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राज्य मानवाधिकार की टीम ने किया सेंट्रल जेल का निरीक्षण - ग्वालियर

ग्वालियर में आज राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन और सदस्यों ने केंद्रीय केंद्रीय कारागार का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने मीडिया से आयोग की अधिकारों पर भी चर्चा की.

state human rights team inspected central jail gwalior
राज्य मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन
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Published : Jan 31, 2020, 9:39 PM IST

ग्वालियर। राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन और सदस्यों ने सेंट्रल जेल का निरीक्षण किया. उन्होंने कैदियों की रहने और खाने-पीने की व्यवस्था को देखा और उस स्थान पर भी गए, जहां 26 जनवरी की रात एक कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस दौरान उन्होंने आयोग की सीमाओं और उसके कार्य क्षेत्र के बारे में मीडिया से चर्चा की.

राज्य मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन


बता दें विचाराधीन कैदी नरोत्तम रावत ने मंदिर के ऊपर लगे झंडे को फंदा बनाकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. हालांकि उसकी मानसिक स्थिति क्या थी, इसके बारे में कोई सटीक जवाब नहीं है. जस्टिस एनके जैन ने कहा कि पूछताछ में पता चला है कि कैदी नरोत्तम रावत को कुछ दिन पहले ही जुवेनाइल जेल से केंद्रीय कारागार शिफ्ट किया गया था. उन्होंने जेल प्रबंधन से मामले की पूरी जानकारी मांगी है.


मानवाधिकार आयोग के अधिकारों पर चर्चा करते हुए जस्टिस जैन ने कहा कि आयोग के पास सिविल कोर्ट के अधिकार हैं. अगर कोई अफसर बुलाने के बाद भी नहीं आता है, तो उसके खिलाफ वारंट भी जारी किया जा सकता है. इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों का निरीक्षण करने समाज की बेहतरी के लिए जन-जागरण अभियान चलाना भी उनके अधिकार क्षेत्र में है.

ग्वालियर। राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन और सदस्यों ने सेंट्रल जेल का निरीक्षण किया. उन्होंने कैदियों की रहने और खाने-पीने की व्यवस्था को देखा और उस स्थान पर भी गए, जहां 26 जनवरी की रात एक कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस दौरान उन्होंने आयोग की सीमाओं और उसके कार्य क्षेत्र के बारे में मीडिया से चर्चा की.

राज्य मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन


बता दें विचाराधीन कैदी नरोत्तम रावत ने मंदिर के ऊपर लगे झंडे को फंदा बनाकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. हालांकि उसकी मानसिक स्थिति क्या थी, इसके बारे में कोई सटीक जवाब नहीं है. जस्टिस एनके जैन ने कहा कि पूछताछ में पता चला है कि कैदी नरोत्तम रावत को कुछ दिन पहले ही जुवेनाइल जेल से केंद्रीय कारागार शिफ्ट किया गया था. उन्होंने जेल प्रबंधन से मामले की पूरी जानकारी मांगी है.


मानवाधिकार आयोग के अधिकारों पर चर्चा करते हुए जस्टिस जैन ने कहा कि आयोग के पास सिविल कोर्ट के अधिकार हैं. अगर कोई अफसर बुलाने के बाद भी नहीं आता है, तो उसके खिलाफ वारंट भी जारी किया जा सकता है. इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों का निरीक्षण करने समाज की बेहतरी के लिए जन-जागरण अभियान चलाना भी उनके अधिकार क्षेत्र में है.

Intro:ग्वालियर
मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन और सदस्यों ने शुक्रवार को केंद्रीय कारागार का निरीक्षण किया उन्होंने कैदियों की रहने और खाने-पीने की व्यवस्था को देखा और उस स्थान पर भी गए जहां 26 जनवरी की रात एक विचाराधीन के दिन कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। साथ ही उन्होंने आयोग की सीमाओं और उसके कार्य क्षेत्र के बारे में भी पत्रकारों से चर्चा की।


Body:उन्होंने इसे एक घटना ही बताया है क्योंकि विचाराधीन कैदी नरोत्तम रावत शाम को खाना खाने के बाद लघुशंका के लिए बाहर निकला था और मंदिर के ऊपर लगे झंडे को फंदा बनाकर उसने आत्महत्या कर ली थी। हालांकि उसकी मानसिक स्थिति क्या थी इसके बारे में कोई सटीक जवाब नहीं है ।उन्होंने कहा कि पूछताछ में पता चला है कि उससे विचाराधीन कैदी नरोत्तम रावत को कुछ दिन पहले ही जुवेनाइल जेल से केंद्रीय कारागार शिफ्ट किया गया था ।फिर भी उन्होंने इस मामले की पूरी जानकारी तलब की है।


Conclusion:वही जस्टिस जैन सदस्य मनोहर ममतानी ने शाम को मानवाधिकार आयोग मित्र कार्यालय का निरीक्षण किया और वहां सदस्यों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि आयोग के पास सिविल कोर्ट जैसे अधिकार है यदि कोई अफसर बुलाने के बाद भी नहीं आता है तो उसके खिलाफ वारंट भी जारी किया जा सकता है । इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों का निरीक्षण करने समाज की बेहतरी के लिए जन जागरण अभियान चलाना भी उनके अधिकार क्षेत्र में है।
बाइट जस्टिस एनके जैन... अध्यक्ष मानव अधिकार आयोग मध्यप्रदेश
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