन्होंने बताया कि इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है जो पूरी तरह से सफल रहा.

ग्वालियर। जानवरों के कीड़ों से होने वाली हायडेटिड सिस्ट का जयारोग्य चिकित्सालय के सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों ने दूरबीन की पद्धति से मुरैना की एक युवती के लिवर में बनी डेढ़ किलो वजनी गठान को सफलतापूर्वक निकाल दिया. ग्वालियर और चंबल संभाग में अपनी तरह के इस पहले ऑपरेशन में युवती की परिजनों का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ.

नि:शुल्क ऑपरेशन

भारत आयुष्मान योजना के तहत यह ऑपरेशन पूरी तरह से नि:शुल्क किया गया. जयारोग्य चिकित्सालय में सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर एमएम मुद्गल ने बताया कि यदि मरीज की ओपन सर्जरी कर गठान निकालने की कोशिश होती तो कम से कम मरीज को 20 से ज्यादा टांके आ सकते थे और अधिक खून बहने और संक्रमण के खतरे भी कहीं ज्यादा थे. इसलिए सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रशांत श्रीवास्तव ने डॉक्टर मुद्गल के नेतृत्व में पांच चिकित्सकों की एक टीम तैयार की और युवती का दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन करने का फैसला किया गया. इसमें मुरैना की रहने वाली मेहरून्निसा को सिर्फ 3 टांके लगे और 2 घंटे में पूरा ऑपरेशन संपन्न हो गया.

बजट से एक दिन पहले हाईटेक हुए विधायक

डेढ़ किलो वजनी गठान

इसमें युवती के लिवर में बनी 12 सेंटीमीटर लंबी और 9 सेंटीमीटर चौड़ी डेढ़ किलो वजनी हाईडेटिड गठान को ऑपरेट कर निकाल दिया गया. तीन दिन तक भर्ती करने के बाद मेहरून्निसा को डिस्चार्ज कर दिया गया. यह बीमारी कीड़े से संबंधित है. भेड़ अथवा कुत्ते के संपर्क में मनुष्य के आने से इस तरह की सिस्ट लीवर में हो जाती है, जिससे बार-बार दर्द और घबराहट की शिकायत मरीज को होने लगती है.

पहले प्रयास में सफल ऑपरेशन

डॉक्टर मुद्गल के मुताबिक यह ऑपरेशन जोखिम भरा था यदि गठान से पानी रिस जाता तो लीवर के साथ पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल सकता था. इससे मरीज की जान को भी खतरा हो सकता था. इस कारण गठान का पानी पहले मशीनों की मदद से बाहर निकाला गया. इसके बाद गठान को पूरी तरह से बाहर कर दिया गया. उन्होंने बताया कि इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है जो पूरी तरह से सफल रहा.

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