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स्वास्थ्य के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर और मध्यवर्गीय लोगों का नहीं रखा ख्याल, कोरोना राहत पैकेज पर विशेषज्ञ की राय

केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ आर्थिक पैकेज पर आज लगातार पांचवें दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी दी. जिस पर जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एपीएस चौहान ने अपनी राय दी .

Professor's opinion on economic package
आर्थिक पैकेज पर प्रोफेसर की राय
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Published : May 17, 2020, 6:58 PM IST

ग्वालियर। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कोरोना राहत पैकेज का ऐलान किया गया. इसमें स्वास्थ्य के क्षेत्र लघु एवं मध्यम वर्गीय उद्योगों को राहत देने की घोषणा की गई. वहीं मनरेगा में चालीस हजार करोड़ रुपये की राहत देने की भी फाइनेंस मिनिस्टर ने घोषणा की है. केंद्र सरकार की घोषणाओं पर जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एपीएस चौहान ने अपनी राय दी है.

आर्थिक पैकेज पर प्रोफेसर की राय

जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एपीएस चौहान ने कहा है कि मनरेगा में वित्त मंत्री ने राशि बढ़ाने का प्रावधान किया है जो स्वागत योग्य कदम है. लघु और मध्यम वर्ग के उद्योग धंधे करने वाले लोगों को छोटे-मोटे मामलों में आपराधिक कृत्य से भी उन्होंने मुक्ति दिलाने की पैरवी की है, लेकिन अधिकांश राज्यों के पास अपने यहां के उन मजदूरों का कोई लेखा-जोखा नहीं है, जो दूसरे राज्यों में काम करने के लिए गए हैं. रोजाना ऐसे मजदूरों के साथ हादसे हो रहे है जो अपने परिवार के साथ पैदल चले जा रहे हैं. सरकारें इतनी निर्मम कैसे हो सकती हैं. प्रोफेसर चौहान ने कहा कि हमें सबसे पहले मनरेगा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है ताकि लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके.

एपीएस चौहान ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जहां महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है उसने हमें नए मौके भी दिए है. इसलिए हमें इस चुनौती का मिलजुलकर सामना करना होगा. उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोरोना जैसे भविष्य में आने वाले संकट को देखते हुए छोटे शहरों में प्रयोगशाला में बनाने की बात कही है, लेकिन वित्त मंत्री ने छोटे शहरों में अधोसंरचना पर जोर नहीं दिया है. छोटे शहरों में अधोसंरचना स्वास्थ्य के क्षेत्र में खस्ताहाल है. इसलिए सबसे पहले स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए.

ग्वालियर। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कोरोना राहत पैकेज का ऐलान किया गया. इसमें स्वास्थ्य के क्षेत्र लघु एवं मध्यम वर्गीय उद्योगों को राहत देने की घोषणा की गई. वहीं मनरेगा में चालीस हजार करोड़ रुपये की राहत देने की भी फाइनेंस मिनिस्टर ने घोषणा की है. केंद्र सरकार की घोषणाओं पर जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एपीएस चौहान ने अपनी राय दी है.

आर्थिक पैकेज पर प्रोफेसर की राय

जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एपीएस चौहान ने कहा है कि मनरेगा में वित्त मंत्री ने राशि बढ़ाने का प्रावधान किया है जो स्वागत योग्य कदम है. लघु और मध्यम वर्ग के उद्योग धंधे करने वाले लोगों को छोटे-मोटे मामलों में आपराधिक कृत्य से भी उन्होंने मुक्ति दिलाने की पैरवी की है, लेकिन अधिकांश राज्यों के पास अपने यहां के उन मजदूरों का कोई लेखा-जोखा नहीं है, जो दूसरे राज्यों में काम करने के लिए गए हैं. रोजाना ऐसे मजदूरों के साथ हादसे हो रहे है जो अपने परिवार के साथ पैदल चले जा रहे हैं. सरकारें इतनी निर्मम कैसे हो सकती हैं. प्रोफेसर चौहान ने कहा कि हमें सबसे पहले मनरेगा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है ताकि लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके.

एपीएस चौहान ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जहां महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है उसने हमें नए मौके भी दिए है. इसलिए हमें इस चुनौती का मिलजुलकर सामना करना होगा. उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोरोना जैसे भविष्य में आने वाले संकट को देखते हुए छोटे शहरों में प्रयोगशाला में बनाने की बात कही है, लेकिन वित्त मंत्री ने छोटे शहरों में अधोसंरचना पर जोर नहीं दिया है. छोटे शहरों में अधोसंरचना स्वास्थ्य के क्षेत्र में खस्ताहाल है. इसलिए सबसे पहले स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए.

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