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सावधान ! नकली प्लाज्मा चढ़ाने से शख्स की मौत, पुलिस ने किया रैकेट का खुलासा, चार गिरफ्तार

ग्वालियर में दतिया निवासी कोरोना संक्रमित की मौत होने के बाद शहर में नकली प्लाज्मा बेचने वाले रैकट का खुलासा हुआ है. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

accused selling fake plasma
नकली प्लाज्मा बेचने वाले रैकेट का खुलासा
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Published : Dec 13, 2020, 4:19 PM IST

Updated : Dec 13, 2020, 5:35 PM IST

ग्वालियर। शहर में ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों के गिरोह का खुलासा हुआ है, जो कोरोना संक्रमितों को मंहगे दामों पर नकली प्लाज्मा बेचने का रैकेट चला रहे थे. इस बात का खुलासा तब हुआ जब तीन दिन पहले एक कोरोना संक्रमित की मौत हो गई. उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण नकली प्लाज्मा सामने आया. जिसके बाद गिरोह के रैकेट का पर्दाफाश हुआ. पुलिस ने इस मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिनसे पूछताछ जारी है.

नकली प्लाज्मा बेचने वाले रैकेट का खुलासा

कैसे हुआ खुलासा

शहर में कोरोना संक्रमित व्यापारी मनोज तिवारी का इलाज जारी था. उनका इलाज प्लाज्मा थैरेपी के जरिए किया जा रहा था. संक्रमित व्यापारी दतिया निवासी थे, जिनका इलाज अपोलो हॉस्पिटल में जारी था. अस्पताल की ओर से मरीज के लिए प्लाज्मा की मांग की गई थी. मरीज के परिजनों ने जब प्लाज्मा की बात की अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने कहा कि वो नंबर दे रहा है, जो कि प्लाज्मा मुहैया करा देगा.

फर्जी रसीद देकर 18 हजार रुपए में बेचा प्लाज्मा

जब परिजनों ने कर्मचारी ने जो नंबर दिया था, उस पर कॉल करके प्लाज्मा की बात की तो दलाल आरोपी ने प्लाज्मा की कीमत 18 हजार रुपए बताई. यहां तक की ये कहकर प्लाज्मा बेचा की वे जेएएच (Jaya Arogya Hospital) से मुहैया करा रहा है. साथ ही असप्ताल की फर्जी रसीद भी थी. ताकि परिजनों को भरोसा रहे.

Cross match report
क्रॉस मैच रिपोर्ट

प्लाज्मा चढ़ाने के बाद हो गई मौत

कोरोना संक्रमित व्यापारी मरीज को प्लाज्मा चढ़ाने के बाद उसकी मौत हो गई. ऐसे में परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई. लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होने पर परिजनों ने हंगामा मचा दिया, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. शव का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें नकली प्लाज्मा का खुलासा हुआ.

पढ़ें-आर्थिक मजबूरी के कारण अफगानिस्तान से इलाज कराने हिंस्दुस्तान आया परिवार, सांसद के घर में मिली जगह

पुलिस ने शुरू की कार्रवाई

शिकायत के बाज पड़ाव थाना पुलिस ने रसीद के आधार पर कार्रवाई शुरू की. साथ ही शनिवार को चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिसमें मास्टरमाइंड भी शामिल है. इन सभी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और धोखाधड़ी सहित तमाम धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.

जानें गिरोह की चेन

  1. अजय शंकर त्यागी- ये गिरोह का मास्टरमाइंड है. इसने एक और दलाल का नाम बताया है, जिसकी तलाश की जा रही है.
  2. जगदीश भदकारिया- ये अपोलो अस्पताल का कर्मचारी है. इसने परिजनों को दलाल महेश मौर्या का नंबर दिया था.
  3. महेश मौर्या- वेदांश हॉस्पिटल का कर्मचारी और अजय शंकर त्यागी का दलाल है. वो कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजनों को यह कहकर पहुंचाता है कि वे जेएएच की लैब का कर्मचारी है और प्लाज्मा उपलब्ध करा देगा.
  4. हेमंत- ये एक निजी अस्पताल का कर्मचारी है, जो कि महेश मौर्या की तरह दलाली करता है.

क्या है प्लाज्मा थैरेपी

देश भर में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी अपनाई जा रही है. सरल शब्दों में कहा जाए तो इस थेरपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है. किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तब ही बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है. फिलहाल कोरोना वायरस फैला हुआ है, जो मरीज इस वायरस की वजह से बीमार हुआ और ठीक हो गया तो, उसके शरीर में इस कोविड वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन गए. इसी एंटीबॉडी के बल पर मरीज ठीक होता है. जब कोई मरीज बीमार रहता है तो उसमें एंटीबॉडी तुरंत नहीं बनता है, उसके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में देरी की वजह से वह सीरियस हो जाता है.

