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MP उपचुनाव : ग्वालियर चंबल में साख पर महाराजा की प्रतिष्ठा, सिंधिया समर्थक मंत्रियों का भविष्य दांव पर - by election in Gwalior Chambal Zone

ग्वालियर चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. ग्वालियर चंबल इलाका ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ कहा जाता है. ऐसे में बीजेपी सिंधिया का चेहरा आगे रखकर ही ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. ऐसी में सिंधिया समर्थक जो शिवराज सरकार में मंत्री उनके लिए करो या मरो की स्थिति बन गई है.

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Published : Oct 4, 2020, 5:42 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसमें से 16 सीटें ग्वालियर चंबल की हैं. इन सीटों को जीतना बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया हैं, क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल की सीटों को कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के दम पर जीता था. अब जब सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए हैं तो उनके साथ आए समर्थकों के लिए इन सीटों को जीतना और भी महत्वपूर्ण हो गया है.

उपचुनाव

ग्वालियर चंबल इलाका ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ कहलाता है. ऐसे में बीजेपी सिंधिया का चेहरा आगे रखकर ही ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाने वाले 8 नेता जो शिवराज सरकार में मंत्री हैं उनके लिए भी यह उपचुनाव करो या मरो वाली स्थिति है, क्योंकि अगर यह मंत्री चुनाव हार जाते हैं तो इन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ेगा. अभी शिवराज सरकार में चंबल अंचल से 8 मंत्री है, जिनका राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है. कैबिनेट मंत्री इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया और एदल सिंह कंसाना. वहीं राज मंत्री सुरेश राज खेड़ा, ओपी एस भदौरिया, गिर्राज दंडोतिया और बृजेंद्र सिंह यादव की साख दांव पर.

उपचुनाव में अगर यह मंत्री जीतते हैं, तो उनकी राजनीति चलती रहेगी. अगर इन मंत्रियों को हार मिलती है, तो न सिर्फ इन मंत्रियों का राजनीतिक भविष्य संकट में आएगा बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के रुतबे पर भी सवाल खड़े होंगे. इस बारे में पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का दावा है कि सभी 8 मंत्री बड़े अंतर से उपचुनाव जीतेंगे. उनका कहना है कि कमलनाथ ने अपने वादे नहीं निभाई जिसके चलते इन 8 मंत्रियों सहित 22 नेताओं को कांग्रेस छोड़ना पड़ा और बीजेपी भी लगातार हर पोलिंग बूथ पर कमर कसे हुए हैं, ताकि इस चुनाव में सभी सीटों को जीता जाए.

अगर बात करें तो इन मंत्रियों के 2018 विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी को बड़े अंतर से हराया था.

  • ऐदल सिंह ने सुमावली विधानसभा सीट से बीजेपी के अजब सिंह को 13,313 वोट से हराया था.
  • इमरती देवी ने डबरा विधानसभा सीट से बीजेपी के कप्तान सिंह को 57,446 वोट से हराया था.
  • प्रद्युम्न सिंह तोमर ने ग्वालियर विधानसभा सीट से बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को 21,044 वोट से हराया था.
  • महेंद्र सिंह ने बमोरी विधानसभा सीट से बीजेपी के ब्रजमोहन आजाद को 27, 920 वोट से हराया था.
  • ओपी एस भदौरिया ने मेहगांव विधानसभा सीट से बीजेपी के राकेश शुक्ला को 25,814 वोट से हराया था.
  • गिरराज दंडोतिया ने दिमनी विधानसभा सीट से बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर को 18,477 वोट से हराया था.
  • सुरेश राज खेड़ा ने पोहरी विधानसभा सीट से बीएसपी के कैलाश कुशवाहा को 7,918 वोट से हराया था.
  • विजेंद्र सिंह यादव ने मुंगावली विधानसभा सीट से बीजेपी केके पी यादव को 2,136 वोट से हराया था.

