ग्वालियर। वैसे तो मान्यताओं के अनुसार महादेव शिवशंकर को बहुत ही भोला माना जाता है और वह जल्द अपने भक्तों पर प्रसन्न भी हो जाते हैं लेकिन दूसरी तरफ ग्वालियर शहर में बाबा भोलेनाथ का हटी रूप भी देखने को मिलता है. यहां बाबा भोलेनाथ अपनी हठ के कारण बीच सड़क पर अचलेश्वर महादेव के नाम से विराजमान है.
मंदिर के बारे में मान्यता है कि एक बार तत्कालीन सिंधिया शासक ने अचलेश्वर महादेव को बीच रास्ते से हटाने के लिए हाथियों से जोर आजमाइश की थी लेकिन अचलेश्वर महादेव को इस जगह से नहीं हटे सके थे.
मंदिर के पुजारी ने बाबा अचलेश्वर महादेव के बारे बताते हुए कहा कि यह मंदिर 125 साल से भी ज्यादा पुराना है. तत्कालीन रियासत के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया का जब लाव लश्कर इस रास्ते से होकर निकालता था तो यह मंदिर बीच में आ जाता था. तब महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने अपने सैनिकों को हुक्म दिया था कि इस मंदिर को रास्ते से हटाया जाए और इसे साइट में शिफ्ट कर दिया जाए.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि महाराजा के सैनिकों द्वारा जब पिंडी को खुदवाने का काम शुरु हुआ तो 20 हाथ खोदने के बाद भी पिंडी समाप्त नहीं हुई. जीवाजी राव सिंधिया के आदेश पर पिंडी के हटाने के लिए हाथी से जोर आजमाइश ली गई लेकिन भारी भरकम हाथी भी शांत हो गए लेकिन पिंडी को कोई नहीं हिला पाया.
जीवाजी राव के सपने में बाबा भोलेनाथ ने मंदिर बनवाने का आदेश
महाराजा जीवाजी राव सिंधिया को अचलेश्वर महादेव ने सपने में दर्शन देकर यह आदेश दिया कि मैं यहां विराजमान हूं मेरे मंदिर का निर्माण कराइए. दर्शन के लिए लाखों की तादात में पहुंचे है श्रद्धालु
श्रद्धालु उदय भान ने कहा कि वह खुद अचलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए 40 सालों से यहां आ रहे हैं.
इसी कारण बाबा भोलेनाथ अपने हट के कारण यहां अचलेश्वर महादेव के रूप में प्रख्यात है. 100 वर्षों से बाबा अचलेश्वर महादेव शहर के मुख्य मार्ग पर बीच सड़क पर विराजमान होकर अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर रहे हैं.