पढ़ें- कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कितनी कारगर, रिकवर मरीजों ने ईटीवी भारत से शेयर किया अनुभव

ऐसे में जो मरीज हाल-फिलहाल इस वायरस से ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है. वही एंटबॉडी उसके शरीर से निकालकर दूसरे बीमार मरीज में डाल दिया जाता है. जैसे ही एंटीबॉडी शरीर में जाता है, मरीज पर इसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है. इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

ग्वालियर। शहर में ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों के गिरोह का खुलासा हुआ है, जो कोरोना संक्रमितों को मंहगे दामों पर नकली प्लाज्मा बेचने का रैकेट चला रहे थे. इस बात का खुलासा तब हुआ जब तीन दिन पहले एक कोरोना संक्रमित की मौत हो गई. उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण नकली प्लाज्मा सामने आया. जिसके बाद गिरोह के रैकेट का पर्दाफाश हुआ. पुलिस ने इस मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिनसे पूछताछ जारी है.

नकली प्लाज्मा बेचने वाले रैकेट का खुलासा

कैसे हुआ खुलासा

शहर में कोरोना संक्रमित व्यापारी मनोज तिवारी का इलाज जारी था. उनका इलाज प्लाज्मा थैरेपी के जरिए किया जा रहा था. संक्रमित व्यापारी दतिया निवासी थे, जिनका इलाज अपोलो हॉस्पिटल में जारी था. अस्पताल की ओर से मरीज के लिए प्लाज्मा की मांग की गई थी. मरीज के परिजनों ने जब प्लाज्मा की बात की अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने कहा कि वो नंबर दे रहा है, जो कि प्लाज्मा मुहैया करा देगा.

फर्जी रसीद देकर 18 हजार रुपए में बेचा प्लाज्मा

जब परिजनों ने कर्मचारी ने जो नंबर दिया था, उस पर कॉल करके प्लाज्मा की बात की तो दलाल आरोपी ने प्लाज्मा की कीमत 18 हजार रुपए बताई. यहां तक की ये कहकर प्लाज्मा बेचा की वे जेएएच (Jaya Arogya Hospital) से मुहैया करा रहा है. साथ ही असप्ताल की फर्जी रसीद भी थी. ताकि परिजनों को भरोसा रहे.

Cross match report
क्रॉस मैच रिपोर्ट

प्लाज्मा चढ़ाने के बाद हो गई मौत

कोरोना संक्रमित व्यापारी मरीज को प्लाज्मा चढ़ाने के बाद उसकी मौत हो गई. ऐसे में परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई. लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होने पर परिजनों ने हंगामा मचा दिया, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. शव का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें नकली प्लाज्मा का खुलासा हुआ.

पढ़ें-आर्थिक मजबूरी के कारण अफगानिस्तान से इलाज कराने हिंस्दुस्तान आया परिवार, सांसद के घर में मिली जगह

पुलिस ने शुरू की कार्रवाई

शिकायत के बाज पड़ाव थाना पुलिस ने रसीद के आधार पर कार्रवाई शुरू की. साथ ही शनिवार को चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिसमें मास्टरमाइंड भी शामिल है. इन सभी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और धोखाधड़ी सहित तमाम धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.

जानें गिरोह की चेन

  1. अजय शंकर त्यागी- ये गिरोह का मास्टरमाइंड है. इसने एक और दलाल का नाम बताया है, जिसकी तलाश की जा रही है.
  2. जगदीश भदकारिया- ये अपोलो अस्पताल का कर्मचारी है. इसने परिजनों को दलाल महेश मौर्या का नंबर दिया था.
  3. महेश मौर्या- वेदांश हॉस्पिटल का कर्मचारी और अजय शंकर त्यागी का दलाल है. वो कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजनों को यह कहकर पहुंचाता है कि वे जेएएच की लैब का कर्मचारी है और प्लाज्मा उपलब्ध करा देगा.
  4. हेमंत- ये एक निजी अस्पताल का कर्मचारी है, जो कि महेश मौर्या की तरह दलाली करता है.

क्या है प्लाज्मा थैरेपी

देश भर में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी अपनाई जा रही है. सरल शब्दों में कहा जाए तो इस थेरपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है. किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तब ही बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है. फिलहाल कोरोना वायरस फैला हुआ है, जो मरीज इस वायरस की वजह से बीमार हुआ और ठीक हो गया तो, उसके शरीर में इस कोविड वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन गए. इसी एंटीबॉडी के बल पर मरीज ठीक होता है. जब कोई मरीज बीमार रहता है तो उसमें एंटीबॉडी तुरंत नहीं बनता है, उसके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में देरी की वजह से वह सीरियस हो जाता है.

पढ़ें- कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कितनी कारगर, रिकवर मरीजों ने ईटीवी भारत से शेयर किया अनुभव

ऐसे में जो मरीज हाल-फिलहाल इस वायरस से ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है. वही एंटबॉडी उसके शरीर से निकालकर दूसरे बीमार मरीज में डाल दिया जाता है. जैसे ही एंटीबॉडी शरीर में जाता है, मरीज पर इसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है. इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

Last Updated : Dec 13, 2020, 5:35 PM IST
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