ग्वालियर। बीते शुक्रवार को शिवपुरी जिले में एक कार्यक्रम के दौरान अजब नजारा दिखा. जब मंच पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भाषण देने के लिए पहुंचे तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनको रोककर कहा, 'आप मेरे बाद बोलिए.' ऐसा होना सामान्य लग सकता है लेकिन सियासी पंडित इस घटना के मायने तलाशने में जुट गए हैं. उनका मानना है कि जिस तरीके से प्रदेश अध्यक्ष को रोककर सिंधिया खुद भाषण देने लगे, इससे स्पष्ट होता है कि मध्यप्रदेश में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी के ताकतवर नेता के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं. दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इसे शर्मा का अपमान बताया है जबकि बीजेपी ने कहा है कि ऐसे कार्यक्रमों में प्रदेश अध्यक्ष हमेशा अंत में भाषण देता है, इस प्रकार ज्योतिरादित्य ने पार्टी की परंपरा का निर्वाह किया है.
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल: दरअसल, शुक्रवार को शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में दो बाघ छोड़े गए थे. कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अहम भूमिका में रहे. सीएम और सिंधिया ने एक-एक बाघ कूनो नेशनल पार्क में रिलीज किए. इसके बाद शिवपुरी में एक सभा का आयोजन हुआ, जिसमें शिवराज, शर्मा और सिंधिया सहित प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी शामिल हुए. कार्यक्रम के दौरान मंच पर भाषण देने के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को बुलाया गया. जब वे भाषण देने के लिए माइक तक पहुंचे तो पीछे से आकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें रोक दिया और खुद भाषण देने लगे. शर्मा वापस लौटकर अपनी कुर्सी पर बैठ गए. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं.
कांग्रेस ने बताया अपमान: इस घटना को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है, 'ज्योतिरादित्य सिंधिया की हमेशा से दूसरों को अपमानित करने की आदत रही है. यही परंपरा अब उन्होंने बीजेपी में भी शुरू कर दी है.' उधर, बीजेपी की तरफ से कहा गया है, 'पार्टी के कार्यक्रमों में मंच की परंपरा रही है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सबसे अंत में बोलते हैं. सिंधिया ने इसी परंपरा को निभाया है. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का सम्मान किया है न कि अपमान.'
पार्टी का कद्दावर नेता बनने में जुटे: इससे अलग राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी में अपने आप को पहली पंक्ति का कद्दावर नेता बनाने में जुटे हैं. वे कांग्रेस में रहने के दौरान भी खुद को सर्वोपरि मानते थे. खासकर ग्वालियर-चंबल अंचल में पार्टी की तरफ से खुद फैसले लेते थे. शायद यही कारण है कि जब कमलनाथ ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने पार्टी से बगावत कर ली और बीजेपी में शामिल हो गए. अब देखना यह होगा कि कांग्रेस की तरह क्या बीजेपी में भी सिंधिया निर्णायक भूमिका में रहते हैं. क्योंकि बीजेपी में उनके आने के बाद लगातार गुटबाजी हावी होती जा रही है. पार्टी के अन्य गुटों की तरह सिंधिया का भी एक गुट तैयार हो गया है और बीजेपी के कई बड़े नेता अंदर ही अंदर उनके विरोध में हैं.
मुख्यमंत्री पद के लिए उछला नाम: ये बात तो सभी मानते हैं कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी में एक के बाद एक पायदान ऊपर चढ़ रहे हैं. उनका नाम मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर भी लिया जाने लगा है. बीजेपी के तमाम बड़े नेता उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए दिखाई दे रहे हैं. यह भी एक कारण है कि सिंधिया के समर्थक उनको बीजेपी में सर्वमान्य नेता बनाने में लगे हुए हैं.