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आसपास क्षेत्रों से ज्यादा सेक्स वर्कर ग्वालियर में, SC के आदेश पर इस माह से मिलेगा सस्ता राशन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अब मध्यप्रदेश के सेक्स वर्कर को सस्ता राशन इस महीने से मिलना शुरू हो जाएगा. इसके लिए अक्टूबर में जिला आपूर्ति नियंत्रक के पास खाद्यान्न का आवंटन भी आ चुका है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Nov 7, 2020, 4:30 PM IST

ग्वालियर। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अब मध्यप्रदेश के सेक्स वर्कर को सस्ता राशन इस महीने से मिलना शुरू हो जाएगा. इसके लिए अक्टूबर में जिला आपूर्ति नियंत्रक के पास खाद्यान्न का आवंटन भी आ चुका है. पीडीएस सिस्टम में एक नई बीपीएल कैटेगरी की तरह ही सेक्स वर्कर की कैटेगरी बनाई गई है, इसमें ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

दरअसल, मार्च माह में जब लॉकडाउन का दौर शुरू हुआ था और सेक्स वर्कर की इनकम बंद हो गई थी तो उन्हें आजीविका चलाने के लिए बहुत परेशान होना पड़ा. ऐसे में गुजरात के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में सेक्स वर्कर की समस्याओं को लेकर याचिका दायर की थी. इस पर पिछले माह सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्य सरकारों को निर्देशित किया था कि सेक्स वर्कर्स की स्थिति को लेकर उन्हें राहत पहुंचाने के उपाय किए जाएं.

इसी क्रम में कोर्ट ने सूखा राशन उपलब्ध कराए जाने के निर्देश जारी किए हैं. आदेश के परिपालन में राज्य सरकार ने सेक्स वर्कर्स के लिए सूखा राशन उपलब्ध कराने की लेवल पर तैयारी शुरू कर दी है.

ग्वालियर में आस-पास के जिलों के मुकाबले ज्यादा सेक्स वर्कर

खास बात यह है कि घोषित तौर पर रेड लाइट एरिया प्रदेश में कहीं पर भी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उनकी पहचान छुपाए जाने की शर्त पर 40 हजार से ज्यादा सेक्स वर्कर्स की पहचान की गई है. इनमें डेढ़ हजार तो सिर्फ ग्वालियर शहर में ही हैं. जबकि मुरैना में 1100, शिवपुरी में 1100, भिंड में एक हजार सेक्स वर्कर्स की पहचान की गई है. इन सभी का नाम गुप्त रखा गया है.

ग्वालियर। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अब मध्यप्रदेश के सेक्स वर्कर को सस्ता राशन इस महीने से मिलना शुरू हो जाएगा. इसके लिए अक्टूबर में जिला आपूर्ति नियंत्रक के पास खाद्यान्न का आवंटन भी आ चुका है. पीडीएस सिस्टम में एक नई बीपीएल कैटेगरी की तरह ही सेक्स वर्कर की कैटेगरी बनाई गई है, इसमें ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

दरअसल, मार्च माह में जब लॉकडाउन का दौर शुरू हुआ था और सेक्स वर्कर की इनकम बंद हो गई थी तो उन्हें आजीविका चलाने के लिए बहुत परेशान होना पड़ा. ऐसे में गुजरात के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में सेक्स वर्कर की समस्याओं को लेकर याचिका दायर की थी. इस पर पिछले माह सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्य सरकारों को निर्देशित किया था कि सेक्स वर्कर्स की स्थिति को लेकर उन्हें राहत पहुंचाने के उपाय किए जाएं.

इसी क्रम में कोर्ट ने सूखा राशन उपलब्ध कराए जाने के निर्देश जारी किए हैं. आदेश के परिपालन में राज्य सरकार ने सेक्स वर्कर्स के लिए सूखा राशन उपलब्ध कराने की लेवल पर तैयारी शुरू कर दी है.

ग्वालियर में आस-पास के जिलों के मुकाबले ज्यादा सेक्स वर्कर

खास बात यह है कि घोषित तौर पर रेड लाइट एरिया प्रदेश में कहीं पर भी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उनकी पहचान छुपाए जाने की शर्त पर 40 हजार से ज्यादा सेक्स वर्कर्स की पहचान की गई है. इनमें डेढ़ हजार तो सिर्फ ग्वालियर शहर में ही हैं. जबकि मुरैना में 1100, शिवपुरी में 1100, भिंड में एक हजार सेक्स वर्कर्स की पहचान की गई है. इन सभी का नाम गुप्त रखा गया है.

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