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ग्लालियर: सुरेश नगर के 80 परिवारों को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, HC के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया स्टे

हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच द्वारा दिए गए तकरीबन 100 करोड़ कीमत की जमीन पर तीन महीने के भीतर कब्जा लेने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं.

राजू शर्मा, अधिवक्ता, हाई कोर्ट ग्वालियर
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Published : May 3, 2019, 9:15 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच द्वारा दिए गए तकरीबन 100 करोड़ कीमत की जमीन पर तीन महीने के भीतर कब्जा लेने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं. सुरेश नगर और जीवाजी नगर की इस विवादित जमीन पर 80 से ज्यादा मकान बने हुए हैं.

ग्वालियर विकास प्राधिकरण यानी जीडीए की तरफ से 2005 की गई एक अपील पर सुनवाई करते हुए इसी साल 24 मार्च को ग्वालियर हाई कोर्ट ने एक बड़ा आदेश पारित किया था. जिसमें कहा गया था कि विकास प्राधिकरण जीवाजी नगर और सुरेश नगर की सर्वे नंबर 1286, 2298, 2299 के एक लाख 8 हजार से ज्यादा वर्ग फीट की जमीन को अपने कब्जे में 3 महीने के भीतर ले. इसे लेकर सुरेश नगर में रहने वाले लोगों के बीच हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई थी. साथ ही उनका एक प्रतिनिधिमंडल विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से भी पिछले दिनों मिला था. लेकिन जीडीए ने कोर्ट का हवाला देते हुए कब्जा लेने के लिए नोटिस जारी करने की बात कही थी.

राजू शर्मा, अधिवक्ता, हाई कोर्ट ग्वालियर


इस जमीन को आवासीय कॉलोनी विकसित करने के लिए 1967 में सरकार द्वारा विकास प्राधिकरण को दिया गया था. इस बीच एक निजी फर्म ने यहां प्लॉटिंग कर दी, जिसे विकास प्राधिकरण ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और जिस पर हाईकोर्ट ने निजी फर्म के कब्जे को अवैध माना और उक्त जमीन को जीडीए की जमीन माना था. इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद निजी फर्म ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, जहां फर्म की ओर से प्रख्यात कानूनविद कपिल सिब्बल सहित पांच अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को विवादित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे. इसी के चलते हाई कोर्ट ने सुरेश नगर में रहने वाले दो अन्य लोगों की पुनर्विचार याचिका को फिलहाल सुनवाई के लिए टाल दिया है.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच द्वारा दिए गए तकरीबन 100 करोड़ कीमत की जमीन पर तीन महीने के भीतर कब्जा लेने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं. सुरेश नगर और जीवाजी नगर की इस विवादित जमीन पर 80 से ज्यादा मकान बने हुए हैं.

ग्वालियर विकास प्राधिकरण यानी जीडीए की तरफ से 2005 की गई एक अपील पर सुनवाई करते हुए इसी साल 24 मार्च को ग्वालियर हाई कोर्ट ने एक बड़ा आदेश पारित किया था. जिसमें कहा गया था कि विकास प्राधिकरण जीवाजी नगर और सुरेश नगर की सर्वे नंबर 1286, 2298, 2299 के एक लाख 8 हजार से ज्यादा वर्ग फीट की जमीन को अपने कब्जे में 3 महीने के भीतर ले. इसे लेकर सुरेश नगर में रहने वाले लोगों के बीच हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई थी. साथ ही उनका एक प्रतिनिधिमंडल विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से भी पिछले दिनों मिला था. लेकिन जीडीए ने कोर्ट का हवाला देते हुए कब्जा लेने के लिए नोटिस जारी करने की बात कही थी.

राजू शर्मा, अधिवक्ता, हाई कोर्ट ग्वालियर


इस जमीन को आवासीय कॉलोनी विकसित करने के लिए 1967 में सरकार द्वारा विकास प्राधिकरण को दिया गया था. इस बीच एक निजी फर्म ने यहां प्लॉटिंग कर दी, जिसे विकास प्राधिकरण ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और जिस पर हाईकोर्ट ने निजी फर्म के कब्जे को अवैध माना और उक्त जमीन को जीडीए की जमीन माना था. इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद निजी फर्म ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, जहां फर्म की ओर से प्रख्यात कानूनविद कपिल सिब्बल सहित पांच अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को विवादित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे. इसी के चलते हाई कोर्ट ने सुरेश नगर में रहने वाले दो अन्य लोगों की पुनर्विचार याचिका को फिलहाल सुनवाई के लिए टाल दिया है.

Intro:ग्वालियर
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के उस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं जिसमें तकरीबन 100 करोड़ कीमत की बेशकीमती जमीन पर तीन महीने के भीतर कब्जा लेने के निर्देश ग्वालियर विकास प्राधिकरण को दिए गए थे। सुरेश नगर और जीवाजी नगर की इस विवादित जमीन पर 80 से ज्यादा मकान बने हुए हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में हाई कोर्ट ने भी मामले पर फिलहाल सुनवाई टाल दी है।


Body:गौरतलब है कि ग्वालियर विकास प्राधिकरण यानी जीडीए की 2005 की एक अपील पर सुनवाई करते हुए इसी साल 24 मार्च को हाई कोर्ट ने एक बड़ा आदेश पारित करते हुए कहा था कि विकास प्राधिकरण जीवाजी नगर और सुरेश नगर की सर्वे नंबर 1286, 2298, 2299 के एक लाख 8000 से ज्यादा वर्ग फुट की जमीन को अपने कब्जे में 3 महीने के भीतर ले। इसे लेकर सुरेश नगर में रहने वाले लोगों के बीच हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई थी उनका एक प्रतिनिधिमंडल विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से भी पिछले दिनों मिला था लेकिन जीडीए ने कोर्ट का हवाला देते हुए कब्जा लेने के लिए नोटिस जारी करने की बात कही थी।


Conclusion:इस जमीन को आवासीय कॉलोनी विकसित करने के लिए 1967 में सरकार द्वारा विकास प्राधिकरण को दिया गया था इस बीच एक निजी फर्म ने यहां प्लॉटिंग कर दी इसे विकास प्राधिकरण ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर हाईकोर्ट ने निजी फर्म के कब्जे को अवैध माना और उक्त जमीन को जीडीए की जमीन माना ।हाई कोर्ट के आदेश के बाद निजी फर्म ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जहां फर्म की ओर से प्रख्यात कानूनविद कपिल सिब्बल सहित पांच अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को विवादित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे इसी के चलते हाई कोर्ट ने सुरेश नगर में रहने वाले दो अन्य लोगों की पुनर्विचार याचिका को फिलहाल सुनवाई के लिए टाल दिया है।
बाइट राजू शर्मा... याचिका कर्ता के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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