यह नतीजे 2018 के हैं, जब यह मंत्री कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में थे. जिसके चलते उन्हें बंपर वोट मिले थे, लेकिन अब वे बीजेपी में शामिल हो गए है, और बीजेपी के संभावित प्रत्याशी भी माने जा रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि यह वोटों से कांग्रेस में रहते हुए मिला था, लेकिन इन सभी मंत्रियों ने जनमत बेचा है. लिहाजा इस बार जनता सब को सबक सिखाएगी. बरहाल ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 8 मंत्रियों में से कौन-कौन अपनी राजनीतिक सफर में पास होता है या फेल है. यह तो 10 नवंबर के नतीजे तय करेंगे.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसमें से 16 सीटें ग्वालियर चंबल की हैं. इन सीटों को जीतना बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया हैं, क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल की सीटों को कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के दम पर जीता था. अब जब सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए हैं तो उनके साथ आए समर्थकों के लिए इन सीटों को जीतना और भी महत्वपूर्ण हो गया है.

उपचुनाव

ग्वालियर चंबल इलाका ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ कहलाता है. ऐसे में बीजेपी सिंधिया का चेहरा आगे रखकर ही ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाने वाले 8 नेता जो शिवराज सरकार में मंत्री हैं उनके लिए भी यह उपचुनाव करो या मरो वाली स्थिति है, क्योंकि अगर यह मंत्री चुनाव हार जाते हैं तो इन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ेगा. अभी शिवराज सरकार में चंबल अंचल से 8 मंत्री है, जिनका राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है. कैबिनेट मंत्री इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया और एदल सिंह कंसाना. वहीं राज मंत्री सुरेश राज खेड़ा, ओपी एस भदौरिया, गिर्राज दंडोतिया और बृजेंद्र सिंह यादव की साख दांव पर.

उपचुनाव में अगर यह मंत्री जीतते हैं, तो उनकी राजनीति चलती रहेगी. अगर इन मंत्रियों को हार मिलती है, तो न सिर्फ इन मंत्रियों का राजनीतिक भविष्य संकट में आएगा बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के रुतबे पर भी सवाल खड़े होंगे. इस बारे में पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का दावा है कि सभी 8 मंत्री बड़े अंतर से उपचुनाव जीतेंगे. उनका कहना है कि कमलनाथ ने अपने वादे नहीं निभाई जिसके चलते इन 8 मंत्रियों सहित 22 नेताओं को कांग्रेस छोड़ना पड़ा और बीजेपी भी लगातार हर पोलिंग बूथ पर कमर कसे हुए हैं, ताकि इस चुनाव में सभी सीटों को जीता जाए.

अगर बात करें तो इन मंत्रियों के 2018 विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी को बड़े अंतर से हराया था.

  • ऐदल सिंह ने सुमावली विधानसभा सीट से बीजेपी के अजब सिंह को 13,313 वोट से हराया था.
  • इमरती देवी ने डबरा विधानसभा सीट से बीजेपी के कप्तान सिंह को 57,446 वोट से हराया था.
  • प्रद्युम्न सिंह तोमर ने ग्वालियर विधानसभा सीट से बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को 21,044 वोट से हराया था.
  • महेंद्र सिंह ने बमोरी विधानसभा सीट से बीजेपी के ब्रजमोहन आजाद को 27, 920 वोट से हराया था.
  • ओपी एस भदौरिया ने मेहगांव विधानसभा सीट से बीजेपी के राकेश शुक्ला को 25,814 वोट से हराया था.
  • गिरराज दंडोतिया ने दिमनी विधानसभा सीट से बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर को 18,477 वोट से हराया था.
  • सुरेश राज खेड़ा ने पोहरी विधानसभा सीट से बीएसपी के कैलाश कुशवाहा को 7,918 वोट से हराया था.
  • विजेंद्र सिंह यादव ने मुंगावली विधानसभा सीट से बीजेपी केके पी यादव को 2,136 वोट से हराया था.

यह नतीजे 2018 के हैं, जब यह मंत्री कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में थे. जिसके चलते उन्हें बंपर वोट मिले थे, लेकिन अब वे बीजेपी में शामिल हो गए है, और बीजेपी के संभावित प्रत्याशी भी माने जा रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि यह वोटों से कांग्रेस में रहते हुए मिला था, लेकिन इन सभी मंत्रियों ने जनमत बेचा है. लिहाजा इस बार जनता सब को सबक सिखाएगी. बरहाल ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 8 मंत्रियों में से कौन-कौन अपनी राजनीतिक सफर में पास होता है या फेल है. यह तो 10 नवंबर के नतीजे तय करेंगे.

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