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ग्वालियर: पर्यावरण को बचाने के लिए शहर में गोबर की लकड़ियों से जलेगी होली, पर्यावरण का रखा गया खास ध्यान - पर्यावरण

शहर के प्रमुख चौराहों पर जलने वाली होली में इस बार गो काष्ठ का उपयोग किया जाएगा. जिले में पर्यावरण को बचाने के लिए होलिका दहन में लकड़ियों की जगह गोबर काष्ठ का इस्तेमाल किया जा रहा है

पर्यावरण को बचाने के लिए शहर में गोबर की लकड़ियों से जलेगी होली
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Published : Mar 20, 2019, 3:42 PM IST

ग्वालियर। ललाटपारा स्थित आदर्श गौशाला में इन दिनों होलिका दहन के लिए गो काष्ठ का निर्माण किया जा रहा है. शहर के प्रमुख चौराहों पर होलिका दहन में इस बार गो काष्ठ का उपयोग किया जाएगा जिससे पार्यवरण भी सुरक्षित रहेगी.

पर्यावरण को बचाने के लिए शहर में गोबर की लकड़ियों से जलेगी होली

शहर के प्रमुख चौराहों पर जलने वाली होली में इस बार गो काष्ठ का उपयोग किया जाएगा. जिले में पर्यावरण को बचाने के लिए होलिका दहन में लकड़ियों की जगह गोबर काष्ठ का इस्तेमाल किया जा रहा है. विभिन्न संस्थाओं से अब तक गौशाला को 300 कुंटल गो काष्ठ का ऑर्डर मिल चुका है.

गोशाला में गाय की देखरेख का जिम्मा संभालने वाले आचार्य सच्चिदानंद का कहना है कि गाय के गोबर से बनी लकड़ियों से होलिका दहन करने से कार्बन डाइऑक्साइड की जगह ऑक्सीजन निकलती है जिससे पर्यावरण में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है. आदर्श गौशाला में कुल 7500 गाय हैं जिनसे लगभग 40 कुंटल गो काष्ठ निकलता है इनमें से कुछ का प्रयोग बायोगैस प्लांट के लिए होता है बाकी गोबर से गो काष्ठ का निर्माण किया जाता है.

ग्वालियर। ललाटपारा स्थित आदर्श गौशाला में इन दिनों होलिका दहन के लिए गो काष्ठ का निर्माण किया जा रहा है. शहर के प्रमुख चौराहों पर होलिका दहन में इस बार गो काष्ठ का उपयोग किया जाएगा जिससे पार्यवरण भी सुरक्षित रहेगी.

पर्यावरण को बचाने के लिए शहर में गोबर की लकड़ियों से जलेगी होली

शहर के प्रमुख चौराहों पर जलने वाली होली में इस बार गो काष्ठ का उपयोग किया जाएगा. जिले में पर्यावरण को बचाने के लिए होलिका दहन में लकड़ियों की जगह गोबर काष्ठ का इस्तेमाल किया जा रहा है. विभिन्न संस्थाओं से अब तक गौशाला को 300 कुंटल गो काष्ठ का ऑर्डर मिल चुका है.

गोशाला में गाय की देखरेख का जिम्मा संभालने वाले आचार्य सच्चिदानंद का कहना है कि गाय के गोबर से बनी लकड़ियों से होलिका दहन करने से कार्बन डाइऑक्साइड की जगह ऑक्सीजन निकलती है जिससे पर्यावरण में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है. आदर्श गौशाला में कुल 7500 गाय हैं जिनसे लगभग 40 कुंटल गो काष्ठ निकलता है इनमें से कुछ का प्रयोग बायोगैस प्लांट के लिए होता है बाकी गोबर से गो काष्ठ का निर्माण किया जाता है.

Intro:ग्वालियर - शहर वासियों को पर्यावरण जागरूक करने के लिए ललाटपारा स्थित आदर्श गौशाला में इन दिनों होलिका दहन के लिए गो काष्ठ का निर्माण किया जा रहा है। इसको गौशाला और वोट क्लब के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है। ग्वालियर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा अब तक गौशाला को 300 कुंटल गो काष्ठ का ऑर्डर मिल चुका है। ग्वालियर के प्रमुख चौराहों पर जलने वाली होली में इस बार गो काष्ठ का उपयोग किया जाएगा । गौशाला निर्माण का काम कर रही एजेंसी के पदाधिकारियों का कहना है कि गौशाला में निकलने वाली गोबर से महिलाओं द्वारा मशीन से गोबर से बनी लकड़ी का निर्माण किया जा रहा है वैसे तो आम दिनों में इसकी डिमांड रहती है लेकिन होली पर डिमांड अच्छी खासी बढ़ गई है।


Body:वहीं गोबर से बनी लकड़ियों का होलिका दहन में प्रयोग किए जाने वालों को लेकर गोशाला में गांव की देखरेख का जिम्मा संभालने वाले आचार्य सच्चिदानंद का कहना है कि गाय के गोबर से बनी लकड़ियों से होलिका दहन करने के कार्बन डाइऑक्साइड की जगह ऑक्सीजन निकलती है। इससे पर्यावरण में ऑक्सीजन की वृद्धि होगी । साथ ही होलिका दहन में उपयोग की जाने वाली लकड़ी भी बचेगी। जिससे पेड़ कटने से भी बचेंगे । ग्वालियर की आदर्श गौशाला में कुल 7500 गाय हैं जिनसे लगभग 40 कुंटल गो काष्ठ निकलता है इनमें से कुछ का प्रयोग बायोगैस प्लांट के लिए होता है बाकी गोबर से गो काष्ठ का निर्माण किया जाता है। वह कास्ट को 300 क्विंटल की दर से बेचा जा रहा है इससे पहले भी गौशाला में बनी गो कास्ट से शहर के शमशान ग्रहों में अंतिम संस्कार भी किए जाए रहे हैं ताकि अंतिम संस्कारों में कम से कम लकड़ी का प्रयोग हो और पर्यावरण भी सुरक्षित हो।


Conclusion:बाइट- ममता सिंह , सामाजिक कार्यकर्ता

बाइट - स्वामी अच्युतानंद महाराज , केयर टेकर आदर्श गौशाला
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